अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान की क्षेत्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक 10 जुलाई को महेश्वरी सेवा सदन, पुष्कर, अजमेर में सम्पन्न हुई। बैठक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यकारिणी सदस्य हनुमान सिंह जी, साहित्य परिक्रमा के संपादक डॉ इंदु शेखर तत्पुरुष, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के पूर्व निदेशक प्रोफेसर एन के पांडे, संगठन के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ विपिन चंद्र के सानिध्य में हुई।
उद्घाटन सत्र में संस्कृति चिंतक व संगठन के संपर्क अधिकारी हनुमान सिंह ने कहा कि कालजयी साहित्य वही है जो समसामयिक भी हो, इसलिए साहित्यकार को कालद्रष्टा की तरह विचार करते हुए ऐसे लोकग्राह्य सहित्य का सृजन करना होगा जो मनोरंजन की व्यक्ति आधारित दृष्टि से ऊपर उठकर लोकरंजन से लोकमंगल की ओर ले जाने वाला हो। प्रायोजित साहित्य लेखन कभी भी कालजयी नहीं हो सकता। भारत केन्द्रित विचार को अपने लेखन का आधार बनाएंगे तो वही आमजन का मानस बनेगा और उसी से देश का उज्ज्वल भविष्य निश्चित हो सकेगा। उन्होंने साहित्यकारों से व्रत कथाओं और लोकनाटकों के पुनर्लेखन का भी आह्वान किया।
प्रो. एनके पांडे ने स्वातंत्र्य आंदोलन के दौरान लिखे साहित्य में वर्णित स्वाभिमान, स्वधर्म, स्वदेशी, स्वभाषा और सामाजिक समरसता के भाव को पुनः साहित्य का विषय बनाने पर जोर दिया। संगठनमंत्री डॉ. विपिनचन्द्र ने लोक साहित्यकारों को सूचीबद्ध करने तथा युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने की बात कही, साथ ही पद प्रतिष्ठा पुरस्कार की प्रवृत्ति को छोड़कर जगतहिताय साहित्य रचने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर डॉ. इन्दुशेखर तत्पुरूष और साहित्यविद् एवं कॉलेज शिक्षा के पूर्व प्राचार्य डॉ के बी भारतीय ने भी विचार व्यक्त किये।
प्रारंभ में भारतमाता और माँ सरस्वती की स्तुति करते हुए परिषद् गीत डॉ ममता जोशी द्वारा समोच्चारित किया गया। अजमेर विभाग संयोजक कुलदीप सिंह रत्नु, अजमेर महानगर अध्यक्ष गंगाधर शर्मा हिन्दुस्तान, कोषाध्यक्ष नीरज पारीक, महासचिव प्रदीप गुप्ता सहित विष्णुदत्त शर्मा, देवदत्त शर्मा व देशवर्द्धन रांकावत ने अतिथियों का स्वागत किया। नियोजन सत्र को संबांधित करते हुए संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अन्नाराम शर्मा ने कहा कि लोक भाषा और लोक संस्कृति जैसे अन्यान्य ज्ञान विज्ञान के स्वरूप ही रचनाकारों की ऊर्जा के स्रोत हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के लोक साहित्य और प्रत्येक जिले से संबंधित अज्ञात अथवा अल्पज्ञात स्वाधीनता नायकों पर साहित्य लिखा जाएगा और स्वाधीनता आंदोलन में घुमंतु जातियों, पत्रकारिता, लोकगीतों और भारतीय भाषा साहित्य के योगदान पर राज्य के तीनों प्रांतों में छह राष्ट्रीय संगोष्ठियां आयोजित की जाएंगी। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के तहत इकाई स्तर तक विविध गोष्ठियां प्रतियोगिताओं और साहित्य यात्राओं का आयोजन भी किया जाएगा। बैठक के सभी सत्रों का सुचारू संचालन क्षेत्र महामंत्री डॉ. केशव शर्मा ने किया तथा क्षेत्र संयुक्त मंत्री उमेश कुमार चौरसिया ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में समाजसेवी राजेन्द्र महावर, हुकुम सिंह नरूका, नन्दजी पंवार, विष्णुसिंह लखावत और डाॅ चेतना उपाध्याय ने सक्रीय सहयोग किया। बैठक में प्रदेश के जयपुर, जोधपुर व चित्तौड़ प्रान्त के विभिन्न जिलों से इस बैठक में अपेक्षित दायित्ववान पदाधिकारियों ने भाग लिया।
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