कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी में आज हल्द्वानी लिटरेचर फेस्ट 2022 में विभिन्न मुद्दों पर शानदार सत्र आयोजित किए गए। भारतीय इतिहास और विवाद सत्र में भारत के ऐतिहासिक तथ्यों, ऐतिहासिक संरचनाओं और इतिहास के पिछले पन्नों पर बहुत छेड़छाड़ की गई, यह चर्चा हल्द्वानी लिटरेचर फेस्टिवल में भारतीय इतिहास और विवाद सत्र के दौरान सत्र में चर्चा कर रहे लेखक सबरीश पीए और शांतनु गुप्ता ने की।
सत्र का संचालन कर रहे पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने भारतीय इतिहास और विवाद के संबंध में एक-एक कर दोनों लेखकों से कई सवाल किए। सत्र में ज्ञानवापी के मामले से लेकर नूपुर शर्मा के बयान तक पूरी चर्चा की गई। भारतीय संरचनाओं को सुनियोजित तरीके से सभ्यता को नष्ट करने के लिए इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई, इस पर भी शांतनु गुप्ता ने अपने विचार रखे तो वही सबरीश ने कैसे आज के दौर में नैरेटिव सेट किया जा रहा है इस पर तथ्यात्मक टिप्पणी की। पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने भारतीय इतिहास के पौराणिक तथ्यों को पिछली सल्तनतो मैं किस तरह खुर्द बुर्द किया इस पर भी प्रकाश डाला।
हल्द्वानी में दो दिवसीय लिटरेचर फेस्टिवल का शुभारंभ हो गया है। डीपीएस के ऑडिटोरियम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही पद्मश्री डा. यशोधर मठपाल ने हल्द्वानी लिटरेचर फेस्टिवल का शुभारंभ किया। लिटरेचर फेस्टिवल के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीडियो संदेश भेजकर शुभकामनाएं प्रेषित की। इस लिटरेचर फेस्टिवल में देश के कई प्रख्यात लेखक उपन्यासकार प्रतिभाग करने पहुंचे हैं। अगले 2 दिनों तक हल्द्वानी में चलने वाले साहित्य के उत्सव में 40 से अधिक कथाकार उपन्यासकार लेखक प्रतिभाग करेंगे। एथिकल हैकर अंशुल सक्सेना लोगों को साईंबर वार और नेशनल सिक्योरिटी से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी दी । इसके पश्चात पद्मश्री यशोधर मठपाल ने पुरातत्व के बारे में भारतीय इतिहास को समझाया।
लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन पहले सत्र “सोशल मीडिया का बदलता स्वरूप” अंशुल सक्सेना और वैभव पांडे ने वर्तमान समय के हालातों में सोशल मीडिया और उनकी चुनौतियों पर चर्चा की। जिसके पश्चात “कुछ चर्चा किताबों की” में वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी ललित मोहन रयाल, लेखक डॉ चंद्रशेखर जोशी और पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रमोद साह ने कहानी उपन्यास और गद्य पर विस्तार से चर्चा की। जिसके पश्चात “भारतीय इतिहास और विवाद” सत्र में लेखक सबरीश पीए और लेखक शांतनु गुप्ता के साथ पंचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने किया । जिसमें भारतीय इतिहास और उसके साथ जुड़े विवादों को लेकर खुलकर चर्चा की।
लिटरेचर फेस्टिवल के पहले दिन उपन्यास और महिलाओं का दर्द सत्र में लेखक मंजू पांडे उदिता, लेखक कंचन पंत और मंजरी बलुटिया, समाज में महिलाओं के दर्द को साहित्य और उपन्यास में लिखकर उनके प्रति सोच बदलने पर चर्चा की। जिसके पश्चात आज के दौर का मीडिया सत्र में न्यूज़ एंकर अनुराग पुनेठा, दैनिक जागरण के संपादक आशुतोष सिंह, न्यूज़ एंकर प्रीति बिष्ट और फैक्ट चेकर पत्रकार अंबुज द्वारा आज के दौर में मीडिया की प्रतिष्ठा के ऊपर उठ रहे सवालों को लेकर गंभीर चर्चा की।
जिसके पश्चात कुमाऊं का साहित्य और लेखक विषय पर प्रसिद्ध कथाकार और लेखक लक्ष्मण सिंह विद्रोही लेखक मनोज पांडे और पहाड़ी संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हेम पन्त द्वारा कुमाऊनी के इतिहास और साहित्य और उस पर लिखे गए लेखन पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही लेखक मनोज पांडे द्वारा एक रूसी यात्री कुमाऊ में का भी प्रेजेंटेशन दिया गया। जिसके पश्चात “डिजिटल और साहित्य” सत्र में पुस्तकों के डिजिटलाइजेशन को लेकर बुक वर्ल्ड के संचालक व प्रकाशक रणधीर अरोरा दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार गणेश जोशी और लेखक शैलेंद्र प्रताप सिंह ने किताबों के डिजिटाइजेशन को लेकर विस्तार से चर्चा की। जिसके पश्चात “युवा और साहित्य” सत्र में प्रख्यात लेखक महेश दत्त और शिक्षाविद मनमोहन जोशी ने विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए युवाओं के बीच में साहित्य की रोशनी को लेकर व्यापक प्रकाश डाला।
मंच पर संचालन स्वाति कपूर व प्रीति बिष्ट ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में दिनेश मानसेरा, भूमेश अग्रवाल, विवेक अग्रवाल, डीपीएस की प्रधानाचार्य रंजना साही, अवनीश राजपाल, दिनेश पांडे, राजीव वाही, उमंग वासुदेवा, राजीव बग्गा, मनमोहन जोशी, अर्पिता जोशी, हिमानी मेर, मनीषा शाह, आदि ने योगदान दिया।
टिप्पणियाँ