भले ही लालू परिवार अपने दोनों लालों को कृष्ण और अर्जुन की जोड़ी बता रहा हो, लेकिन दोनों लाल एक दूसरे पर ‘लाल’ हैं। इस परिवार की स्थिति देखकर मुगलिया खानदानों की याद आती है, जहां भाई भाई को ही मार देता था और बेटा बाप को मरवा देता था। यह सब केवल सत्ता के लिए किया जाता था। वरिष्ठ पत्रकार रंजन कहते हैं कि आने वाले समय में लालू परिवार में भी वैसी ही स्थिति देखने को मिल सकती है जैसी मुगलिया खानदान में मिलती थी।
लालू परिवार द्वारा तेजप्रताप और तेजस्वी की जोड़ी को ‘श्री कृष्ण’ और ‘अर्जुन’ की जोड़ी बनाकर खूब प्रचारित किया गया, लेकिन सत्ता मिलते ही ‘कृष्ण’ पार्टी और परिवार में किनारे किए जाने लगे। जब राजद बिहार में सत्ता का साझेदार बना तो ‘अर्जुन’ उपमुख्यमंत्री बने लेकिन ‘कृष्ण’ की औकात एक मंत्री से अधिक नहीं रही। राजद के विपक्ष में आने के बाद भी नेता प्रतिपक्ष का पद भी ‘अर्जुन’ ने ले लिया। जहां भी महत्वपूर्ण फैसले लेने होते थे वहां ‘कृष्ण’ हाशिए पर रहते थे। 31 मई को तो विधिवत रूप से राजद विधानमंडल की बैठक में लालू प्रसाद के सामने यह तय हो गया कि राजद के सभी महत्वपूर्ण फैसले परिवार के ‘अर्जुन’ यानी तेजस्वी यादव लेंगे। परिवार के ‘श्रीकृष्ण’ और लालू राबड़ी के बड़े सुपुत्र तेज प्रताप की हैसियत यह है कि परिवार का चपरासी भी उनको गाली देने लगा है।
बकौल तेज प्रताप 27 मई को उनके सरकारी आवास से परिवार का नौकर चंदन कुमार लाखों का सामान चोरी कर भाग गया। जब उन्होंने पूछताछ की तो चंदन ने इनके साथ गाली-गलौज की। इस घटना को लेकर सचिवालय थाने में तेजप्रताप ने स्वयं एक प्राथमिकी 15 जून को दर्ज करायी है।
न सिर्फ आईफोन लिया बल्कि, गाली भी दी
बता दें कि राज्य सरकार के पूर्व मंत्री, विधायक और लालू प्रसाद के बड़े सुपुत्र तेजप्रताप यादव के नाम से पटना के स्ट्रैंड रोड में सरकारी आवास आवंटित हैै। कुछ समय पहले तक वे वहीं रहते थे। अभी वे पूर्व मुख्यमंत्री और अपनी माँ राबड़ी देवी के सरकारी आवास में रह रहे हैं। उनकी अनुपस्थिति में उनका नौकर चंदन कुमार आवास की देखरेख करता था। किदवईपुरी के पी.एन.टी कॉलोनी के निवासी वीरेंद्र प्रताप का बेटा चंदन 27 मई को घर का कीमती सामान और नगद लेकर फरार हो गया। इस कीमती समान में तेजप्रताप का आईफोन और तीन बैग भी शामिल थे। बकौल तेजप्रताप, चंदन ने ना सिर्फ उनकी गाड़ी को भी क्षतिग्रस्त किया बल्कि राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर आकर गाली-गलौज की।
वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र प्रताप इसे तेजप्रताप की गिरती हुई प्रतिष्ठा का विषय मानते हैं। परिवार में और पार्टी में तेजप्रताप की भूमिका सीमित कर दी गई है। इस बात को लेकर तेजप्रताप का गुस्सा गाहे-बगाहे फूटता रहता है। 26 अप्रैल को इसी कारण उन्होंने घोषणा की थी कि वे जल्दी ही पार्टी से इस्तीफा दे देंगे। इनकी बिहार राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह और तेजस्वी के सलाहकार संजय यादव से भी कभी नहीं बनी। रही-सही कसर 31 मई को लालू प्रसाद के समक्ष पार्टी विधान मंडल दल की बैठक में निकाल दी गई। 31 मई को राजद विधान मंडल दल की बैठक में लालू प्रसाद के सामने तेजस्वी यादव को राजद के सभी नीतिगत फैसले लेने के लिए अधिकृत कर दिया गया। विधायक आलोक मेहता के प्रस्ताव पारित होने के बाद अब लालू प्रसाद की विरासत उनके छोटे सुपुत्र तेजस्वी यादव संभालेंगे।
अपनी उपेक्षा से आहत तेज प्रताप आगे क्या कदम उठाते हैं, यह देखने वाला होगा।
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