उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को शिवसेना का समर्थन देने का फैसला किया है। उन्होंने इसकी घोषणा करते समय मीडिया से कहा कि यह निर्णय लेने के लिए उन पर कोई दबाव नहीं है। शिवसेना के कार्यकर्ता, शाखा प्रमुख जैसे कई लोगों ने राय दी थी कि वनवासी समाज से कोई राष्ट्रपति हो रहा है तो शिवसेना को उसका समर्थन करना चाहिए। इसके अनुसार हमने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का निर्णय किया है।
महाविकास आघाडी के नेता शरद पवार राष्ट्रपति पद के विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के प्रमुख समर्थक हैं, लेकिन आघाडी में शामिल शिवसेना ने मुर्मू को समर्थन का विशेष महत्त्व है। शिवसेना के इस निर्णय के पीछे एकनाथ शिंदे गुट ने जो बगावत की है, उसकी पृष्ठभूमि है। कल उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के सांसदों की बैठक ली थी। उसमें ज्यादातर सांसदों ने द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की मांग की थी। अगर उसे नजरअंदाज कर या निर्णय नहीं लिया होता तो सांसदों के बड़े गुट के शिंदे गुट में शामिल होने के आसार दिख रहे थे। इसलिए संसदीय दल में फूट रोकने के लिए ही ठाकरे को यह निर्णय लेना पड़ा, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है।
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एनडीए की बैठक दिल्ली में बुलाई गई। उसमें एकनाथ शिंदे गुट को आमंत्रित किया गया है। शिंदे गुट की ओर से इस गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर बैठक में उपस्थित रहेंगे। महाराष्ट्र से भाजपा, शिवसेना विधायक और सांसदों को मिलाकर द्रौपदी मुर्मू को अच्छी बढ़त मिलेगी।
शिवसेना की मांग, महाराष्ट्र में किसी मंत्री को शपथ न दिलाएं राज्यपाल
शिवसेना के बागी विधायकों को अयोग्य करार देने के विषय में उच्चतम न्यायालय ने खंडपीठ के सामने सुनवाई करने का आदेश 11 जुलाई को दिया है। इसको देखते हुए शिवसेना के महासचिव सुभाष देसाई ने राज्यपाल से मांग की है कि वे अभी एकनाथ शिंदे के मंत्रिमंडल के किसी भी मंत्री को शपथ न दिलाएं। शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार अगर देखा जाए तो मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण गैरकानूनी है और विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव भी गैरकानूनी है। विधानसभा में विश्वासमत का प्रस्ताव भी गैरकानूनी कहा गया है।
कल उच्चतम न्यायालय का फैसला आते ही मीडिया में बागी गुट को न्यायालय से राहत मिलने की खबरें फैलाई गयीं, वह बेबुनियाद होने का दावा राउत ने किया। उच्चतम न्यायालय की कार्रवाई की जानकारी देते हुए राउत ने बताया कि जब इस सुनवाई में अटार्नी जनरल तुषार मेहता अपनी दलील रख रहे थे तो मुख्य न्यायाधीश रामन्ना ने उन्हें रोकते हुए खंडपीठ के सामने अगली सुनवाई होगी, ऐसा आदेश दिया है। इसके साथ ही स्थिति को जस का तस रखने का भी आदेश दिया है। बागी गुट को इससे कोई राहत नही मिलेगी।
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