बरेली के गुरुदारे में मांस फेंकने की घटना पर हिंदू सिख समुदाय में गुस्सा है और इस बारे में पुलिस में एफआईआर दर्ज की गई है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में मांस फेंके जाने की घटना ईद के आसपास होने से ये आशंका जताई जा रही है कि ये घटनाएं यूपी को सांप्रदायिक आग में धकेलने की साजिश थी और इसके दोषी लोगों को पकड़ना पुलिस के आगे चुनौती है।
देवबंद के नकुड़ इलाके में मंदिर में मांस फेंकने की घटना के साथ-साथ मिरागपुर क्षेत्र में बाबा फकीर दास के आश्रम में भी मांस फेंका गया। बाबा फकीर दास का असर उनके अनुयायियों में इतना है कि इस इलाके में लोग मांस, मदिरा, तंबाकू या कोई भी व्यसन से दूर रहते हैं। ऐसे में वहां ईद के दिन मांस फेंकने की घटना से लोगों में गुस्सा है। सरसावा में भी गौशाला में एक बोरे में गाय के अवशेष बंद करके कुछ लोग फेंक गए। सहारनपुर जिले में तीन घटनाएं हिंदू धार्मिक स्थलों में मांस फेंके जाने की हुई और आरोपी एक भी नहीं पकड़ा गया। इन घटनाओं के बाद हिंदू संगठनों ने अलग-अलग स्थानों पर बैठक आयोजित करके घटना के दोषियों को अभी तक नहीं पकड़े जाने पर नाराजगी जताई है।
बरेली के कोहड़ापीर के गुरु नानक सत्संग सभा गुरुद्वारे में बीती रात मांस फेंके जाने की घटना हुई। सेवादार हरदेव सिंह और ग्रंथी ज्ञानी किशन सिंह ने इस घटना की जानकारी प्रधान प्रबंधक हरपाल सिंह को दी। उन्होंने पुलिस को इस बारे में अवगत कराया। एसपी रविंद्र सिंह ने मौके पर पहुंच कर हालात का जायजा लिया। इस दौरान गुरुद्वारे में बड़ी संख्या में हिंदू सिख भी जमा हो गए। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे के जरिए आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।
सवाल ये उठता है कि पश्चिम यूपी के कई कस्बों में इस तरह को घटनाएं हुई हैं, जो किसी बड़ी साजिश का संकेत कर रही हैं। इन घटनाओं के जिम्मेदार लोगों की तलाश में पुलिस की कार्रवाई भी ढुलमुल दिखाई देती है। पुलिस को इस घटना के आरोपियों को बेनकाब करना भी एक चुनौती है।
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