पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा को लेकर चुनाव के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई ने क्या क्या आरोप लगाए थे, वे किसी से छुपे नहीं हैं। एक वक्त तो यह चर्चा भी चली थी कि सेना इमरान को कुर्सी से हटाने की जुगत में है। आईएसआई प्रमुख की नियुक्ति को लेकर भी बाजवा और इमरान के बीच तकरार सबके सामने आ गई थी।
उल्लेखनीय है कि अभी पिछले दिनों पीटीआई प्रमुख इमरान खान ने एक नया आरोप लगाया था कि उनके कुछ उम्मीदवारों ने उनसे शिकायत की थी कि उन्हें अनजान नंबरों से फोन आ रहे थे। इन फोन के माध्यम से पीटीआई के नेताओं तथा कार्यकर्ताओं पर दबाव डाला जा रहा था कि उपचुनाव कराए जाएं। पीटीआई ने आईएसआई के कुछ अफसरों पर पार्टी को नुकसान पहुंचाने के लिए पंजाब में होने वाले उपचुनावों में हेरफेर करने के लिए राजनीतिक जोड़—तोड़ में शामिल होने की बात भी की थी।
इतना ही नहीं, कुर्सी से हटते—हटते भी इमरान ने सेना पर खुलकर उंगली उठाई थी। ऐसे में फौज और उसके अगुआ के माथे पर शिकन पड़नी ही थी। इस सारी पृष्ठभूमि में जनरल बाजवा का नया फरमान आया है कि फौज और आईएसआई के अधिकारी नेताओं से बात करते न दिखें, वे राजनीति से फासला बनाकर रखें। पाकिस्तान की राजनीति के जानकारों के बीच बाजवा का नया फरमान उसी का एक असर माना जा रहा है। जनरल बाजवा ने अपने सभी कमांडरों तथा गुप्तचर संस्था आईएसआई के प्रमुख अधिकारियों को साफ कह दिया है कि वे राजनीति से दूर रहें और नेताओं के साथ बात तक करने से बचें।
पीटीआई की नेता और पंजाब की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री यास्मीन राशिद ने भी पिछले दिनों आईएसआई के सेक्टर कमांडर का नाम लेकर उन पर पंजाब में उपचुनाव कराने के लिए जोड़—तोड़ में शामिल होने का आरोप लगाया था। मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार, उससे पहले पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी आरोप लगाया था कि ‘कुछ अदृश्य ताकतें’ पंजाब उपचुनाव में पीटीआई को नुकसान पहुंचाने की कोशिशों में लगी हैं।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पीटीआई को फौज को ऐसे ही बदनाम करने के बजाय सबूत सामने रखने चाहिए थे। अगर कोई छोटा—मोटा सबूत भी दिया जाता है तो गलती करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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