भारत के बीस से पच्चीस शहरों में इस वर्ष के अंत तक 5जी काम करने लगेगा। यह इंटरनेट की रफ़्तार में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। परंतु इसे लागू करने में चुनौतियां बहुत हैं
भारत में पांचवीं पीढ़ी की (5जी) दूरसंचार तकनीक उपलब्ध कराने की शुरुआत इसी साल हो जाएगी। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि इस साल के अंत तक बीस-पच्चीस शहरों में 5जी नेटवर्क काम करने लगेंगे। चूंकि आधा वर्ष बीत चुका है, इसलिए इतने शहरों में तुरत-फुरत 5जी नेटवर्क लाने की चुनौती सरल नहीं होगी और कहा जा सकता है कि सरकार की घोषणा काफी हद तक महत्वाकांक्षी है। लेकिन अगर हम ऐसा कर पाते हैं तो यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। भारत वैश्विक दूरसंचार मानचित्र पर विशेष जगह रखता है, कम से कम डेटा कनेक्टिविटी की कम लागत और डेटा के औसत प्रयोग के मामले में। देश में इंटरनेट कनेक्टिविटी का दायरा भी लगातार व्यापक होता जा रहा है।
5जी के लिए छह महीने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण रहेगा। इसके लिए अतिरिक्त ढांचा तैयार करने की जरूरत पड़ेगी। 5जी के लिए 4जी से एकदम अलग दूरसंचार वेवलैंथ (मिलीमीटर वेवलैंथ) का इस्तेमाल होता है। इसका अर्थ यह हुआ कि 5जी 4जी की तुलना में बहुत अधिक मात्रा में डेटा का परिवहन करने में सक्षम है। 4जी नेटवर्क पर जिस फिल्म को डाउनलोड करने में पांच मिनट लगते हैं, वही फिल्म 5जी नेटवर्क पर आधे मिनट में ही डाउनलोड हो जाएगी। लेकिन जहां तक दूरी का सवाल है, इसके संकेतों की रेंज बहुत कम है। जहां 4जी के संकेत 30 किलोमीटर दूर तक आसानी से पहुंच जाते हैं, वहीं 5जी के संकेत कुछ सौ मीटर तक ही पहुंच पाते हैं। दूसरे, रास्ते में आने वाली इमारतों तथा दूसरी बाधाओं को पार करने के मामले में 4जी के संकेत 5जी की तुलना में 30 गुना ज्यादा शक्तिशाली हैं।
तकनीकी दृष्टि से देखा जाए तो स्पष्ट है कि अगर हम 5जी का पूरा लाभ लेना चाहते हैं तो दूरसंचार कंपनियों को अवसंरचना का विस्तार करना होगा और इसके लिए काफी निवेश भी करना होगा। सीधे शब्दों में कहें तो कई गुना अधिक टावर बनाने होंगे और ये टावर सिर्फ खुले इलाकों में ही नहीं बल्कि शहरी इलाकों में भी बनाने होंगे। सवाल उठता है कि क्या यह ढांचा अगले छह माह में बनाया जा सकेगा? सरकार को स्वयं इस चुनौती का अहसास है और इसीलिए वह फिलहाल 20-25 शहरों की बात कर रही है। राष्ट्रीय स्तर पर 5जी की उपलब्धता में कई महीने या साल लग सकते हैं। सरकार की मंशा अच्छी है लेकिन बड़े पैमाने पर 5जी के तेज-रफ्तार क्रियान्वयन के लिए तकनीकी और आर्थिक चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक होगा।
5जी के आने से भारत में इंटरनेट की रफ़्तार में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। फिलहाल मोबाइल पर इंटरनेट की स्पीड के मामले में भारत दुनिया में 125 वें नंबर पर है। यह दावा दुनिया भर में इंटरनेट कनेक्टिविटी की रफ्तार को मापने वाली कंपनी ‘ऊकला’ का है। उसका कहना है कि ब्रॉडबैंड की रफ्तार के मामले में भारत 79वें नंबर पर ठहरता है। हालांकि दूसरी तरफ प्रति व्यक्ति औसत डेटा खपत के मामले में भारत 18 गीगाबाइट डेटा के साथ बाकी दुनिया से बहुत आगे है।
5जी को लाने की प्रक्रिया में पहला जरूरी काम शोध और अनुसंधान का है जिस पर देश में काफी काम हो चुका है। रिलायंस, एअरटेल, वोडाफोन आदि ने इस दिशा में अच्छी प्रगति की है। वैसे तकनीक बाहर से भी ली जा सकती है। दूसरा बड़ा कदम होगा उन दूरसंचार प्रदाताओं की पहचान करना, जो यह सेवा मुहैया कराएंगे। इसके लिए 5जी के मौजूदा स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 20 साल की
अवधि के लिए 72 गीगाहटज के एअरवेव्ज (ध्वनि तरंगों) की नीलामी के प्रस्ताव को हाल ही में मंजूरी दी है। सरकारी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद 26 जुलाई के बाद नीलामी की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है और केंद्र सरकार ने इच्छुक दूरसंचार कंपनियों से प्रस्ताव मांगें हैं।
5जी के आने से भारत में इंटरनेट की रफ़्तार में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। फिलहाल मोबाइल पर इंटरनेट की स्पीड के मामले में भारत दुनिया में 125 वें नंबर पर है। यह दावा दुनिया भर में इंटरनेट कनेक्टिविटी की रफ्तार को मापने वाली कंपनी ‘ऊकला’ का है। उसका कहना है कि ब्रॉडबैंड की रफ्तार के मामले में भारत 79वें नंबर पर ठहरता है। हालांकि दूसरी तरफ प्रति व्यक्ति औसत डेटा खपत के मामले में भारत 18 गीगाबाइट डेटा के साथ बाकी दुनिया से बहुत आगे है। जहां दुनिया का आंकड़ा 11 गीगाबाइट है, वहीं भारत औसतन करीब डेढ़ गुना डेटा की खपत कर रहा है। 5जी के आने से भारत में डेटा की रफ्तार कई गुना बढ़ जाएगी और उसके साथ ही कामकाज के बहुत सारे क्षेत्रों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। खास तौर पर उद्योग जगत, स्वास्थ्य सेवाओं, संचार, सरकारी सेवाओं, मनोरंजन, खेती-बाड़ी, रक्षा क्षेत्र आदि पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा। स्मार्ट शहरों के विकास तथा इंटरनेट आफ थिंग्स जैसी नई तकनीकों के प्रसार को इससे काफी गति मिल सकती है जो घरों, दफ्तरों, प्रयोगशालाओं और सड़कों आदि में इंटेलिजेंट उपकरणों, इंटेलिजेंट वाहनों आदि के इस्तेमाल का रास्ता साफ करेगा।
(लेखक माइक्रोसॉफ्ट में ‘निदेशक- भारतीय भाषाएं और सुगम्यता’
के पद पर कार्यरत हैं)
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