महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने मंत्री परिषद के जो बागी मंत्री गुवाहाटी गए हैं उनके विभाग अन्य मंत्रियों को दे दिया है। बागी मंत्री और विधायक वापस शिवसेना में लौटने की संभावना अब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को नहीं लग रही है। बागी खेमे में 51 विधायक शामिल होने की बात इस गुट ने न्यायालय में कही है। इसका मतलब महाराष्ट्र की महाविकास आघाडी की सरकार अब अल्पमत में आ गई है। 288 सदस्यों के विधानसभा में अब सरकार के पास केवल 118 विधायक रह गए हैं।
कुछ विभाग शिवसेना के मंत्रियों को और कुछ विभाग एनसीपी के मंत्रियों को दिए गए हैं। बागी मंत्रियों के विभाग इस प्रकार बदले गए हैं। एकनाथ शिंदे नगरविकास मंत्रालय – सुभाष देसाई, संदीपान भुमरे सैनिक कल्याण और दादा भुसे कृषि यह विभाग अब अनिल परब के पास होंगे। उदय सामंथ का उच्च शिक्षा विभाग आदित्य ठाकरे के पास होगा। संदीपान भुमरे और दादा भुसे के अन्य विभाग शिवसेना से जुड़े निर्दलीय मंत्री शंकरराव गडाख के पास होंगे। बच्चू कडू का शिक्षा विभाग आदिती तटकरे के पास होगा।
राज्यमंत्री शंभूराजे देसाई का गृह विभाग अब एनसीपी के मंत्री संजय बनसोडे के पास होगा। अब्दुल सत्तार का महसूल विभाग अब प्राजक्त तनपुरे के पास रहेगा। राज्यमंत्री शिवाजी यड्रावकर का विभाग अब विश्वजीत कदम के पास होंगे। उद्धव ठाकरे के मंत्रिपरिषद में विधानसभा से लिए गए 9 मंत्रियों में से आठ मंत्री बागी हुए हैं। केवल आदित्य ठाकरे और विधानपरिषद से सुभाष देसाई, अनिल परब शिवसेना में हैं।
मुंबई उच्च न्यायालय में दाखिल एक जनहित याचिका में महाराष्ट्र के अधिकतम मंत्री गुवाहाटी में रहने से लोगों के काम लंबित हैं इसलिए मंत्रियों के विभाग अन्य मंत्रियों में बांटे जाने की मांग की गई है। इस याचिका की सुनवाई होने के पहले मुख्यमंत्री ने यह आदेश निकाला है। मुख्यमंत्री के इस पहल का स्वागत करते हुए बागी गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने मीडिया से कहा, ‘हम मुख्यमंत्री के इस पहल का स्वागत करते हैं। लोगों के हित के लिए यह करना आवश्यक था।’
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