यूनेस्को की रिपोर्ट ने माना, मदरसों में पढ़े लोगों के लिए 'महिलाओं का काम बस बच्चे पालना'
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

यूनेस्को की रिपोर्ट ने माना, मदरसों में पढ़े लोगों के लिए ‘महिलाओं का काम बस बच्चे पालना’

मदरसों में पढ़े ऐसे बहुत कम लोग हैं जो महिलाओं की उच्च शिक्षा तथा नौकरी-पेेशे से जुड़ी महिलाओं के प्रति सकारात्मक रवैया रखते हैं

by Alok Goswami
Jun 28, 2022, 05:45 pm IST
in विश्व
प्रतीकात्मक चित्र

प्रतीकात्मक चित्र

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

बहुत बार सुनने में आया है कि मदरसे में जिस तरह की तालीम दी जाती रही है उसने मुस्लिम पुरुषों को महिलाओं को कमतर आंकना और घर की चारदीवारी में कैद रखने की ही समझ दी है। उससे आगे वे समाज में महिलाओं की कोई भूमिका ही नहीं देखते। आखिरकार इस मदरसाई तालीम को लेकर बनी ये सोच अब यूनेस्को की रिपोर्ट से भी झलकती है। यह रिपोर्ट साफ कहती है कि जिसने भी मदरसे में तालीम ली है, उसके लिए महिलाएं बस बच्चे पैदा करने की मशीन से ज्यादा कुछ नहीं हैं।

हाल ही में आई संयुक्त राष्ट्र की बहुप्रसिद्ध संस्था यूनेस्को की रिपोर्ट में लिखा है कि मदरसों के मजहबी और संस्थागत इतिहास की बात करें तो ये अक्सर सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों के बीच की हद को धुंधलाते हैं। यह तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि वे मजहबी संस्थान की तरह काम करते हैं या गैर सरकारी तालीमी संस्थान की तरह। कोई विषय पढ़ने-पढ़ाने से ज्यादा छात्रोें में एक खास सोच पर चलने, मजहबी किताबों तथा इस्लाम की तालीम पर ज्यादा बल दिया जाता है। इनमें इस बात पर भी काफी जोर दिया जाता है कि छात्र आसपास की मस्जिदों से जुड़ें और आना-जाना करें। एक आंकड़े के अनुसार, भारत में सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही 16,461 मदरसे ही मान्यता प्राप्त हैं, जिनमें से 560 को सरकारी अनुदान मिलता है। इनके अलावा कथित गैर पंजीकृत मदरसे भी कम नहीं हैं।

वर्षों से भारत या अन्य देशों में भी मदरसे मुस्लिम बालकों में कट्टरपंथी सोच फैलाने के जिम्मेदार माने जाते रहे हैं। आधुनिक शिक्षा पद्धति और शिक्षा के अधिकांश विषयों से मदरसों ने एक वैर का सा भाव सदा दिखाया है। एक मौलवी की मौजूदगी में मुस्लिम लिबास पहने मदरसा छात्र आगे—पीछे हिलते हुए अरबी में कुरान की आयतें रटते दिखाई देते हैं। विज्ञान और अंग्रेजी की तालीम से वे तौबा ही करते दिखे हैं। इसलिए जिस वहाबी सोच के तहत अफगान तालिबान ने ‘शरिया’ की आड़ में महिलाओं पर दमन का चक्र चलाया हुआ है, मदरसों पर ठीक वैसी ​ही सोच रखने और अपने छात्रों में भरने की बात अक्सर सुनाई देती है। वहां दी जाने वाली तालीम को लेकर इसीलिए लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं, लेकिन इसे मजहबी तालीम का हिस्सा बताकर मामला रफा-दफा किया जाता रहा है। यही बात संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को की ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट में लिखा है कि मदरसों में पढ़े लोगों में महिलाओं को लेकर एक पूर्वाग्रही नजरिया होता है।

यूनेस्को की रिपोर्ट का मुखपृष्ठ

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मदरसों में पढ़े ऐसे बहुत कम लोग हैं जो महिलाओं की उच्च शिक्षा तथा नौकरी-पेेशे से जुड़ी महिलाओं के प्रति सकारात्मक रवैया रखते हैं। ज्यादातर का मानना है कि बीवियों का खास काम तो बच्चों को पालना-पोसना होता है। इस तरह की सोच रखने वाले लोग चाहते हैं कि परिवार बड़े होने चाहिए। यूनेस्को की रिपोर्ट में कहा गया है कि मदरसा छात्र महिलाओं और उनकी काबिलियत को लेकर उतना सकारात्मक नजरिया नहीं रखते। पारंपरिक मदरसों में मौलवियों के परिवार काफी बड़े देखे गए।

मदरसों की बढ़ती तादाद को लेकर यह कयास भी रिपोर्ट में झलकता है कि जितनी मदरसाई तालीम फैलेगी उतनी ही पुरुषों और महिलाओं में समानता को लेकर किए जा रहे प्रयासों को ठेस पहुंचेगी। कथित तौर पर मदरसे की तालीम के पाठ्यक्रम और उसमें पढ़ाई जा रहीं किताबें पुरुषों और महिलाओं की समान रूप से बात नहीं ​करतीं। वे परंपरा से जिसकी जो स्थिति चली आ रही है उसी पर बल देती हैं। यूनेस्को के अनुसार, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान, मलेशिया तथा सऊदी अरब में किए गए अध्ययनों से यही बात सामने आई है।

इसके साथ ही, मदरसों में दी जा रही तालीम और सामाजिक मेलमिलाप में पुरुषों और महिलाओं में एक तरह का अलगाव इस मान्यता को और पक्का कर सकते हैं कि कथित लैंगिक असमानता को समाज स्वीकार करता है।

इसके पीछे एक आशंका यह है कि मदरसों के मौलवियों के पास पुरुषों और महिलाओं से जुड़े मुद्दों का हल करने लायक प्रशिक्षण नहीं है। इसी तरह वे परिवार के आकार और महिलाओं की प्रजनन की काबिलियत को लेकर छात्रों की सोच पर असर डाल सकते हैं।

रिपोर्ट आगे कहती है कि मदरसों में आमतौर पर एक ही तरह का कोर्स चलता है, जिसमें ज्यादातर मजहब चीजें ​ही होती हैं। यह भी सही है कि हर देश में मदरसों में एक जैसी स्थिति नहीं है। कुछ देशों में मदरसों में सरकारी पाठ्यक्रम जोड़ा हुआ है, जबकि दूसरों में पहले से चले आ रहे ढर्रे पर ही तालीम दी जाती है।

Topics: madarsareportwomenunescogenderinequality#islameducationUN
Share86TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

यूनेस्को में हिन्दुत्त्व की धमक : छत्रपति शिवाजी महाराज के किले अब विश्व धरोहर स्थल घोषित

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

इस्राएल सेना चैट जीपीटी जैसा एक टूल भी बना रही है जिससे फिलिस्तीन से मिले ढेरों डाटा को समझा जा सके

‘खुफिया विभाग से जुड़े सब सीखें अरबी, समझें कुरान!’ Israel सरकार के इस फैसले के अर्थ क्या?

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

DU के सिलेबस में बदलाव

DU के सिलेबस में बदलाव: अब पढ़ाया जाएगा सिखों की शहादत, हटाए गए इस्लाम-चीन-पाक चैप्टर

झांगुर बाबा जाति के आधार पर लड़कियों को बनाता था निशाना, इस्लामिक कन्वर्जन के लिए देता था मोटी रकम

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

जिन्होंने बसाया उन्हीं के लिए नासूर बने अप्रवासी मुस्लिम : अमेरिका में समलैंगिक काउंसिल वुमन का छलका दर्द

कार्यक्रम में अतिथियों के साथ कहानीकार

‘पारिवारिक संगठन एवं विघटन के परिणाम का दर्शन करवाने वाला ग्रंथ है महाभारत’

नहीं हुआ कोई बलात्कार : IIM जोका पीड़िता के पिता ने किया रेप के आरोपों से इनकार, कहा- ‘बेटी ठीक, वह आराम कर रही है’

जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)

1984 दंगे : टाइटलर के खिलाफ गवाही दर्ज, गवाह ने कहा- ‘उसके उकसावे पर भीड़ ने गुरुद्वारा जलाया, 3 सिखों को मार डाला’

नेशनल हेराल्ड घोटाले में शिकंजा कस रहा सोनिया-राहुल पर

‘कांग्रेस ने दानदाताओं से की धोखाधड़ी’ : नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का बड़ा खुलासा

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies