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याद रहेगी शिंजो आबे से नरेन्द्र मोदी की दोस्ती, जानिए कैसा रहा उनका जीवन चक्र

शिंजो के पिता शिंतारो आबे जापान में युद्ध के बाद के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले और लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख सदस्य थे। उनकी मां योको किशी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री नोबोसुके किशी की बेटी थीं।

by WEB DESK
Jul 8, 2022, 06:15 pm IST
in भारत, दिल्ली
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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की बर्बर हत्या से भारत सकते में है। दरअसल शिंजो आबे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खास दोस्त रहे हैं। जब भी दोनों की मुलाकात हुई अलग ही गर्मजोशी देखने को मिली। प्रधानमंत्री रहते हुए जब शिंजो आबे भारत आए थे तो प्रधानमंत्री मोदी उन्हें अपने साथ वाराणसी दर्शन के लिए भी लेकर गए थे और दोनों राष्ट्र प्रमुखों ने यहां साथ में गंगा आरती की थी। इस दौरान शिंजो आबे का भारतीय संस्कृति और सभ्यता के प्रति स्नेह सभी ने देखा था। शिंजो आबे ने पूरी आस्था के साथ मोदी के साथ गंगा आरती की थी। जब शिंजो आबे भारत से रवाना हुए थे तो मोदी ने भगवद् गीता भी भेंट की थी।साल 2017 में प्रधानमंत्री मोदी उन्हें अहमदाबाद के साबरमती आश्रम लेकर भी गए थे।

शिंजो आबे का जन्म टोक्यो में 21 सितंबर, 1954 को हुआ था। शिंजो के पिता शिंतारो आबे जापान में युद्ध के बाद के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले और लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख सदस्य थे। उनकी मां योको किशी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री नोबोसुके किशी की बेटी थीं।

शिंजो ने अपनी शिक्षा सेइकी एलीमेंट्री स्कूल से शुरू की और फिर सेइकी जूनियर हाईस्कूल और सेइकी सीनियर हाईस्कूल में पढ़ाई की। बाद में राजनीतिक विज्ञान का अध्ययन करने के लिए सेइकी विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और यहां से 1977 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। शिंजो आबे सार्वजनिक नीति का अध्ययन करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए। वह केवल तीन सेमेस्टर तक वहां रुके और 1979 की शुरुआत में जापान लौट आए।

वह युवावस्था में ही राजनीति में सक्रिय हो गए। लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की जनरल काउंसिल के अध्यक्ष के निजी सचिव के रूप में अपने करियर की शुरुआत करते हुए ढाई दशक के भीतर पार्टी के अध्यक्ष और जापान के प्रधानमंत्री चुने गए। जब वह दूसरी बार अध्यक्ष बने, तो सबसे पहले टोक्यो के यासुकुनी श्राइन की यात्रा की। यहां द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद सैनिकों का स्मारक है। 1987 में आबे ने अकी मतसुजाकी से शादी की।

उनके पिता शिंतारो आबे की 1991 में मृत्यु हो गई। 1993 में शिंजो आबे ने अपने पिता की मृत्यु से खाली हुए यामागुची प्रान्त के पहले जिले से सीट जीतकर प्रतिनिधि सभा में प्रवेश किया।

1999 में शिंजो आबे सामाजिक मामलों के प्रभाग के निदेशक बने। 2002 से 2003 तक अबे ने उप मुख्य कैबिनेट सचिव का पद संभाला। 2002 में उत्तर कोरिया ने 13 जापानी नागरिकों के अपहरण की बात स्वीकार की तो आबे को उनकी सरकार ने अपहरणकर्ताओं के परिवारों की ओर से बातचीत के लिए चुना। उत्तर कोरिया के खिलाफ आबे के कड़े रुख को राष्ट्र ने काफी सराहा और उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। वह 2003 में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के महासचिव बने। आबे को 20 सितंबर, 2006 को अध्यक्ष चुना गया। छह दिन बाद प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव हुआ। आबे ने यह चुनाव बहुमत से जीता। इसके बाद कई उतार-चढ़ाव आए। 26 दिसंबर, 2012 को आबे को दोबारा जापान के प्रधानमंत्री बने।

उन्होंने पहली बार जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना की और सैन्य विस्तार के लिए एक पंचवर्षीय योजना की घोषणा की। 2014 की दूसरी छमाही से जापान मंदी में चला गया और आबे की लोकप्रियता में गिरावट आई। आबे ने निचले सदन के चुनाव का आह्वान किया। 14 दिसंबर, 2014 को हुए चुनाव में उनकी पार्टी ने शानदार जीत हासिल की।

शिंजो आबे को भारत ने वर्ष 2021 में पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित किया था। जापान में आर्थिक सुधार लागू करने के लिए उनके काम को खूब सराहा जाता है। जापान को भारत का विश्वसनीय दोस्त और आर्थिक सहयोगी बनाने में आबे की अहम भूमिका रही है।

Topics: शिंजो आबे का जीवन सफ़रशिंजो आबे का जीवनपीएम मोदी और शिंजो आबे कि दोस्तीमोदी और शिंजो कि दोस्तीLife Journey of Shinzo AbeLife of Shinzo AbeFriendship of PM Modi and Shinzo AbeFriendship of Modi and Shinzo
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