तानाशाही से बचने को चीनी कर रहे पलायन, पिछले दस साल में सात लाख से ज्यादा जा बसे विदेश में
May 28, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

तानाशाही से बचने को चीनी कर रहे पलायन, पिछले दस साल में सात लाख से ज्यादा जा बसे विदेश में

एनजीओ 'सेफगार्ड डिफेंडर्स' की रिपोर्ट बताती है कि उइगर मुसलमानों ही नहीं, चीन अपने राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों, मानवाधिकारों की बात करने वालों का जीना मुहाल कर देता है

by Alok Goswami
Jul 6, 2022, 02:00 pm IST
in विश्व
चीन में कम्युनिस्ट राज से त्रस्त हैं आम चीनी (प्रतीकात्मक ​चित्र)

चीन में कम्युनिस्ट राज से त्रस्त हैं आम चीनी (प्रतीकात्मक ​चित्र)

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

कम्युनिस्ट शासित चीन में चीजें भले ही संभली हुई दिखती या दिखाई जाती हों, लेकिन सच यह है कि वहां राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तानाशाही से लोग त्रस्त हैं। इस बात की पुष्टि वहां से आए आंकड़े खुद कर रहे हैं। हालांकि दुनिया में चीन ने अपने दुष्प्रचार से भले अपनी ‘विकसित’ तस्वीर दिखाई हो, लेकिन असल में तो ​गुजरे 10 साल में वहां से 7 लाख से ज्यादा लोग पलायन कर चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि कम्युनिस्ट सत्ता के शिखर पर बैठे शी जिनपिंग ने राष्ट्रपति बनने के बाद से चीन को भले ही सामरिक दृष्टि से बहुत मजबूत किया है। लेकिन इस कालखंड में सरकारी दमन का जो चक्र चला है उससे लाखों लोग खुद को दमन का शिकार महसूस कर रहे हैं।

चीन के तानाशाह राष्ट्रपति शी जिनपिंग

चीनी शासकों की नजर इस मुद्दे पर बहुत पहले से है। इसीलिए विदेशों से उसने अपने बहुत से नागरिकों को ‘डीपोर्ट’ भी कराया है। हालांकि लोग चीन लौटकर नहीं आना चाहते, लेकिन उन्हें जबरन ‘डीपोर्ट’ होना पड़ रहा है।

राष्ट्रपति जिनपिंग के तानाशाही राज से खुद को बचाने के लिए लोग विदेशों में शरण मांगने को मजबूर हैं और आंकड़ों की बात करें तो इधर 10 साल में 7 लाख 30 हजार से ज्यादा चीनी अमेरिका सहित अन्य देशों में बस चुके हैं। देखने में यह भी आया है कि चीन छोड़कर जाने वालों में सबसे ज्यादा लोग अमेरिका गए हैं। अमेरिका के बाद ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, यूूके और दक्षिण कोरिया का नंबर आता है।

इस विषय पर ‘हांगकांग पोस्ट’ की रिपोर्ट काफी रोशनी डालती है। इस समाचार पत्र के अनुसार, गत दस वर्ष में यानी 2012 से 2022 में अभी तक करीब साढ़े सात लाख लोग विदेशों में शरण मांग चुके हैं। लेकिन सभी की अपील स्वीकारी नहीं गई है, क्योंकि उसमें से कुल एक लाख 70 हजार लोगों को ही शरण के लिए स्वीकृति मिली है।

पता चला है कि अमेरिका ने सबसे ज्यादा 88,722 अर्जियां स्वीकारी हैं। शोध करने वाली एक एनजीओ है ‘सेफगार्ड डिफेंडर्स’। इसके अनुसंधानकर्ता जिंग जी चेन इस मामले पर कहते हैं कि प्राप्त डाटा बताता है कि पिछले दिनों चीन में लागू जीरो कोविड नीति और कड़े लॉकडाउन के बहाने सरकार ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था। लोग कैसे भी शंघाई आदि शहरों से निकलकर दूसरे देश जा बसने को उतावले थे।

चीन छोड़कर जाने के लिए चीनियों को सबसे पहले अमेरिका ही दिखता रहा है। इसलिए शरण मांगने के सबसे ज्यादा अनुरोध अमेरिका से किए जाते हैं। लोग इस कोशिश में रहते हैं कि कैसे भी अमेरिका की नागरिकता हासिल हो जाए, बस। चेन कहते हैं कि चीन से अमेरिका जा बसने की तमन्ना पाले लोग तरह—तरह के रास्ते अपनाते की जुगत करते हैं, कुछ विदेश में शिक्षा के लिए जाने की बात करते हैं तो कुछ निवेश वीसा पर, और कुछ तो नागरिकता कार्ड लेकर देश छोड़ने को तैयार बैठे रहते हैं।

लेकिन क्या चीन की कड़ी सत्ता इस विषय में कुछ नहीं कर रही? ऐसा नहीं है, चीनी शासकों की नजर इस मुद्दे पर बहुत पहले से है। इसीलिए विदेशों से उसने अपने बहुत से नागरिकों को ‘डीपोर्ट’ भी कराया है। हालांकि लोग चीन लौटकर नहीं आना चाहते, लेकिन उन्हें जबरन ‘डीपोर्ट’ होना पड़ रहा है। इस मामले में चीन की सरकारी एजेंसियां निगरानी कार्यक्रम के अंतर्गत देश छोड़कर जाने वालों पर नजर रखती हैं और उन्हें न जाने को लेकर प्रताड़ित करती हैं।

