चीन ने एक बार फिर दिखा दिया है कि वह दुनिया भर में फैल चुके इस्लामी आतंक को खत्म करने का इच्छुक नहीं है। संभवत: पाकिस्तान से उसके स्वार्थ जुड़े होने की वजह से वह दुनिया भर में इस्लामी कट्टरपंथ के पाले में खड़े दिखने से परहेज नहीं कर रहा है। शायद यही वजह कि उसने खूंखार आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को वैश्विक आतंकी घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश किए भारत व अमेरिका के प्रस्ताव को वीटो का प्रयोग करके रोक दिया।
उल्लेखनीय है कि भारत और अमेरिका ने प्रस्ताव क्र. 1267 के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अल-कायदा प्रतिबंध समिति के समक्ष मक्की को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन पहले की तरह, एक बार फिर चीन ने आतंकवाद पर पाकिस्तान को शह देते हुए भारत व अमेरिका की आतंक को लगाम लगाने की कोशिशों को बेअसर कर दिया है।
बता दें कि आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को पाकिस्तान पोस रहा है। वह हर लिहाज से वैश्विक आतंकी घोषित होना ही चाहिए। यह सिर्फ भारत और अमेरिका ही नहीं, बल्कि विश्व के अधिकांश सभ्य देशों की इच्छा है। लेकिन चीन की सोच सबसे उलट है।
भारत और अमेरिका में आतंकी घोषित अब्दुल रहमान मक्की रिश्ते में 26/11 मुंबई हमले के साजिशकर्ता और लश्करे तैयबा के सरगना हाफिज सईद का साला है। उसकी और उसके जीजा हाफिज की आतंकी हरकतें किसी से छुपी नहीं हैं।
यहां बता दें कि भारत ने मई 2019 में संयुक्त राष्ट्र में तब एक बड़ी राजनयिक जीत हासिल की थी, जब संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान में पल रहे जैशे-मोहम्मद के सरगना आतंकी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी’ घोषित कराया था। इस काम में भारत को करीब दस साल लग गए थे।
चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यीय गुट में अकेला देश है जिसने आतंकी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की कार्रवाई में बाधा डालने का हरसंभव प्रयास किया था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस स्थायी सदस्य देश हैं। इन्हीं के पास ‘वीटो’ का अधिकार है। इसका अर्थ यह है कि अगर इनमें से किसी एक देश ने भी परिषद के किसी प्रस्ताव के विरोध में वोट डाला तो वह प्रस्ताव पास नहीं हो सकता।
हैरानी की बात है कि कम्युनिस्ट चीन ने अपने इस रवैए को जायज ठहराया है और कहा है कि यह प्रासंगिक प्रक्रिया तथा नियमों के अनुसार है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेंग वेनबिन ने कहा है कि चीन रचनात्मक तथा जिम्मेदार रवैया अपनाना जारी रखेगा।
उधर, आज भू राजनीति में जिस तरह के बदलाव आ रहे हैं, उन्हें देखते हुए व्हाइट हाउस के हिंद-प्रशांत सलाहकार कर्ट कैंपबेल ने कहा है कि भारत के साथ साझेदारी बढ़ाने हेतु अमेरिका नई दिल्ली को सुरक्षा मुद्दों पर विकल्प उपलब्ध कराएगा। कैंपबेल ने अमेरिका के लिए भारत के साथ रिश्तों को 21वीं सदी में सबसे महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा, हमने भारत के साथ साझेदारी, मजबूत गुप्तचर संपर्क तथा बेहतर व्यापारिक-आर्थिक संबंध बढ़ाने का फैसला किया है।
इतना ही नहींख्भा बाइडन प्रशासन ने स्पष्ट कहा है कि अमेरिका भारत के साथ है। देश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, हमने अपने भारतीय भागीदारों के साथ कई दौर की चर्चा के बाद निष्कर्ष निकाला है कि हर देश का रूस के साथ अलग तरह का संबंध है। नेड ने कहा, अब हालात बदल गए हैं, भारत के साथ संबंध एक द्विदलीय परंपरा की विरासत हैं जो दो दशकों से ज्यादा लंबे समय से चले आ रहे हैं।
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