यूक्रेन न्यूज के ट्विटर हैंडल पर वीडियो ट्वीट की जिस श्रृंखला की हमने पहले की तीन कड़ियों में बात की है उसे देखकर बड़ी तादाद में लोग हैरान और आक्रोश में हैं कि इतनी पशुता हो रही है लेकिन कहीं कोई अमेरिकी या यूरोपीय मीडिया में इसका जिक्र तक नहीं दिखता। तालिबान राज वाले अफगानिस्तान और उसे पोसने वाले पाकिस्तान, सीरिया आदि आईएस प्रभाव वाले देशों को अलग रख दें तो सभ्य समाज में आमजन के साथ ऐसी हिंसा और वो भी तथाकथित पुलिस वालों के हाथों, इसकी तो कोई कल्पना तक नहीं कर सकता।
आखिर यूक्रेन से आने वाले दृश्य कितने सही हैं? इस सवाल के जवाब में अक्तूबर 2021 तक रूस में भारत के राजदूत रहे डी.बी. वेंकटेश वर्मा ने पांचजन्य से विशेष बातचीत में बताया कि रूस और यूक्रेन के लोग नस्लीय तौर पर मूलत: एक ही हैं। 1991 में बना यूक्रेन रूस के बरअक्स छिटपुट मनमुटाव को छोड़कर ठीक-ठाक ही चलता आ रहा था। 2014 में यूक्रेन में सत्ता परिवर्तन से हालात गर्म हो गए थे क्योंकि उसे संविधानविरोधी माना गया था।
राजदूत वर्मा ने आगे कहा कि राजनीतिक के साथ ही दोनों देशों में तनाव के पीछे एक कारण पांथिक मान्यताओं का भिन्न होना भी है। जहां पश्चिमी यूक्रेन यूरोप की तरह कैथोलिक या रोमन चर्च का अनुयायी है तो पूर्वी यूक्रेन अधिकांशत: रूस में प्रचलित आर्थोडॉक्स चर्च को मानता है। पश्चिमी यूक्रेन वाले पूर्वी यूक्रेन में रूसी भाषी आर्थोडॉक्स के अनुयायियों को पसंद नहीं करते इसलिए वहां दोनों के बीच लंबे समय से चलते आ रहे झगड़े ने इतना बड़ा रूप ले लिया है कि अब रूस को मूलत: रूस के रूसी भाषी लोगों की रक्षा के लिए आक्रमण करने का कदम उठाना पड़ा।
रूस के पूर्व राजदूत कहते हैं कि हालांकि उन्होंने बर्बरता दर्शाते उक्त वीडियो नहीं देखे हैं, लेकिन इसमें आश्चर्य नहीं अगर यूक्रेन की पुलिस भारतीयों या आम नागरिकों के प्रति हैवानियत दिखा रही है। कारण, यूक्रेन में भारत या भारतीयों के प्रति कोई विशेष लगाव नहीं दिखा है। आपरेशन गंगा के दौरान भी भारतीय छात्रों को वहां से निकालने में यूक्रेन के अधिकारी बहुत ज्यादा मददगार साबित नहीं हुए थे। नस्लभेद के साथ ही यूक्रेन में रंगभेद भी सिर चढ़कर बोलता रहा है। संभव है ये हिंसक दृश्य उसी सोच की उपज हों।
यूक्रेन के आम नागरिकों के बीच भी रंगभेदी और नस्लभेदी भावनाएं गहरे रोपी जा चुकी हैं। हो सकता है, वीडियो में दिख रहे पुलिस वाले भारतीय महिलाओं और पूर्वी यूक्रेन के रूसी भाषी लोगों को अपनी नफरत का शिकार बना रहे हों।
वजह कुछ भी हो, लेकिन उनकी बर्बरता उग्र इस्लामी बर्ताव को ही झलकाती है। एक वीडियो में तो एक खंबे से बंधे लोगों के पास से गुजर रही एक यूक्रेनी महिला अपने 12-13 साल के बच्चे से उनको डंडे लगवा रही है! पेड़ से बांधकर पीटे गए एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति का खून से सना चेहरा दिख रहा है। UkraineNews नामक ट्विटर हैंडल पर डाले गए ये वीडियो बेशक हैरतअंगेज हैं। पेड़ या खंबे से बांधकर महिलाओं तक के कपड़े उतारकर कोड़े लगाने के दृश्य किसी गैर इस्लामी देश में पहले देखे गए थे?
हम यहां इसी वीडियो का लिंक दे रहे हैं। पाठक इन्हें देखकर स्वयं फैसला लें कि इस पशुता के मायने क्या हैं?
वीडियो लिंक
https://twitter.com/i/status/1518045080656953349
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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