यह इतिहास की विडंबना ही है कि देश को गणतंत्र का उपहार देने वाला राज्य बिहार आजादी के बाद अभिशप्त रहा। बिहार भारतीय राजनीति का लगभग हजार वर्ष तक केंद्रबिंदु था। मगध से ही भारतीय राजनीति की दशा और दिशा तय होती थी, लेकिन दुर्भाग्य है कि स्वाधीनता के बाद भी कांग्रेस ने बिहार की घनघोर उपेक्षा की। पिछले 75 वर्ष में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री ने बिहार विधानसभा परिसर में कदम नहीं रखा। बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी समारोह में हिस्सा लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस जड़ता को तोड़ेंगे। बिहार विधानसभा परिसर भी प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए दुल्हन की तरह सज रहा है। 12 जुलाई को सायं 05 बजे प्रधानमंत्री बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह में आएंगे। एक से डेढ़ घंटे तक शताब्दी समारोह आयोजित होगा।
बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा और सभी सदस्यगण प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी का मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए उत्सुक हैं। प्रधानमंत्री 12 जुलाई को ही पटना पहुचेंगे और विधानसभा परिसर में निर्मित बिहार विधानसभा शताब्दी स्मृति स्तंभ का अनावरण करेंगे। इसके साथ ही वे बिहार विधानसभा संग्रहालय और विधायक अतिथि निवास का शिलान्यास करेंगे। संग्रहालय के निर्माण के लिए बिहार सरकार ने 48.76 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। प्रधानमंत्री विधानसभा परिसर में कल्पतरु पौधे का रोपण एवं शताब्दी स्मृति उद्यान का नामकरण भी करेंगे।
बता दें कि इस समय बिहार विधानसभा भवन का शताब्दी वर्ष समारोह चल रहा है। इस समारोह में 21 अक्तूबर, 2021 को महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आए थे। अपने प्रवास के क्रम में उन्होंने बोधगया से लाए बोधिवृक्ष के पौधे का रोपण किया था। इसके अतिरिक्त उन्होंने शताब्दी स्मृति स्तंभ का शिलान्यास भी किया था। प्रधानमंत्री इस शताब्दी स्मृति स्तंभ का अनावरण करेंगे। यह स्तंभ 25 फीट ऊँचा और अष्टकोणीय है। इसमें कुल 100 पट्टिकायें हैं जो विधानसभा भवन के 100 वर्ष पूरे होने का संकेत करती हैं। इस स्तंभ के ऊपर 15 फीट ऊँची धातु का बोधिवृक्ष है। बोधिवृक्ष में 9 मुख्य शाखाएं बिहार के 9 प्रमंडल को अंकित करती हैं तथा 38 शाखाएं बिहार के 38 जिलों को रेखांकित करती हैं। इसकी 243 पत्तियाँ बिहार विधानसभा के 243 सदस्यों की प्रतीक हैं।
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