संयुक्त राष्ट्र में भारत पर झूठे आरोप लगाने की पाकिस्तान की चालें लगातार असफल होती रही हैं, लेकिन वह फिर भी भारत के विरुद्ध तथ्यहीन बातें फैलाता रहा है। कल एक बार फिर उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मुंह की खानी पड़ी जब अमेरिका, यूके, अल्बानिया और फ्रांस ने भारत के पक्ष में खड़े होकर उसके तथ्यहीन प्रस्ताव को धूल चटाई।
दरअसल इस बार पाकिस्तान के अपमानित होने की वजह थी एक भारतीय नागरिक को बिना तथ्यों के अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की उसकी मांग, जो सदस्य देशों के आगे टिक नहीं सकी और निरस्त कर दी गई।
हुआ यूं कि पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक गोविंद पटनायक को अपने यहां हुए ‘आतंकी हमलों का जिम्मेदार’ बताकर संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों की सूची में शामिल कराने की साजिश रची थी, जो कामयाब न हो पाई। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति में गोविंद पटनायक दुग्गीवालसा के संदर्भ में लाया गया इस्लामाबाद का वह प्रस्ताव धराशायी हो गया।
इस प्रस्ताव का विरोध करने वालों में भारत के साथ अमेरिका, फ्रांस, यूके और अल्बानिया प्रमुख रहे। इनमें से तीन देश, अमेरिका, यूके और फ्रांस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं, जबकि अल्बानिया इस महीने परिषद के अध्यक्ष पद का काम देख रहा है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने 2020 में भी गोविंद को जबरन घेरने की कोशिश की थी और तब भी समिति के पांच सदस्यों ने उसकी मांग को खारिज कर दिया था। उसे फिर से सूची में डालने की इस्लामाबाद की कोशिश को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई सदस्यों ने संगठन का वक्त बर्बाद करने की हरकत के तौर पर भी देखा।
इस बार की कोशिश के असफल होने के बाद, संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को मजहबी रंग देने की कोशिश कर रहा है। यहां बता दें कि अभी पिछले सप्ताह ही पाकिस्तान को आजकल अपने मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहे चीन ने लश्करे-तैयबा के आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में डालने के भारत और अमेरिका के प्रयास पर वीटो की बाधा डाली है। मक्की भारत और अमेरिका में आतंकवादी की सूची में पहले से ही दर्ज है।
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