आज वाम दलों ने बिहार बंद का आह्वान किया है। इसे लालू प्रसाद की पार्टी राजद का भी समर्थन प्राप्त है। वहीं, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने स्पष्ट कहा है कि बवाल के पीछे राजद का हाथ है। उनके अनुसार राजद के गुंडे उपद्रव कर रहे हैं और करा भी रहे हैं। उन्होंने पूछा कि बिहार में सिर्फ भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों पर हमले क्यों हो रहे हैं?
बिहार की उपमुख्यमंत्री रेणु देवी भी इस स्थिति से व्याकुल हैं। उन्होंने कहा है कि इस अराजकता के पीछे विद्यार्थी नहीं, बल्कि गुंडे हैं। हाथ में रॉड, डंडे, पेट्रोल की बोतल, गैस सिलेंडर लिए और मुंह पर गमछा बांधकर उपद्रव करने वाले कभी विद्यार्थी नहीं हो सकते।
सच में जिस तरह से सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि कोई सच्चा भारतीय इस तरह का काम नहीं कर सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह कहते हैं, ”बेरोजगार युवाओं को वे तत्व भड़का रहे हैं, जो प्रधानमंत्री के पद पर नरेंद्र मोदी को एक भी पल नहीं देखना चाहते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई समस्या है, तो उसे बातचीत या शांतिपूर्ण प्रदर्शन करके सुलझाया जा सकता है। लेकिन किसी को रेल या अन्य सरकारी संपत्ति जलाने का कोई अधिकार नहीं है। जो लोग इस तरह की हरकत कर रहे हैं, उन्हें सजा अवश्य मिलनी चाहिए।
बता दें कि कल बिहार में 18 रेलगाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। दरभंगा में बवाल से सहमे स्कूली बच्चे बस में रोने लगे। दानापुर की 10 वर्षीया अदिति अपने कैंसरग्रस्त पिता से मिलने मुंबई नहीं जा सकी, क्योंकि ट्रेन में आग लगा दी गई।
इस समय सरकार ने 15 जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्रशासन को इस बात के पूरे सुबूत मिले हैं कि इंटरनेट मीडिया के जरिए युवाओं को भड़काने और गुमराह करने की कोशिश हो रही है। बिहार पुलिस के हाथ वाट्सएप ग्रुप का एक ऐसा चैट लगा है जिसमें अग्निपथ के विरोध के नाम पर नवादा के रजौली थाने को बम से उड़ाने की साजिश रची जा रही थी। इस वाट्सएप चैट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बेहद अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया था।
बिहार में सीएए के विरोध से लेकर अग्निपथ के विरोध तक कुछ मामलों में साम्यता दिखती है। आंदोलन का नाम बदल जाता है, लेकिन आंदोलन में शामिल चेहरे नहीं बदलते। बिहार के हालात पर पैनी दृष्टि रखने वाले पत्रकार और फिल्म निर्माता रीतेश सिंह इसके लिए एक ‘गठजोड़’ को जिम्मेवार मानते हैं। अनुच्छेद 370 से स्वयं को जोड़ने वाले, राज्य में नक्सली गतिविधियों को संचालित करने वाले और इनके कंधे पर बंदूक रखकर चलाने वाले चर्च के लोग एक साथ आ गए हैं। सीएए के नाम पर चल रहे विरोध प्रदर्शन में चर्च की सहभागिता स्पष्ट दिख रही थी। बिहार के मुख्य सचिव की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
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