उत्तर प्रदेश ने जापानी इंसेफेलाइटिस के कारण रोगियों की संख्या को कम करने के लिए इस बीमारी के खिलाफ एक मजबूत लड़ाई लड़ी है। वर्ष 2017 में प्रदेश सरकार ने अंतर्विभागीय समिति का गठन कर सभी विभागों ने साथ मिलकर काम किया। इन प्रयासों का सफल परिणाम है कि इंसेफेलाइटिस से होने वाली मृत्यु में 95 प्रतिशत की कमी हुई है। पिछले चार दशकों से कहर बनी इस बीमारी पर प्रदेश सरकार ने गत पांच वर्षों में नियंत्रण प्राप्त कर लिया है। अब प्रदेश सरकार इसके उन्मूलन पर तेजी से काम कर रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को सरकारी प्रयास के साथ-साथ जनसहभागिता को भी बढ़ावा देने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश के बस्ती-गोरखपुर मंडल के 38 जिलों में जापानी इंसेफेलाइटिस का प्रभाव रहा है जिसमें से 18 जिले हाई रिस्क वाले हैं। प्रदेश सरकार ने सतत मॉनिटरिंग के आदेश दिए हैं। यद्यपि बीते 5 वर्ष में जापानी इंसेफेलाइटिस से असमय मृत्यु पर 95 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा चुकी है, इसके बावजूद सीएम ने निरंतर सतर्क व सावधान रहने के निर्देश जारी किए हैं। इन जिलों में ब्लॉक स्तर पर इंसेफेलाइटिस केयर सेंटर, पीकू बेड्स, चिकित्साकर्मी हैं। पीडियाट्रिक आईसीयू के सफल संचालन के लिए जिलों में डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ, स्टाफ नर्सेज व एईएस और जेई प्रयोगशालाओं में टेक्नीशियन की संख्या पर्याप्त हो और उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
यूपी में बीमारियों के उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे विशेष अभियानों की सफलता का परिणाम है कि प्रदेश में प्रति 1,000 की जनसंख्या पर एक से भी कम लोगों में मलेरिया से ग्रसित पाए गए, जबकि कालाजार रोग 22 चिन्हित ब्लॉक में हर 10,000 की आबादी में एक से कम लोगों में ही संक्रमण की पुष्टि हुई।
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