राजस्थान में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालने पर उन्मादियों द्वारा एक हिंदू दुकानदार कन्हैया की हत्या से पूरे देश में आक्रोश का माहौल है। उन्मादियों ने न सिर्फ हत्या की बल्कि उसका वीडियो भी बनाया और हिंदुओं को धमकी भी दी। इस मामले में पुलिस-प्रशासन के लचर रवैये को जिम्मेदार माना जा रहा। फिलहाल दोनों उन्मादी गिरफ्तार कर लिये गए हैं और मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई है
हिन्दुत्व की रक्षा के लिए ख्यात राजे-रजवाड़ों का प्रदेश राजस्थान आज हिंदुओं के लिए असुरक्षित स्थान बन गया है। न सिर्फ पिछले एक वर्ष में जिहादियों द्वारा 10 हिंदुओं की हत्या कर दी गई बल्कि बीते तीन महीनों में वर्ष प्रतिपदा और रामनवमी पर हिंदुओं के धार्मिक जुलूस पर हमले हुए। उन्मादियों का दुस्साहस बढ़ने के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार की तुष्टीकरण की नीति को जिम्मेदार माना जा रहा है। इस सिलसिले में ताजा घटना उदयपुर में हुई जहां एक हिंदू दुकानदार उन्मादियों का शिकार बना। इस हत्या से प्रदेश समेत पूरे देश में आक्रोश का माहौल है।
कन्हैया की दिनदहाड़े हत्या
उदयपुर में नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने पर कन्हैयालाल साहू (42) की 28 जून को दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। हमलावर कपड़े सिलवाने के बहाने उसकी दुकान में आए थे। सूत्रों के अनुसार कन्हैया की गर्दन पर 26 बार धारदार हथियार के गहरे घाव और सिर पर एक गहरा घाव होने की पुष्टि हुई है। गर्दन सिर्फ एक तरफ हल्की-सी खाल से अटकी हुई थी, शेष 98 प्रतिशत गर्दन कटकर अलग हो गई थी। पिछले 15 साल से अंत्यपरीक्षण करने वाले विशेषज्ञ डॉक्टरों की आंखें भी गर्दन को अलग देखकर पथरा गई थीं। हालांकि अंत्यपरीक्षण रिपोर्ट फिलहाल लिफाफे में बंद है। गोवर्धन विलास इलाके के निवासी कन्हैया की यहां धानमंडी स्थित भूतमहल के पास सुप्रीम टेलर्स नाम से दुकान है। आतंकी हमले में कन्हैया की दुकान पर काम करने वाला कारीगर ईश्वर भी गंभीर रूप से घायल हुआ, जिसे एमबी हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। वारदात के समय कन्हैया की दुकान पर दो कारीगर ईश्वर और राजकुमार कपड़े सिल रहे थे।
उन्मादियों का गढ़ बना राजस्थान
हमेशा शांत रहने वाला देश का पश्चिमी सीमावर्ती राज्य राजस्थान अशांत है। कर्फ्यू, नेटबंदी, आगजनी, तोड़फोड़, पत्थरबाजी, तलवारबाजी और हत्याओं जैसे शब्दों के साथ जनता अभ्यस्त हो गई है। बहुसंख्यक हिन्दू समाज निर्भय होकर अपने त्यौहार, रथयात्राएं, धार्मिक आयोजन या रैली नहीं निकाल सकता। मन में तरह-तरह की आशंका बनी रहती है, इसके ठोस कारण हैं। बहुत ज्यादा पीछे नहीं जाएं और पिछले एक वर्ष की बात करें तो राजस्थान में कथित मुस्लिम उन्मादियों ने दस लोगों की निर्मम हत्या की है। राज्य के करौली, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, जोधपुर, हनुमानगढ़ और बूंदी जिलों में दंगे हुए या तनावपूर्ण हालात निर्मित हुए। दुकानें लूटी और जलाई गई, वाहन फूंके गए और धार्मिक यात्राओं पर पथराव हुआ। इन मामलों में पुलिस का खुफिया तंत्र विफल साबित हुआ है। केन्द्रीय राज्य मंत्री कैलाश चौधरी कहते हैं, ‘राजस्थान सरकार और उसका इंटेलिजेंस पूरी तरह से नाकाम रहा है, जिसका खामियाजा राजस्थान सांप्रदायिक तनाव के रूप में कई बार भुगत चुका है।’ कोटा का सांगोद, जयपुर का रामगंज, टोंक जिले का मालपुर, भीलवाड़ा और उदयपुर अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है, जहां दंगा भड़कने या तनाव की आशंका बनी रहती है। ये ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पुलिस भी कार्रवाई करने से हिचकिचाती है। भारत-पाक सीमावर्ती जिलों, विशेषकर बाड़मेर और जैसलमेर में भी तेजी से जनसांख्यिकीय बदलाव आ रहा है।
