श्रीलंका में अराजकता की वजह कोई राजनीतिक लड़ाई नहीं है बल्कि पूरा खेल आर्थिक तंगी का है। वहां की सरकार की गलत नीतियों की वजह से स्थितियां बदतर हुई हैं। अब इससे मोदी जी की गलती कहां है और वह कैसे दोषी हो गए ? श्रीलंका फर्जी समाजवाद, परिवारवाद और फ्री बांटो मॉडल की वजह से बर्बाद हुआ है। भारत में कुछ वामपंथी लगातार फर्जी समाजवाद का ढोल पीटते हुये कुछ खास लोगों के विकास पर ध्यान दे रहे हैं। देश के कई राज्यों में जनता को मुफ्त चीजों के नाम पर लुभाया जा रहा है जोकि एक खतरनाक स्थिति है। जिन राज्यों में जनता को फ्री-फ्री का पाजामा पहनाया जा रहा है, उस राज्य पर कर्ज बढ़ता जा रहा है और वहां की अर्थव्यवस्था खोखली होती जा रही है।
वामपंथी और लिबरल गुट की हालत यह है कि एक इंच भी आप उनकी वैचारिक दृष्टि से बाहर हुये और आपको “गुट निकाला“ मिल सकता है। यह हास्यापद है कि ये लोग तब कहां चले जाते थे जब एक चैनल विशेष के संपादक कक्ष में बैठकर मंत्रिपरिषद तय होती थी। यह तब कहां चले जाते थे जब देश में घोटालों की बाढ़ आयी होती थी। ये वही वामपंथी हैं जो तब भी आलोचना कर रहे थे जब देश कोरोना की विभीषिका से जूझ रहा था। एक वामपंथी ने तो, यहां तक कहा कि “एक नैतिक रूप से भ्रष्ट देश में वायरस को मारने के लिये बचा ही क्या है? लिबरलों की नजर में उनके संरक्षकों को सत्ता से बाहर करके यह राष्ट्र नैतिक रूप से भ्रष्ट हो चुका है और इस पाप की सजा भारत को मिलनी ही चाहिये। देश की दुर्गति श्रीलंका की तरह होनी ही चाहिये, देश को जलना ही चाहिये। इनका सबसे बड़ा दुख यह है कि श्रीलंका वाली स्थिति भारत में क्यों नहीं हुई।
इनको एक उम्मीद सी थी कि कांग्रेस 2019 में लौटेगी तो उनके विशेषाधिकार उनको फिर से मिल जायेंगे, इसी कारण से उन्होंने 2014 से 2019 तक देश को जलाने की कोशिश भी की पर हाथ कुछ नहीं लगा और अब तो अंधेरा सा छा गया है। सुबह उठते ही इनकी यही इच्छा होती है कि कहीं भी कुछ गलत हो जाये चाहे महामारी, आतंकवादी हमला, हत्या कुछ भी हो, पर हो जरूर। बस भारत जलना चाहिये। महामारी को देश ने जब संभाल लिया तो उनकी आत्मा चीत्कार कर उठी। श्मशानों की फोटो ली गई, ड्रोन उड़ाये गये ताकि पिक्चर ज्यादा स्पष्ट आ सकें। अपने देश के डाटा को ये लोग वास्तविक नहीं मानते परंतु अगर कोई विदेशी राष्ट्र भारत के बारे में कुछ गलत कह दे तो ये लोग हफ्ता भर उस धुन पर नृत्य करते हैं। भारत यूक्रेन के मसले पर तटस्थ रहा तो इसके बारे में भी उन्होंने दुष्प्रचार किया। वास्तविक भारत इनका जब विरोध करता है तो ये बिलबिला उठते हैं क्योंकि इन्होंने तो उन्हें प्रजा समझा था। इनकी चाहत है कि यह भारत का प्रधानमंत्री निवास भी क्यों नहीं जल जाता, मोदी भाग क्यों नहीं जाते। इनकी यह अन्दर की कुंठा रूपी आग ही इनको एक दिन भस्म कर देगी।
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