उत्तराखंड पद्माश्री अवधेश कौशल का निधन

उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण और जंगलों में रहने वाले गुज्जरों के लिए समर्पित किया जीवन आल वेदर रोड, देश की सुरक्षा के लिए जरूरी बताया था

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उत्तराखंड ब्यूरो

रूलक संस्था के प्रमुख,पद्मा श्री अवधेश कौशल का निधन होगया वे लंबे समय से अस्वस्थ्य चल रहे थे। वे करीब पिचासी साल के थे ।श्री कौशल को देहरादून को चूने की भट्टियों से निजाद दिलाने और राजा जी नेशनल पार्क के वन गुज्जरों को मताधिकार का हक दिलाने के लिए जाना जाता है।

अवधेश कौशल एक शैक्षणिक, और एक कार्यकर्ता रहे, जिन्हें भारत सरकार द्वारा कई नीति समीक्षा कार्यों पर नियुक्त किया गया है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था। कौशल ने कई वर्षों तक उत्तराखंड के मसूरी में सिविल सेवकों की प्रसिद्ध अकादमी में सार्वजनिक प्रशासन पढ़ाया। हाल ही में उन्हें ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना नरेगा की निगरानी के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा नियुक्त किया गया था।

अवधेश कौशल की संस्था रूलक, वन गुज्जरों के पशुओं के संरक्षण, उनके परिवारों की देखभाल का काम करती रही है । अपने संस्था के जरिए वे इस समुदाय के बच्चो को पढ़ाने उन्हे चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का सेवा कार्य करती थी।

उनका कहना था कि वन गुज्जर जंगल के सबसे बड़े रखवाले होते थे क्योंकि वो मांस नहीं खाते थे।लेकिन वन विभाग ने उन्हे जंगल से बाहर कर दिया।

अवधेश कौशल ऐसे पहले पर्यावरणविद थे जिन्होंने मोदी सरकार की आल वेदर रोड का देश हित में समर्थन करते हुए कहा था कि सीमाओं तक रोड का पहुंचना जरूरी है। जबकि देहरादून की एक बड़ी लॉबी ऑल वेदर रोड बनाए जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय पहुंची हुई थी।

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