रूशन अब्बास: अमेरिका में रहकर चीन के दमन के विरुद्ध एक सशक्त आवाज उठा रहीं उइगर

उइगर एक्टिविस्ट रूशन अब्बास की पीड़ा को कौन नहीं जानता। वे वर्षों से अमेरिका में रहकर चीन में प्रताड़ित किए जा रहे उइगरों के मानवाधिकारों और चीन की ज्यादतियों के विरुद्ध संघर्षरत हैं।

ठीक ऐसा ही मामला सिंक्यांग में दमन झेल रहे हजारों उइगरों के साथ हुआ है। कई ​परिवार अपने परिजनों को चीनी प्रताड़ना से बचाने के लिए किसी तरह विदेश भेजते रहे हैं। तुर्किए यानी तुर्की में जा बसे हजारों उइगरों को चीन ने कुछ समय पहले ​’डीपोर्ट’ कराया था। ऐसे उइगरों का पता लगाकर चीन उन्हें वापस लौटने को मजबूर करके उन्हें देश छोड़कर जाने का कथित दंड देता है। ऐसे कई उइगर अमेरिका में हैं और वहां रहकर उइगरों की मुक्ति के अभियान चला रहे हैं। उइगर एक्टिविस्ट रूशन अब्बास की पीड़ा को कौन नहीं जानता। वे वर्षों से अमेरिका में रहकर चीन में प्रताड़ित किए जा रहे उइगरों के मानवाधिकारों और चीन की ज्यादतियों के विरुद्ध संघर्षरत हैं।

अपने इस प्रयास में चीन अनेक बार कानूनी कायदों को भी ताक पर रखता रहा है। वह संबंधित देश पर अपना राजनीतिक दबदबा दिखाता है। एनजीओ ‘सेफगार्ड डिफेंडर्स’ की पिछले साल की रिपोर्ट बताती है कि उइगर मुसलमानों ही नहीं अपने राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों, मानवाधिकारों की बात करने वालों पर चीन अपने सूत्रों से बराबर नजर रखता है और मौका आने पर उनका जीना मुहाल कर देता है। हांगकांग में हजारों लोकतंत्र समर्थक युवा कार्यकर्ता विदेश में शरण यूं ही नहीं लिए बैठे हैं। वहां राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के नाम पर किस तरह चीन का दमनकारी डंडा चला है, यह कोई छुपा तथ्य नहीं है।

Topics: visaamericaxijinpingexodusdictatorshipasylumChina
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Representational Image

बांग्लादेशियों संग न करना शादी, जानिए चीन ने क्यों जारी की चीनियों के लिए ऐसी एडवाइजरी

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

‘देशों को लड़वाओ, अपने हथियार बेचो, ये है अमेरिका की चाल’, जिन्ना के देश के रक्षा मंत्री का अमेरिका पर गंभीर आरोप

पाकिस्तान सबसे ज्यादा चीन से पैसा और फौजी सहायता पा रहा है

भारत को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है जिन्ना का देश, DIA की ताजा रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा

चीन की महत्वाकांक्षा एक वैश्विक महाशक्ति बनने की है

कम्युनिस्ट ड्रैगन कर रहा दुनिया भर में जासूसी, ताजा रिपोर्ट से खुलासा हुआ China के सबसे बड़े गुप्तचर तंत्र का

बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ पाकिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार

Wang से मिलकर भी खाली हाथ रहे पाकिस्तानी विदेश मंत्री Dar, चीनी विदेश मंत्री ने दोहराया ‘आपस में बातचीत’ का फार्मूला

बीजिंग में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अंतरराष्ट्रीय विभाग के मंत्री ल्यू जियानचाओ के साथ इशाक डार

चीनी नेताओं के सामने इशाक डार ने फर्जी आंसू टपकाए, आज मिलेंगे चीनी विदेश मंत्री से

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

वीर सावरकर

वीर सावरकर : हिंदुत्व के तेज, तप और त्याग की प्रतिमूर्ति

आज़हरुल इस्लाम

बांग्लादेश में आजाद घूमेगा 1000 से अधिक हत्या करने का आरोपी, जमात नेता आज़हरुल इस्लाम की सजा रद

मुख्य आयोजन स्थल

उत्तराखंड : 21 जून को भराड़ीसैंण में होगा योग दिवस का मुख्य आयोजन, सीएम के साथ 10 देशों के राजदूत होंगे शामिल

विजय पुनम

ओडिशा में नक्सलियों को बड़ा झटका : रायगडा में कुख्यात विजय ने किया आत्मसमर्पण

Representational Image

बांग्लादेशियों संग न करना शादी, जानिए चीन ने क्यों जारी की चीनियों के लिए ऐसी एडवाइजरी

पाकिस्तानी फाैज द्वारा बलूचिस्तान से जबरन गायब किए गए लोगों के परिजन­

हवाई घोषणा नहीं, पूर्ण स्वतंत्रता लक्ष्य

मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मोहम्मद अमीर अहमद खान

शिक्षाविद् का मुखौटा, विचार जहरीले

terrorist tadwas house blew up by the the forces

Amritsar Blast: विस्फोट में मरने वाला आतंकी था, डीआईजी सतिंदर सिंह ने की पुष्टि

AMCA project Approves by defence ministry

रक्षा मंत्रालय ने AMCA को दी मंजूरी: पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान परियोजना को मिलेगी गति

Ghaziabad constable Saurabh murder case

गाजियाबाद में कॉन्स्टेबल सौरभ की हत्या के मामले में कादिर समेत अब तक 15 आरोपी गिरफ्तार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies