पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को लंबे समय तक भयाक्रांत करने वाली इंसेफेलाइटिस वर्ष 2017 के बाद से नियंत्रित होती गई। कभी यह बीमारी पूर्वांचल के मासूमों के लिए मौत का दूसरा नाम थी। गत वर्ष और इस वर्ष गोरखपुर जनपद में अब तक जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से एक भी मौत नहीं हुई है। यही नहीं, इस साल सामने आए एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 27 मरीजों में से भी सभी सुरक्षित हैं। इंसेफेलाइटिस को काबू में करने में संचारी रोग नियंत्रण अभियान और दस्तक अभियान के परिणाम बेहद सकारात्मक रहे हैं।
वर्ष 2016 व 2017 में जहां गोरखपुर जिले में एईएस के क्रमशः 701 व 874 मरीज थे और उनमें से 139 व 121 की मौत हो गई थी। वहीं वर्ष 2021 में मरीजों की संख्या 251 व मृतकों की संख्या सिर्फ 15 रह गई। जापानी इंसेफेलाइटिस के मामले में जहां 2016 व 2017 में क्रमशः 36 व 49 मरीज मिले थे और उनमें से 9 व 10 की मौत हो गई थी। वहीं, 2021 में जेई के 14 व चालू वर्ष में सिर्फ पांच मरीज मिले और मौत किसी की भी नहीं हुई। यानी जेई से होने वाली मौतों पर शत प्रतिशत नियंत्रण हो गया है। एईएस से होने वाली मौतों पर भी 95 प्रतिशत तक नियंत्रण पा लिया गया है। एईएस को लेकर थोड़ी कसर रह गई है, उसे भी दूर करने की तैयारी कर ली गई है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में वर्ष 1978 में पहली बार दस्तक देने वाली इस विषाणु जनित बीमारी की चपेट में 2017 तक जहां 50 हजार से अधिक बच्चे असमय काल के गाल में समा चुके थे और करीब इतने ही जीवन भर के लिए दिव्यांगता के शिकार हो गए। वहीं, पिछले पांच साल में ये आंकड़े दहाई से होते हुए इकाई में सिमटते गए। इस महामारी का केंद्रबिंदु समझे जाने वाले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इंसेफलाइटिस वार्ड में एक दौर वह भी था जब हृदय को भेदती चीखों के बीच एक बेड पर दो से तीन बच्चे भर्ती नजर आते थे। अब इस वार्ड के अधिकांश बेड खाली हैं। अकेले गोरखपुर जनपद की बात करें तो इंसेफेलाइटिस रोगियों के इलाज के लिए यहां 19 इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर (ईटीसी), तीन मिनी पीआईसीयू, एक पीआईसीयू (पीकू) में कुल 92 बेड तथा बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 313 बेड रिजर्व हैं। इसके अलावा पीकू व मिनी पीकू में 26 तथा मेडिकल कॉलेज में 77 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं।
गोरखपुर जिले में एईएस व जेई पर थमती रफ्तार
वर्ष-एईएस रोगी-मृत्यु- जेई रोगी-मृत्यु
2016-701-139-36-9
2017-874-121-49-10
2018-458-38-39-3
2019-316-15-33-4
2020-235-14-14-2
2021-251-15-14-0
2022-27-0-5-0
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