साल के 109 दिन मोबाइल के खाते में!
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

साल के 109 दिन मोबाइल के खाते में!

मोबाइल फोन के आविष्कारक मार्टिन कूपर ने इस बात पर चिंता जताई है कि लोग मोबाइल फोन पर बहुत ज्यादा समय बिता रहे है

by बालेन्दु शर्मा दाधीच
Jul 14, 2022, 09:36 am IST
in भारत, विज्ञान और तकनीक
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

मोबाइल पर समय बिताने के मामले में भारतीय पांचवें नंबर पर और एप्लीकेशन डाउनलोड करने के मामले में दूसरे नंबर पर हैं

मोबाइल फोन के आविष्कारक मार्टिन कूपर ने इस बात पर चिंता जताई है कि लोग मोबाइल फोन पर बहुत ज्यादा समय बिता रहे हैं। उन्होंने सलाह दी है कि मोबाइल छोड़ो, जिंदगी जीने पर ध्यान दो। जब कूपर से यह पूछा गया कि वे खुद दिन में कितने घंटे मोबाइल फोन का प्रयोग करते हैं तो उन्होंने जवाब दिया- दिन का 5 प्रतिशत से कम समय। अगर थोड़ी गणना करके देखें तो कूपर दिन में लगभग पौन घंटे मोबाइल फोन का प्रयोग करते होंगे। चौबीस घंटे के दिन-रात में से नींद के आठ घंटे निकाल दिए जाएं तो बाकी बचे 16 घंटों का 5 प्रतिशत 48 मिनट होता है।

क्या हमें भी मार्टिन का अनुसरण करना चाहिए? क्या हमारे लिए भी पौन घंटा काफी है? कोई भी फैसला करने से पहले हमें यह देखना होगा कि मार्टिन की उम्र क्या है और उनकी आवश्यकताएं कैसी हैं। सन्1928 में जन्मे मार्टिन 94 साल के हैं और साफ है कि मोबाइल फोन के प्रयोग की उनकी व्यावसायिक और निजी जरूरतें सीमित हैं। अगर वे एक घंटे से कम समय तक मोबाइल का प्रयोग करते होंगे तो यह स्पष्ट है कि वे उसका ज्यादातर इस्तेमाल बातचीत के लिए करते होंगे। वीडियो, संगीत, सोशल मीडिया, इंटरनेट खोज, ईमेल, वर्चुअल मीटिंग्स, शिक्षा आदि के लिए या तो वे इनका इस्तेमाल नहीं करते होंगे या फिर बेहद कम। मगर आज डिजिटल तकनीकों से जुड़े आम आदमी की जरूरतें उनसे कहीं ज्यादा हैं।

तो आपको और हमें अपने दिन का कितना समय मोबाइल फोन को देना चाहिए? इस सवाल का जवाब जानने से पहले भारत में मोबाइल फोन के प्रयोग के डेटा पर एक नजर डालें हैं। हाल ही में सन् 2021 के आंकड़े आए हैं जिन्हें एप एनी नामक मोबाइल डेटा और विश्लेषण फर्म ने जारी किया है। इनके अनुसार भारत का एक आम मोबाइल उपभोक्ता औसतन 4.7 घंटे के लिए मोबाइल फोन का प्रयोग करता है।

एक आम भारतीय के लिए मोबाइल फोन पर बिताया गया कितना समय उचित होगा? इस सवाल का जवाब पाना मुश्किल है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के लिए मोबाइल फोन की उपयोगिता और जरूरत अलग-अलग हो सकती है। लेकिन पांच घंटे? वह सचमुच बहुत अधिक है।

