एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव मैंने ही पार्टी के नेताओं के सामने रखा और उन्होंने उसे अनुमति दे दी। सत्ता के बाहर रहने का विचार मेरा था, लेकिन सरकार के बाहर असंवैधानिक नियंत्रण रहना ठीक नहीं यह विचार कर हमारे नेताओं ने मुझे सरकार में शामिल होने की आज्ञा दी। इसके बाद मैंने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। महाराष्ट्र के सत्तास्थापना में पर्दे के पीछे हुए महानाट्य की जानकारी महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने संवाददाता संमेलन में दी। फडणवीस के नाराज होने की जो चर्चा चल रही थी, उसे उन्होने पूर्णविराम दे दिया।
उन्होंने कहा कि मैं जब शिवसेना के विधायकों से मिलता था तो उनमें एक बेचैनी मालूम पड़ती थी। महाविकास आघाडी में शिवसेना को मुख्यमंत्री का पद मिला, लेकिन बाकी दल कमजोर हो गया। विधायक कहते कि अगले चुनाव में हम लोगों से वोट कैसे मांगेंगे। हिंदुत्व का विरोध करनेवालों के साथ हम खड़े हैं। उनकी मदद करने का हमने निर्णय किया। शिंदेजी के नेतृत्त्व में 40 विधायक और निर्दलीय 10 विधायक ऐसा पचास लोगों का ग्रुप बना। प्रधानमंत्री मोदीजी, गृहमंत्री अमित शाहजी और पार्टी के अध्यक्ष नड्डाजी से बात हुई। उन्होंने सही निर्णय किया। मेरा विचार था कि ढाई साल से हमारे ऊपर आलोचना चल रही थी कि हम मुख्यमंत्री पद, सत्ता पाने के लिए लालायित हैं। इसलिए मैंने चर्चा में शिंदेजी को मुख्यमंत्री पद देने का प्रस्ताव पार्टी के नेताओं के सामने रखा और उन्होंने अनुमति दे दी। यह तय हुआ था कि मैं स्वयं सरकार के बाहर रहूंगा, लेकिन पत्रकार परिषद के बाद मेरे घर पर नड्डा जी का फोन आया। उन्होंने कहा कि सत्ता के बाहर एक्स्ट्रा कॉन्स्टीट्यूशनल अॅथारटी के हम खिलाफ हैं। उन्होंने इच्छा जाहिर की कि मुझे सत्ता में जाना चाहिए। वैसी ही इच्छा अमित शाह जी और प्रधानमंत्री मोदी जी ने प्रकट की और फिर मैंने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। फडणवीस ने कहा कि, मेरे नेताओं नें मुझे सत्ता के सर्वोच्च पद पर बिठाया है, अब वे अगर मुझे घर जाने को कहते तो भी मान लेता। सरकार की स्थिरता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ‘शिंदेजी मेरे सहयोगी रहे हैं। मैं पूरी ताकत के साथ उनके साथ खड़ा रहूंगा। हमारी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी और बाद में जनादेश लेकर फिर सत्ता में आएंगे।
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