राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख अद्वैतचरण दत्त ने कहा कि संघ की शाखा संस्कारों के निर्माण की अभिनव पद्धति है। देश के अंदर आंतरिक अनुशासन के लिए संघ, शाखा के माध्यम से बाल्यकाल से संस्कारों को पोषित कर व्यक्ति निर्माण का कार्य कर रहा है। संघ की शाखा से निकले स्वयंसेवक अनुशासित होकर देश के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। अद्वैतचरण दत्त ने विकासनगर के बाबूगढ़ स्थित सरस्वती विद्या मन्दिर में बीते 3 जून से चल रहे संघ शिक्षा वर्ग-प्रथम वर्ष के समापन अवसर पर गुरुवार को बतौर मुख्य वक्ता यह बातें कही।
अद्वैतचरण दत्त ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक को एक तपस्वी की भाँति होना चाहिए। संघ ने राष्ट्र के प्रति भक्तिभाव की चेतना जागृत करने के लिए प्रण लिया है। हिंदू संस्कृति का आधार मानव धर्म की सेवा करना है। “Hindutva Is The Way Of Life.” सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिया गया हिंदुत्व के विषय मंर निर्णय है। संघ का उद्देश्य राष्ट्र को परम वैभव पर पहुँचाना ऐसा हम अपनी प्रार्थना में कहते हैं।
संघ की भूमिका एक ऐसे राष्ट्र और व्यक्ति का निर्माण करना है, जिससे सभी समरसता के भाव के साथ एकत्र होकर एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकें एवं साथ चल सकें। संघ का विचार “सर्वेषाम् अविरोधेनः” है। संघ शाखा के माध्यम से समाज में राष्ट्रभक्ति का भाव जागृत करने का कार्य अविरल निरंतर 100 वर्षों से मां भारती की पूजा के तौर पर करता आया है। हमें आने वाले समय में लव जिहाद एवं ऐसी संस्थाओं आदि से किए जाने वाले धर्मांतरण का पुरजोर तरीके से विरोध करना होगा। जिससे कि हमारा समाज एकत्र होकर के एक अखंड हिंदू समाज का निर्माण कर सकें।
हमारी संस्कृति है “वसुधैव कुटुंबकम” यह हमारी सोच और सर्व समाज समरसता परस्पर जगत के प्राणियों का कल्याण ही हमारे हिंदुत्व का उद्देश्य है। और यही हिंदुत्व का मतलब भी है। समरसता से परिपूर्ण समाज का यदि निर्माण करना है, तो इसकी शुरुआत स्वयं अपने परिवार से ही करनी होगी। आज केवल भारत नहीं, भारत के बाहर 55 देशों में स्वयंसेवक काम कर रहे है। HSS, हिन्दू स्वयंसेवक संघ और कही पर SSS सनातन स्वयंसेवक संघ के नाम से काम कर रहा हैं। महिलाओं का संगठन राष्ट्रीय सेविका समिति के नाम से कार्य कर रहा है। अगले 15 से 20 वर्षों में भारत एक गौरवशाली और समृद्ध भारत हमें देखने को मिलेगा।
उन्होंने कहा कि शाखा में विभिन्न तरह के कार्यक्रम होते हैं और उन कार्यक्रमों में भाग लेने से स्वयंसेवकों के भीतर कार्यकर्ता का गुण विकसित होता है। मानसिक बौद्धिक और शारीरिक रूप से दक्ष होने का हर प्रशिक्षण संघ की शाखा में मिलता है, इसलिए स्वयंसेवकों को प्रतिदिन शाखा जाना चाहिए। आज देश भर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं के बल पर सैकड़ों सेवा कार्य संचालित कर रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सीमावर्ती क्षेत्र है। यहां के प्रत्येक घर से एक सैनिक है और ये सैनिक देश की सीमाओं पर प्रहरी के रूप में सेवा दे रहे हैं।
अद्वैतचरण दत्त ने कहा कि बाल्यकाल से ही व्यक्ति के अंदर देशभक्ति के संस्कार उत्पन्न हो इसलिए शाखा के माध्यम से खेल के साथ-साथ स्वयंसेवक देशभक्ति भी सीखते हैं। उन्होंने कहा कि संघ के माध्यम से विभिन्न गतिविधियां संचालित की जाती हैं ताकि समाज में सामाजिक समरसता का भाव बना रहे। संघ शिक्षा वर्ग में आये शिक्षार्थियों ने समापन अवसर पर योगासन, सूर्य नमस्कार, नियुद्ध, दंद्युद्ध, एवं विभिन्न खेलों का प्रदर्शन किया।
इस दौरान मंच पर कार्यक्रम अध्यक्ष अतुल कृष्ण भटनागर जी (संस्थापक – सुभारती विश्व विद्यालय), मुख्यवक्ता अद्वैत चरण दत्त जी (अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख), देवराज जी (मा० जिला संघचालक – विकासनगर) तथा राजेन्द्र भण्डारी जी (वर्गाधिकारी – संघ शिक्षा वर्ग) उपस्थित रहें ।
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