उत्तर प्रदेश में वनों को धर्म, अध्यात्म एवं संस्कृति का केन्द्र बनाने की योजना पर काम शुरू हो गया है। भगवान राम के जीवन से सबको रूबरू कराने के लिए राज्य के बरेली जिले में रामायण वन विकसित किया जा रहा है। जिला मुख्यालय पर तैयार होने वाले इस वन में रामायण के सातों कांड का विस्तार से वर्णन अलग-अलग वाटिकाओं के जरिए देखने-समझने को मिलेगा।
बरेली जिला प्रशासन ने रामायण वन को विकसित करने के लिए 44 हजार वर्ग मीटर जमीन सुरक्षित कर ली है। इस पूरे क्षेत्र में विशेष तौर पर ऐसे पौधे रोपे जाने की योजना पर काम शुरू हुआ है, जिनका जिक्र रामायण में हुआ है। अगले दो महीने के अंदर रामायण वन में पौधे रोपे जाने की तैयारी है। खास बात ये है कि वन में रामायण के सभी सात कांड-बाल कांड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड, सुंदर कांड, किष्किन्धा कांड, लंका कांड और उत्तर कांड को अलग-अलग वाटिकाओं के जरिए वर्णित किया जाएगा।
प्रशासन ने बरेली नगर निगम, विकास प्राधिकरण और पर्यटन विभाग के अफसरों के साथ बैठक कर रामायण वन की योजना पर काम शुरू कर दिया है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम की बाल्यावस्था से लेकर वन गमन, लंका विजय, अयोध्या वापसी जैसे प्रसंगों को इस वन में दर्शाया जाएगा। इस काम के लिए साउंड सिस्टम के साथ डिसप्ले बोर्डों का उपयोग होगा। बरेली के एसडीएम सदर कुमार धर्मेन्द्र ने मीडिया को बताया कि जिला मुख्यालय पर परसाखेड़ा के पास रामायण वन विकसित करने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। यह वन सुदूर इलाकों से रुहेलखंड भ्रमण पर आने वाले सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनेगा।
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