विधायक के शिवसेना के बागी शिंदे गुट में दाखिल होने के बाद अब नगर निगम के पार्षदों का जाने का दौर शुरू हुआ है। गुरुवार को ठाणे नगर निगम के 66 और नवी मुंबई नगर निगम के 30 पार्षदों ने शिंदे गुट में शामिल होने की बात घोषित की। शिवसेना का अब मुंबई से लेकर गांव देहात तक दो गुट में बंटने का दौर शुरू रहेगा, ऐसा लग रहा है। शिंदे गुट के विधायक अब अपने चुनाव क्षेत्र में वापस गए हैं। चालीस विधायकों में केवल पांच विधायक मुंबई के हैं और 35 विधायक महाराष्ट्र के अन्य क्षेत्र से आते हैं। शिवसेना के नगर निगम, नगरपालिका और ग्रामपंचायत तक के कार्यकर्ता इन विधायकों के प्रभाव के कारण शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं। शिवसेना का दो गुट में बंटने का दौर चलता रहा तो शिंदे गुट चुनाव आयोग से शिवसेना नाम और शिवसेना के चुनाव चिन्ह के लिए दावा कर सकता है। इस दृष्टि से ठाणे और नवी मुंबई नगर निगम के पार्षद शिंदे गुट में जाना एक महत्त्वपूर्ण घटना है।
शिंदे गुट बार-बार यह दावा कर रहा है कि वही शिवसेना है। 11 जुलाई को उच्चतम न्यायालय का विधायकों की अयोग्यता पर क्या फैसला आएगा उसपर आगे की रणनीति निर्भर है। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के गुट में असली शिवसेना कौन, यह सवाल आगे आएगा। अभी पार्षद से लेकर सांसदों तक गुट बदलने का दौर चलता रहेगा ऐसा लग रहा है।
गुरुवार को ठाणे नगर निगम के 66 पार्षद शिंदे गुट में शामिल हुए। ठाणे नगर निगम में शिवसेना के 67 पार्षद हैं, उसमें से केवल नंदिनी विचारे को छोड़कर सभी 66 पार्षद शिंदे गुट में शामिल हुए। नंदिनी विचारे के पति राजन विचारे को हाल ही में संसद में चीफ व्हिप नियुक्त किया गया है। ठाणे में शिवसेना के दिवंगत नेता आनंद दिघे का प्रभाव है। दिघे के बाद एकनाथ शिंदे ही शिवसेना के नेता रहे हैं। पार्षद शिंदे गुट में दाखिल होने की जानकारी शिवसेना जिला प्रमुख रहे नरेश म्हस्के ने दी।
नवी मुंबई नगर निगम में शिवसेना के 38 पार्षद हैं जिसमें से 30 ने शिंदे गुट में प्रवेश किया है। नगर निगम में शिवसेना के गुटनेता विजय चौगुले समेत 30 पार्षद ने एकनाथ शिंदे के साथ जुड़ने का निर्णय लिया। बाकी आठ पार्षद चौगुले के साथ संघर्ष के चलते इन के साथ नहीं हैं। आगे चलकर चुनाव के समय इन पार्षदों के भी शिंदे गुट मे शामिल होने की चर्चा है।
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