विदेश मंत्रालय ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अमेरिकी सरकार की एक संस्था ‘अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग’ की टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा कि यह गलत और पक्षपातपूर्ण है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने शनिवार को अमेरिकी संस्था के कथन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी टिप्पणियों से जाहिर है कि अमेरिकी संस्था को भारत, उसकी संवैधानिक प्रणाली, लोकतांत्रिक विरासत और विविधतापूर्ण समाज के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
प्रवक्ता ने कहा कि यह खेद की बात है कि अमेरिका का अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग समय-समय पर तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश करता है और अपने पूर्वाग्रह से भरे एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए ब्यानबाजी करता है। ऐसी हरकतों से इस संस्था की ही साख गिरती है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय आयोग के राजदूत रशद हुसैन ने हाल में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी। राजधानी वाशिंगटन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता सम्मेलन में हुसैन ने कहा था कि भारत में नरसंहार का खुलेआम आह्वान किया जा रहा है। ईसाई चर्चो पर हमले हो रहे हैं। हिजाब पर पाबंदी लगाई जा रही है तथा लोगों के घर ढाये जा रहे हैं।
भारतीय मूल के हुसैन ने गृह मंत्री अमित शाह के कथन की ओर संकेत करते हुए कहा कि बांग्लादेशी शरणार्थियों को दीमक कहा जा रहा है। हुसैन ने अमेरिका के होलोकास्ट संग्राहलय के ‘अर्ली वार्निंग प्रोजेक्ट’ (पूर्व चेतावनी प्रोजेक्ट) रिपोर्ट के हवाले से कहा कि भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है जहां बड़े पैमाने पर हत्याकांड होने की आशंका है।
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