वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार समेत 16 लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है। विश्वविद्यालय में फर्जी डिग्री जारी करने का एक नेटवर्क काम कर रहा था। इसमें विश्वविद्यालय के कर्मचारी भी शामिल थे। कर्मचारियों की ऐसी मिलीभगत थी कि जब उन फर्जी डिग्रियों के सत्यापन के लिये पत्र आता था तो उसे असली डिग्री बता कर सत्यापित कर देते थे।
वर्ष 2015 में यह प्रकरण संज्ञान में आया था कि फर्जी डिग्री हासिल करके कई लोगों ने सरकारी अध्यापक की नौकरी प्राप्त की है। वर्ष 2015 में यह प्रकरण एसआईटी को सौंपा गया था। एसआईटी ने उत्तर प्रदेश में करीब 6 हजार से अधिक उपाधियों की जांच कराई। एसआईटी की जांच में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से जारी की गई करीब 1130 डिग्रियां फर्जी पाई गई हैं और 207 शिक्षकों के कागजों में जालसाजी पाई गई है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2004 से वर्ष 2014 के बीच की डिग्री की जांच की गई है। इन फर्जी डिग्रियों को जब विश्वविद्यालय में सत्यापन के लिए भेजा गया था तब विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने सत्यापित करते हुए असली डिग्री बताया था। जिन लोगों ने फर्जी डिग्री जारी की थी और जिन कर्मचारियों ने फर्जी डिग्री को सत्यापित किया था, ऐसे लोगों को एसआईटी ने अपनी जांच में अभियुक्त माना है। शासन से इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी गई थी। अनुमति मिल जाने के बाद अब एफआईआर दर्ज करा दी गई है। फर्जी डिग्री लगाकर शिक्षण बने शिक्षकों की अब गिरफ्तारी शुरू की जाएगी।
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