राजस्थान को अशांत प्रदेश बनाने के लिए कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तुष्टीकरण की नीति को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। आरोप है कि कांग्रेस के हाथ से मुस्लिम वोट नहीं खिसकें, इसलिए सरकार बहुसंख्यक हिन्दू समाज के साथ भेदभाव करती है। इस नीति के गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं। अब राजस्थान आतंक फैलाने वालों के लिए सबसे ज्यादा सुरक्षित स्थान बन गया है। यहां के मदरसे और मस्जिदें उनकी पनाहगाह हैं। मुस्लिम बस्तियों में बड़ी संख्या में घुसपैठिये बसे हैं। उदयपुर में कन्हैया की बर्बर हत्या करने वाला आंतकी रियाज भी मस्जिदों में खिदमत करता था, इसके चलते उसका मस्जिदों में आना-जाना था।
एक वर्ष में उन्मादियों ने की 10 लोगों की हत्या
1. झालावाड़ : 1 जुलाई, 2021 – कृष्णा वाल्मिकी
झालावाड़ में एक अनुसूचित वर्ग के युवक कृष्णा वाल्मिकी की मुस्लिम युवकों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। आपसी विवाद में 1 जुलाई, 2021 को हल्दीघाटी रोड पर कृष्णा पर जानलेवा हमला हुआ था। 6 जुलाई, 2021 को कृष्णा की उपचार के दौरान मौत हो गई। उसके हत्यारों की पहचान सागर कुरैशी, रईस, इमरान, सोहेल, शाहिद कुरैशी और अख्तर अली के तौर पर हुई है। तनाव को देखते हुए कई दिनों तक पुलिस बल तैनात करना पड़ा। कृष्णा वाल्मिकी मोची मोहल्ला का निवासी था। उसका सूरजपोल दरवाजा क्षेत्र में रहने वाले सागर कुरैशी से विवाद था।
2. जयपुर : 22 अगस्त, 2021 – खेमचंद महावर
अनुसूचित जाति के टैक्सी चालक खेमचंद महावर की तस्कर नईमुद्दीन और फरहान ने बेल्ट से गला घोंटकर हत्या कर दी। दोनों हत्यारे 22 अगस्त की रात को हत्या करने के बाद शव को गाड़ी की डिक्की में रख कानोता, सिकन्दरा, भरतपुर, करौली, कोटा होते हुए झालावाड़ ले गए। दो दिन बाद शव को अकलेरा पुलिया पर जाकर काली सिंध नदी में फेंक दिया।
3. अलवर : 15 सितम्बर, 2021 – योगेश जाटव
अलवर जिले के बड़ौदामेव के मीना का बास इलाके में 15 सितम्बर, 2021 को भटपुरा निवासी योगेश जाटव बाइक से गांव की तरफ जा रहा था। रास्ते में एक गड्ढा था, ऐसे में दुर्घटना हो गई और योगेश की बाइक एक महिला से टकरा गई। इसके बाद शुरू हुआ मुस्लिम भीड़ का आतंक। अनुसूचित वर्ग के युवक की इतनी पिटाई की गई कि वह कोमा में चला गया। तीन दिन उपचार के बाद जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में 18 सितम्बर को योगेश का निधन हो गया।
4. अलवर : 26 सितम्बर, 2021 – सम्पत बैरवा
अलवर जिले के रैणी उपखण्ड़ क्षेत्र के छिलोड़ी गांव में 26 सितम्बर, 2021 को शाहरुख खां ने अनुसूचित वर्ग के सम्पत बैरवा की गला घोंटकर हत्या कर दी। शाहरुख सम्पत और एक अन्य को प्याज के खेत पर काम के बहाने ले गया और बाजरे के खेत ले जाकर बेरहमी से हमला कर दिया, जिसमें सम्पत की मौत हो गई। आरोपी दूसरे को भी मृत समझकर मौके से भाग गया।
5. झालावाड़ : 8 अक्टूबर, 2021 – पूजा मेहर
राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिड़ावा थाना क्षेत्र के बाकीपुर गांव में 8 अक्टूबर 2021 को एक सिरफिरे आशिक ने अनुसूचित वर्ग की 19 वर्षीया युवती पूजा मेहर पर धारदार हथियार से हमला कर दिया। परिजन युवती को लेकर हॉस्पिटल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जुबैर खान युवती के पीछे पड़ा था। युवती की शादी तय होने पर बौखलाकर उसने इस घटना को अंजाम दिया।
6. बांसवाड़ा : परतापुर गढ़ी कस्बा, 16 अक्टूबर, 2021 – गौरव प्रकाश भट्ट
कस्बे में बारावफात की तैयारियों के दौरान 16 अक्टूबर की रात हाइवे के डिवाइडर पर रंग विशेष के मजहबी झंडे को लगाने पर रोक-टोक से नाराज मुस्लिम युवकों ने गौरव प्रकाश भट्ट (30) नामक हिन्दू युवक पर हमला कर दिया। गौरव की लंबे उपचार के बाद 28 अक्टूबर, 21 को मौत हो गई। मामले को संतुलित करने के लिए पुलिस ने दोनों ओर से क्रास एफआईआर दर्ज की। हत्या के बाद कई दिनों तक कस्बे में तनावपूर्ण हालात रहे।
7. पाली : 22 मार्च 2022, सारिका
पीसांगन थाना इलाके में धुंवाड़िया गांव के करनौस के पास रास-मांगलियावास के जंगल में एक 17 वर्षीया किशोरी की गला रेत कर हत्या कर दी गई। मृतका सारिका (बदला हुआ नाम) पाली जिले के रास की रहने वाली थी। पुलिस ने हत्या के मुख्य आरोपी गांव सराय सुल्तान, बिलग्राम मल्लावां हरदोई उत्तर प्रदेश निवासी अरशद खान को गिरफ्तार किया। अरशद ने इंस्टाग्राम पर मृतका से संपर्क कर उसे दोस्ती के जाल में फंसाया था। वह उसपर दबाव डालते हुए मिलने की जिद कर रहा था। अशरद की धमकी पर किशोरी उससे मिलने पहुंची। आरोपी ने दुष्कर्म के बाद गला काटकर उसकी हत्या कर दी।
8. भीलवाड़ा : 10 मई, 2022 – आदर्श तापड़िया
भीलवाड़ा शहर के शास्त्रीनगर स्थित न्यू हाउसिंग बोर्ड में 10 मई, 2022 की देर रात कुछ मुस्लिम युवकों ने आदर्श तापडिया नाम के एक हिन्दू युवक की हत्या की। वारदात में दो नाबालिग भी शामिल थे। हत्यारों ने न सिर्फ उसके सीने पर चाकू से वार किया, बल्कि सरिये से आदर्श का पैर भी तोड़ दिया था। हत्या के उन्होंने बाद आपसी झगड़े में एक अन्य युवक को जख्मी कर दिया था। आदर्श ने मुस्लिम युवकों को अपने छोटे भाई को परेशान नहीं करने की समझाइश दी थी। आदर्श 11वीं में पढ़ता था और स्कूल से आकर किराने की दुकान भी संभालता था। तीन साल पहले पिता की हार्ट अटैक की मौत से उनकी बाइक रिपेयरिंग की वर्कशॉप बंद हो गई थी। मां-बेटे ने उसके बाद किराने की दुकान खोल ली थी।
9. चित्तौड़गढ़ : 31 मई, 2022 – रतन सोनी
चित्तौड़गढ़ के पूर्व पार्षद जगदीश सोनी का पुत्र रतन सोनी (32) एक सामाजिक कार्यक्रम में सम्मिलित होकर आ रहा था। रास्ते में किसी बात को लेकर रतन का मुस्लिम युवकों से विवाद हो गया। जिहादी उन्मादियों ने धारदार हथियारों से रतन पर हमला कर दिया। घायल रतन को जिला हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां हालत बिगड़ने पर उसे उदयपुर रेफर किया गया। उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
10. उदयपुर : 28 जून, 2022 – कन्हैयालाल साहू
उदयपुर में नुपूर शर्मा के समर्थन में पोस्ट करने पर कन्हैयालाल साहू की दो मुस्लिम युवकों ने की हत्या।
रक्तिम उबाल क्यों
राजस्थान में करीब 2 अप्रैल, 2022 को करौली में साम्प्रदायिक हिंसा के साथ अशांति का आरम्भ होता है और जून के आखिरी सप्ताह में उदयपुर को रक्तरंजित कर दिया जाता है। शांत राजस्थान में यह रक्तिम उबाल आखिर क्यों? उदयपुर में कन्हैयालाल की मजहबी हत्या आखिर क्यों? सवाल गहरे हैं और जवाब इतिहास में दर्ज हैं। करौली में हिंसा से ठीक पहले भारत का इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया राजस्थान में मजहबी उन्माद की चेतावनी जारी करता है। यह वह राजस्थान है, जहां दंगों का इतिहास छोटा ही है, लेकिन विगत तीन वर्षों में यह असामान्य रूप से बढ़ा है। क्या पीएफआई और अन्य इस्लामी संगठन राजस्थान का प्रयोगशाला के रूप में उपयोग कर रहे हैं? लग तो ऐसा ही रहा है।
