ट्विटर पर कल से #ArrestLeenaManimekalai ट्रेंड कर रहा है। लीना मणिमेकलाई ने शनिवार को अपनी डॉक्यूमेंट्री काली का पोस्टर शेयर करते हुए बताया कि उनकी फिल्म कनाडा फिल्म फेस्टिवल में लॉन्च हो चुकी है। उन्होंने जो पोस्टर शेयर किया है उसमें मां काली को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है। इस पर लोग आक्रोशित हैं और सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए लिख रहे हैं। हमारे आराध्य देवी देवताओं का ऐसा उपहास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, फिल्म निर्माता लीना मणिमेकलई को गिरफ्तार किया जाए और इस डॉक्यूमेंट्री को भारत में प्रतिबंधित करें।
इस विषय पर आज बहुत से लोगों के मन में गुस्सा है, लेकिन एक बड़ी बात ये है कि इस पर भारत में लोगों ने सड़कों पर कब्जा नहीं कर लिया और कहीं शाहीन बाग नहीं बनाया गया, कहीं पत्थरबाजी नहीं की गई, कहीं सर तन से जुदा के नारे नहीं लगाए गए। जरा सोचिए इसी तरह का अपमान किसी और पंथ का होता तो क्या होता ?
ऐसी फिल्मों के नाम, जिनमें देवी-देवताओं का किया गया अपमान
मूवी PK
19 दिसम्बर 2014 में आई मूवी PK में भगवान शंकर के एक किरदार को एलियन से डरकर शौचालय में भगा दिया गया। वह केवल एक किरदार नहीं, हिंदुओं के आराध्य भगवान शिव को दर्शाता किरदार था। इस तरह कर हिंदुओं की भावना को आहत किया गया।
वेब सीरीज सीरीज तांडव
15 जनवरी 2021 को रिलीज हुई वेब सीरीज सीरीज तांडव (Tandav)। इस वेब सीरीज में अभिनेता जीशान अयूब ने विवेकानंद नेशनल यूनिवर्सिटी (वीएनयू) के एक ऐसे छात्र ‘शिवा शेखर’ की भूमिका निभाई है, जो बिहार से यूपीएसई की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली आया है। जीशान अयूब की एंट्री होती है, छात्रों के बीच चल रहे एक कार्यक्रम से, जिसमें वो एक नाटक के दौरान हाथ में त्रिशूल और डमरू लिए भगवान शिव का रूप धारण किए हुए है।
नाटक के दौरान छात्रों के बीच आजादी-आजादी के नारे लगते हैं और जीशान अयूब के मुंह से आपत्तिजनक शब्द निकलते हैं। एक तरह से इस सीन को जेएनयू से जोड़कर दिखाया गया है। तांडव वेब सीरीज के इसी सीन और जीशान अयूब के भगवान भोलेनाथ के रूप में बोले गए डायलॉग को लेकर ही सबसे ज्यादा विरोध हुआ था।
इसी विवादित सीन को लेकर हिंदु समुदाय द्वारा तांडव वेब सीरीज (Tandav Web Series) का विरोध किया गया था। जिसके बाद मामला इतना ज्यादा बढ़ गया कि यूपी सरकार ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया।
‘अतरंगी रे’
21 दिसम्बर 2021 को रिलीज हुई फ़िल्म ‘अतरंगी रे’। इस फिल्म के कई दृश्यों में हिन्दू देवी-देवताओं और धर्मग्रंथों का अपमान किया गया है, जिससे लोग आक्रोशित हैं। भगवान शिव और हनुमान जी को लेकर अपशब्दों का प्रयोग किया गया है, तो रामायण की भी आपत्तिजनक व्याख्या की गई है। फिल्म में हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के को दिखा कर ‘लव जिहाद’ को भी बढ़ावा दिया गया है।
फिल्म के एक दृश्य में सारा अली खान कहती हैं, “हनुमान जी का प्रसाद समझे हैं, जो कोई भी हाथ फैलाएगा और हम मिल जाएँगे?
ब्रह्मास्त्र
9 सितंबर 2022 को आ रही फिल्म ब्रह्मास्त्र (Brahmastra) का ट्रेलर रिलीज हो गया है। इसमें मंदिर के अंदर रणबीर जूते पहनकर एंट्री ले रहे हैं और जूता पहनकर मंदिर की घंटियां बजा रहे हैं। रणबीर कपूर एक हिन्दू समुदाय से हैं, क्या वो नही जानते कि मंदिर में जूते-चप्पल पहनकर नहीं जाते। इस दृश्य को देखकर लोगों में गुस्सा है और इस फिल्म का बहिष्कार करने की भी बात की जा रही है।
इस तरह जान-बूझकर मंदिर, देवी-देवताओं का अपमान और महत्वपूर्ण बात ये है कि ये सब अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किया जा रहा है। सोचिए विचारों को प्रकट करने की आजादी जिसे अभिव्यक्ति का अधिकार कहा जाता है, वो कैसे सीमाओं को पार कर जाता है और हिंदू देवी-देवताओं के अपमान को सही ठहराने लगता है।
सोचिए हमारे देश में न्यूज चैनल्स पर धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देने का आरोप लगता है। हिन्दू-मुस्लिम करने के आरोप लगाए जाते हैं, लेकिन जब मनोरंजन के नाम पर फिल्मों में हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया जाता है तो इस पर हमारे देश के बुद्धिजीवी मौन क्यों हो जाते हैं ?
(लेखक सोशल मीडिया विशेषज्ञ हैं)
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