फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ ने बर्लिन में अपनी बैठक में निर्णय ले लिया है कि पाकिस्तान ने टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर शर्तों को पूरा नहीं किया है इसलिए अभी वह इस्लामी देश ग्रे लिस्ट में ही बना रहेगा।
बताया गया है कि अब एफएटीएफ का एक विशेषज्ञ दल पाकिस्तान जाएगा और वहां उसके ऑनसाइट शर्तों को पूरा करने के दावों की जांच करेगा। परीक्षण करेगी। उसके बाद देखा जाएगा कि ‘आतंकिस्तान’ पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर निकलेगा या उसी में रहेगा। पाकिस्तान जून 2018 से ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है। यहां बता दें कि एफएटीएफ पूरी दुनिया में मनी लॉन्ड्रिंग, सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंक के वित्त पोषण पर निगाह रखती है।
एफएटीएफ ने यह फैसला सुनाते हुए साफ कहा है कि पाकिस्तान ने टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर शर्तों को पूरा नहीं किया है। इस बैठक से पहले पाकिस्तान के नेता और मीडिया यह हवा बनाने में लगे थे कि इस बार की बैठक में देश को ग्रे लिस्ट से बाहर निकाल दिया जाएगा और वह फिर से विदेशी संस्थाओं से कर्जा ले सकेगा। लेकिन ऐसा हो न पाया!
जैसा पहले बताया, पाकिस्तान का नाम जून 2018 में ग्रे लिस्ट में जोड़ा गया था। इसके बाद कई समीक्षाएं हुईं, जैसे अक्तूबर 2018, 2019, 2020, अप्रैल 2021, अक्तूबर 2021 और मार्च 2022 में, लेकिन कट्टर मजहबी देश को कैसी भी राहत नहीं मिल पाई थी। कारण, पाकिस्तान एफएटीएफ की शर्तों को पूरा करने में नाकामयाब साबित हुआ है। वह आतंक को फंडिंग पहुंचने पर लगाम नहीं लगा पाया।
पाकिस्तान में आतंकी गुटों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर पैसा पहुंचता ही रहा। एफएटीएफ की एक ब्लैक लिस्ट भी है जिसमें पाकिस्तान के जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। फिलहाल इसमें ईरान और उत्तर कोरिया का नाम दर्ज है। इन दोनों देशों को विदेशों से अपने यहां पैसे के निवेश और अंतरराष्ट्रीय कारोबार में काफी दिक्कतें आ रही हैं।
एफएटीएफ की इस बार की बैठक में वैश्विक संजाल और पर्यवेक्षक संस्थाओं के 206 प्रतिनिधि शामिल हुए। इनमें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और वित्तीय गुप्तचर संगठनों के विशेषज्ञ भी शामिल थे। बैठक की अध्यक्षता जर्मनी के डॉ. मार्कस प्लीयर ने की। चार दिवसीय इस बैठक में प्रतिनिधियों ने कई मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें रियल एस्टेट क्षेत्र के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने संबंधी रिपोर्ट भी थी।
एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी निकाय है। यह फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 देशों द्वारा 1989 में गठित हुआ था। इसका काम है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग, सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार तथा आतंकवाद को पैसे पहुंचने पर नजर रखना। इतना ही नहीं, एफएटीएफ वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक तथा परिचालन के प्रभावी कार्यान्वयन को भी बढ़ावा देता है।
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