अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर में बदलाव देखने को मिल रहा है। इसी कड़ी में राज्य के स्कूली बच्चे अब स्वतंत्रता सेनानियों, बलिदानियों शौर्य गाथाएं पढ़ेंगे। राज्य प्रशासन प्रदेश के ऐसे जांबाजों की गाथाओं की किताब को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने जा रही है, जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान दिया। डोगरी, कश्मीरी, हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाली वीरगाथा पुस्तक में शौर्य और पराक्रम के साथ कला, साहित्य और खेल क्षेत्र के नायकों की कहानियां भी शामिल की जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि इस पुस्तक को छठी से आठवीं तक के बच्चों को पढ़ाए जाने की तैयारी है। जम्मू-कश्मीर स्कूल शिक्षा बोर्ड इस पुस्तक का प्रकाशन करेगा। बोर्ड अभी इसके लिए पाठ्यक्रम तैयार कर रहा है। अगले शैक्षणिक सत्र से इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। बता दें कि राज्य के स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले इतिहास में स्वतंत्रता सेनानियों, बलिदानियों और प्रदेश के वीरों की अनदेखी हुई है। यही वजह है कि युवा पीढ़ी ऐसे इतिहास पुरुषों से अनभिज्ञ है। इसे लेकर उप राज्यपाल ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि जल्द ही स्कूलों में स्थानीय वीरों की गाथाएं पढ़ाई जाएंगी।
जल्द मिल जाएगी मंजूरी
पुस्तक के प्रकाशन को जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार कक्षा चौथी से आठवीं तक पुस्तक पढ़ाने की योजना थी, लेकिन छोटे बच्चों पर ज्यादा दबाव न पड़े, इसके लिए इसे छठी से आठवीं तक पढ़ाए जाने की तैयारी है। वीरगाथा पुस्तक में कला, साहित्य, खेल और अन्य क्षेत्रों में प्रदेश का गौरव बढ़ाने वालों की भी कहानियां शामिल होंगी। ऐसे में अभी वीरों की गाथाओं का संकलन किया जा रहा है।
इन वीरों की भी होंगी कहानियां
जिन वीरों के नाम का प्रस्ताव किया है, उनमें ब्रिगेडियर सोमनाथ शर्मा, ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह ,ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान, लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह, पद्मश्री पदमा सचदेव, संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा. पंडित भजन सोपोरी शामिल हैं।
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