इस वर्ष फरवरी (2022) में कोटा में पीएफआई की रैली को मंजूरी दी गई। इस रैली के खिलाफ भाजपा ने मंजूरी पर सवाल उठाए। इसके बाद 1 अप्रैल को पीएफआई ने सीएम अशोक गहलोत और डीजीपी को चिट्ठी लिखी। पीएफआई ने इस चिट्ठी में साम्प्रदायिक घटना की धमकी दी। अगले ही दिन 2 अप्रैल को हिंदू नवसंवत्सर के दिन करौली में पथराव और आजगनी की घटना हुई। और इसी तर्ज पर ठीक एक महीने बाद जोधपुर में हिंसा हुई। लेकिन उदयपुर में हुई घटना में हत्यारों के संबंधों पर चिंता की लकीरें बढ़ने लगी हैं। केन्द्र सरकार ने संज्ञान लेते हुए पूरे मामले की जांच एनआईए के हाथ में सौंपी है।
हिंदू नवसंवत्सर के दिन हिंसा के पीछे पीएफआई के हाथ को लेकर कई सवाल उठते हैं। इसके बाद सरकार की ओर से रामनवमी और हनुमान जयंती पर राजस्थान में धारा 144 लगा दी जाती है। लेकिन ईद से ठीक पहले रात को जोधपुर में हिंसा होती है। आधी रात को जमकर हिंसक झड़पें होती हैं लेकिन दूसरे दिन दोपहर तक कोई कार्रवाई नहीं की जाती और न धारा 144 या कर्फ्यू लगाया जाता है। विपक्ष और स्थानीय लोगों का आरोप है कि यदि समय रहते कर्फ्यू लगाया जाता तो ईद के दिन फिर से दंगा नहीं भड़कता। लेकिन बड़ा सवाल है कि आखिर राजस्थान में दंगों के पीछे पीएफआई का हाथ है? अब उदयपुर का सच जीवन्त होकर सबके सामने खड़ा है। 28 जून, 2022 को हत्या के बाद विरोध में 30 जून, 2022 यानी गुरुवार को सर्व समाज की ओर से मौन जुलूस निकाला गया। जुलूस में हजारों लोग शामिल हुए। जुलूस टॉउन हॉल से शुरू हुआ और कलेक्ट्रेट पर पहुंचा। कलेक्ट्रेट से लौटते समय आक्रोशित जनता ने दिल्ली गेट पहुंच कर पत्थर फेंके। इस दौरान पुलिस ने हल्का प्रयोग कर उन्हें खदेड़ा। पथराव किस पर किया गया, पुलिस यह नहीं बता रही है।
राजस्थान में पिछले 3 साल में 6 साम्प्रदायिक घटनाएं हुई हैं। इनमें 8 अप्रैल 2019 को टोंक में, 24 सितंबर 2020 डूंगरपुर में, 11 अप्रैल 2021 बारां में, 19 जुलाई 2021 झालावाड़ में और इसी साल 2 अप्रैल 2022 को करौली में। इसके बाद पांच दिन पहले 2 मई 2022 को जोधपुर के जालोरी गेट चैराहे पर हिंसा हुई। अंतिम दो दंगे, करौली और जोधपुर में हिंसा महज 30 दिन के अंतराल में हुई है।
— डॉ. विवेक भटनागर
कारीगर ईश्वर के अनुसार ‘मंगलवार को दो युवक मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद दुकान में आए। कन्हैयालाल से बोले कुर्ता-पाजामा सिल दोगे क्या? सेठजी बोले- बिल्कुल सिलेंगे। इसके बाद रियाज कुर्ता-पाजामा का नाप देने लगा। गौस खड़ा रहा। हम कपड़े सिल रहे थे। इस दौरान अचानक चिल्लाने की आवाज आई। मुड़कर देखा तो वे कन्हैया पर हमला कर चुके थे। कुर्ते का नाप लेते वक्त ही हमला हुआ, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।’ ईश्वर ने आगे बताया कि हमले के बाद मैं बाहर भागा। बगल वाली दुकान में पहुंचा तो पता चला कि मेरे सिर और बाएं हाथ पर भी धारदार हथियार लगने से खून बह रहा है। ईश्वर पिछले दस पिछले वर्षों से कन्हैया के पास टेलरिंग कर रहे हैं। कन्हैया की पत्नी यशोदा कहती हैं, ‘पति को बीते 10-15 दिनों से धमकियां मिल रही थीं। ये लोग फोन पर और दुकान पर आकर भी मारने की धमकियां देते थे। उनके पति ने बताया था कि उनको धमकी देने के लिए एक औरत और एक आदमी दुकान पर आए थे और वो मुस्लिम लिबास में थे। पति को लगातार जान से मारने की धमकी मिल रही थी लेकिन शिकायत के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
अंत्येष्टि में उमड़ी जनता
कन्हैया का अंतिम संस्कार 29 जून को हो गया। उदयपुर के सात थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू के बावजूद उसकी अंत्येष्टि में हजारों लोग शामिल हुए। लोगों के चेहरों पर गम के साथ आक्रोश स्पष्ट झलक रहा था। लोग आतंकियों को फांसी के नारे लगाते हुए चल रहे थे। इस दौरान सुरक्षा के माकूल बंदोबस्त किए गए थे। बड़े अधिकारियों के अलावा एक हजार से ज्यादा जवानों को सुरक्षा में लगाया गया था।
पुलिस ढिलाई से गई जान
कन्हैया की बर्बर हत्या पुलिस की उदासीनता और भेदभावपूर्ण रवैये का परिणाम है। कन्हैया के मोबाइल से पोस्ट के बाद एफआईआर दर्ज हुई तो 11 जून को पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। कन्हैया जमानत पर बाहर आया। 15 जून को उसने पुलिस को शिकायत दी, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई कर उसे सुरक्षा देने के बजाय समझौता करवा दिया। कन्हैया ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसे मोबाइल चलाना नहीं आता। उसके मोबाइल से बच्चे ने गलती से पोस्ट डाल दी थी। लेकिन इसके बाद कुछ लोग उसकी लगातार रैकी कर रहे थे और दुकान नहीं खोलने दे रहे थे। इससे परेशान कन्हैया ने 6 दिन तक अपनी दुकान नहीं खोली। इसके बाद उसने पुलिस को नामजद रिपोर्ट दी, लेकिन पुलिस ने थोड़े दिन संभलकर रहने का बोलकर मामले चलता कर दिया। आतंकी रियाज ने वारदात से जुड़े कुल तीन वीडियो बनाकर वायरल किए। दस दिन पहले उसने सिर को धड़ से अलग करने की धमकी दी। इसके बावजूद पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। वारदात के बाद उसने दो वीडियो बनाए और वायरल किए। इनमें एक वीडियो हत्या और दूसरा कबूलनामे का है। यदि पुलिस समय रहते कार्रवाई करती तो कन्हैया की हत्या नहीं होती।
प्रदेश में आक्रोश
कन्हैया की हत्या के बाद प्रदेश में आक्रोश है। तनावपूर्ण हालात को देखते हुए प्रदेश में एक महीने के लिए धारा 144 लगा दी गई है। 29 जून से पूरे राज्य में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। विभिन्न व्यापारिक, धार्मिक संगठनों ने 30 जून को राजस्थान बंद का आह्वान किया। बंद में जनता ने स्वेच्छा से बढ़कर-चढ़कर योगदान दिया। उधर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) इस पूरे मामले की जांच कर रही है। एनआईए की एक टीम उदयपुर में ही डेरा डाले हुए है। घटना के हर कोण की बारीकी से जांच की जा रही है। संबंधित लोगों से पूछताछ की जा रही है। दोनों आंतकियों को पुलिस ने वारदात के दिन ही राजसमंद जिले के भीम से गिरफ्तार कर लिया था। अब ये आंतकी और अन्य संदिग्ध एनआईए की कस्टडी में है जिनसे पूछताछ की जा रही है। पूछताछ में और बड़े खुलासे होने की संभावना है।
एक और कारोबारी था निशाने पर
ये आतंकी 11 जून से ही उदयपुर के टायर कारोबारी नितिन जैन (35) की भी हत्या करना चाहते थे। नितिन के पिता रोशनलाल के अनुसार नितिन ने 7 जून को गलती से फेसबुक पर नूपुर शर्मा से संबंधित विवादित पोस्ट शेयर कर दी थी। मुकदमा दर्ज हुआ। पुलिस ने नितिन को गिरफ्तार कर जिला प्रशासन के समक्ष पेश किया, जहां से उसे पाबंद कर छोड़ दिया गया। 9 जून से 7 अलग-अलग लोग रैकी करने दुकान पर आए थे। नितिन ने दुकान पर जाना बंद कर दिया। नितिन अभी उदयपुर से बाहर हैं।
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