भोपाल के तुलसी नगर स्थित आरोग्य भारती केंद्रीय कार्यालय के दो नवीन भवन “सुदर्शन स्मृति” एवं “आरोग्यम सभागार” का लोकार्पण बुधवार को मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी ने किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्यभारत प्रांत के संघचालक अशोक पाण्डे, आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन महासचिव डॉ सुनील जोशी, आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ अशोक कुमार वार्ष्णेय सहित आरोग्य भारती से जुड़े कई गणमान्य सदस्यों की उपस्थिति रही। इस अवसर पर देशज ज्ञान-विज्ञान में स्वास्थ्य परम्पराएं एवं उनकी प्रासंगिकता विषय पर एक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुरेश सोनी ने कहा कि आरोग्य भारती का उद्देश्य व्यापक है। स्वस्थ व्यक्ति, स्वस्थ परिवार, स्वस्थ ग्राम एवं स्वस्थ राष्ट्र इसका मूल मंत्र है। आरोग्य भारती ने अपने आप को केवल एक ही कार्य तक सीमित नहीं रखा है बल्कि हर विधा में कार्य कर रहा है। उन्होंने सभागार का नाम पूर्व सरसंघचालक सुदर्शन जी के नाम पर रखने का स्वागत करते हुए कहा कि स्वास्थ्य उनकी अभिरुचि का विषय रहा है। आरोग्य परम्परा जैसे विषय में वे नई- नई खोज में रुचि लेते थे। जो चीज उन्हें पसंद आती थी, उसे वे नोट कर लेते थे फिर उसे समस्त राष्ट्र में प्रवाहित करते थे। इसलिए उनके नाम पर रखा गया यह भवन प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
उन्होंने कहा कि परम्पराओं का प्रवाह बना रहता है, लेकिन यह सशक्त बनी रहे, इसके लिए आवश्यक है कि इसकी प्रासंगिकता का चिंतन हमेशा करते रहना चाहिए। उसे समस्त स्थानों में प्रवाहित करने का प्रयास होते रहना चाहिए। हम बाहरी रूप से अनेक देशज परम्पराओं को देखते हैं, जो ऐसे ही नहीं बन गई, बल्कि उसके पीछे गहरी चिंतन की भावना रही है। देशज ज्ञान का मतलब हमारे आसपास का वह ज्ञान जो व्यक्ति के आहार से लेकर आचार विचार एवं औषधियों में समाहित है। इस ज्ञान की परंपरा को समझना एवं उनका अनुशरण करना ही हमारा मूल दर्शन रहा है। इस ज्ञान का आधार हमारी चेतना से भी है। यह चेतना हर उस संबंध से है, जो हमारे एवं वनस्पति सहित जीव जंतुओं के बीच है। इसलिए सनातन संस्कृति में कहा भी गया है कि समस्त सृष्टि का अपना एक इको सिस्टम है, जो समस्त संबधों को बनाए हुए है। इन परम्पराओं, संबंधो का पालन यदि हमें अपनी नई पीढ़ी से करवाना है तो पहले उसे हमें प्रासांगिक करके उन्हें दिखाना होगा। इसलिए समस्त देशज परम्पराओं का प्रलेखीकरण होना जरूरी है, ताकि भविष्य में यदि इस तरह के कोई विषय आते हैं तो आगे बढ़ने के लिए हमारे पास पहले से इसका ठोस आधार हो।
आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव अशोक कुमार वार्ष्णेय ने संगठन के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि आरोग्य भारती स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करने वाला सेवा संगठन है। आमतौर पर यह देखा गया है कि जब हम किसी स्वास्थ्य संगठन का नाम आमजन में लेते है तो उनके मन में इस तरह का बोध होता है कि कोई डॉक्टर होगा जो बीमारी की दवाई देता होगा, लेकिन हम कहना चाहते हैं कि आरोग्य भारती का उद्देश्य इसके उलट है। अच्छा स्वास्थ्य हर व्यक्ति को चाहिए और जीवनभर चाहिए, इसलिए आरोग्य भारती का मूल उद्देश्य ही स्वस्थ्य व्यक्ति को स्वस्थ्य बनाए रखना है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को ध्यान में रखकर ही कार्यक्रम की योजना बनाई गई है। ग्राम स्तर पर ग्राम के ही व्यक्ति को इस कार्य हेतु तैयार किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त पर्यावरण एवं अन्य शोध कार्य जैसे विषयो पर भी जागरूकता पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कोरोनकाल का जिक्र करते हुए कहा कि इस दौरान यह स्पष्ट हो गया है की धन से स्वास्थ्य नहीं ख़रीदा जा सकता है। और हर रोग की दवा नहीं हो सकती। शरीर को पहले से ही इन चुनौतियों के लिए तैयार रखा जा सकता है। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन आरोग्य भारती के भोपाल महानगर सचिव अजय चौकसे ने दिया। कार्यक्रम का संचालन आरोग्य भारती भोपाल के सदस्य डॉ ध्रुव तिवारी ने किया।
कार्यक्रम के शुभारंभ में छात्राओं ने भगवान धन्वंतरि की स्तुति भी की। आरोग्य भारती के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य मधुसुधन पांडे द्वारा अतिथियों का परिचय कराया गया एवं अंग वस्त्र एवं पौधे के द्वारा उनका स्वागत किया गया।
टिप्पणियाँ