एक साल पहले यह अवधि 4.5 घंटे थी और दो साल पहले 3.7 घंटे। कोविड-बाद के काल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल बढ़ता चला गया है। अगर हम दिन में अपने सक्रिय घंटों की संख्या 16 मानें तो हम अपनी सक्रियता के घंटों का लगभग 30 प्रतिशत मोबाइल फोन पर बिता रहे हैं। मतलब हर सप्ताह में दो दिन, हर महीने में नौ दिन और हर साल में 109 दिन मोबाइल फोन की भेंट चढ़ रहे हैं। अगर आपको हर साल 109 दिन दे दिए जाएं और कहा जाए कि इस अवधि में आप अपना मनचाहा काम कर सकते हैं तो आप क्या कुछ नहीं कर डालेंगे। लेकिन यह समय मोबाइल के खाते में जा रहा है।

सन् 2021 के आंकड़ों के अनुसार मोबाइल फोन पर औसतन लगाए गए घंटों के लिहाज से हम भारतीय दुनिया में पांचवें नंबर पर हैं। ब्राजील, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और मैक्सिको के बाद। ध्यान देने की बात यह है कि इस मामले में हम अमेरिका सहित ज्यादातर विकसित देशों और चीन से भी आगे हैं। दूसरी तरफ मोबाइल एप्लीकेशनों को डाउनलोड करने के मामले में भारत चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है। हमारे यहां का रुझान दुनिया के रुझान के विपरीत है जहां 2021 के अंत में मोबाइल फोन पर व्यतीत घंटों की संख्या में 6.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। जाहिर है कि इस समय दुनिया में मोबाइल फोन और उसके जरिए किए जाने वाले हर किस्म के कारोबार के लिए सबसे ज्यादा लाभदायक कोई देश है तो वह भारत है।

यह उन सब कंपनियों और लोगों के लिए बहुत अच्छा है जो सौ करोड़ लोगों के औसतन 102 घंटों के सालाना मोबाइल प्रयोग से फायदा उठाने की स्थिति में हैं, जैसे-मोबाइल एप्लीकेशन निर्माता कंपनियां, कन्टेन्ट निर्माता, फोन के जरिए शिक्षा, मनोरंजन आदि मुहैया कराने वाली फर्में, इसके जरिए कारोबार करने वाले संस्थान आदि। मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए भी यह स्वर्ण काल है। लेकिन उपभोक्ता के लिए? क्या उपभोक्ता अपने समय का अच्छा इस्तेमाल कर रहा है? और क्या इतना समय मोबाइल फोन पर बिताना उसके बुनियादी कामकाज, सामाजिक संबंधों और निजी सेहत के लिए अच्छा है? बिल्कुल नहीं। यहां हम फिर से मार्टिन कूपर की सलाह की तरफ लौट आते हैं जिन्होंने कहा है कि मोबाइल छोड़ो, जिंदगी जियो दोस्तो!

तो एक आम भारतीय के लिए मोबाइल फोन पर बिताया गया कितना समय उचित होगा? इस सवाल का जवाब पाना मुश्किल है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के लिए मोबाइल फोन की उपयोगिता और जरूरत अलग-अलग हो सकती है। लेकिन पांच घंटे? वह सचमुच बहुत अधिक है।
(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट में ‘निदेशक-
भारतीय भाषाएं और सुगम्यता’
के पद पर कार्यरत हैं)

Topics: मोबाइल फोनमार्टिन कूपरएप्लीकेशन निर्माता
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

स्मार्टफोन फास्ट
चार्जिंग

स्मार्टफोन चार्जिंग स्लो है? इन 5 आसान ट्रिक्स से करें चार्जिंग फास्ट

विषय अच्छा तो वीडियो चैनल भी उत्तम

इंटरनेट बन रहा आजीविका का माध्यम

मोबाइल से उपजीं नई बीमारियां

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

देहरादून : भारतीय सेना की अग्निवीर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सम्पन्न

इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

“45 साल के मुस्लिम युवक ने 6 वर्ष की बच्ची से किया तीसरा निकाह” : अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश

Hindu Attacked in Bangladesh: बीएनपी के हथियारबंद गुंडों ने तोड़ा मंदिर, हिंदुओं को दी देश छोड़ने की धमकी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies