राष्ट्रपति पद के लिए रणनीति तय करने आयोजित विपक्ष की बैठक में विपक्ष के प्रत्याशी के लिए शरद पवार का एकमात्र नाम होने के बावजूद खुद पवार ने उसके लिए विनम्रता से नकार दिया। अब दूसरे प्रत्याशी की तलाश की जा रही है। शरद पवार खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानते हैं। राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनकर सक्रिय राजनीति से दूर होना उन्हे पसंद नहीं है। वे प्रधानमंत्री की रेस में रहना ज्यादा पसंद करते हैं।
एच.डी. देवेगौडा के प्रधानमंत्री होने के पश्चात देश में अनेक राजनेताओं को प्रधानमंत्री बनने का सपना आसानी से सच होने की संभावना दिखने लगी उनमें शरद पवार सब से आगे हैं। राजनीतिक अस्थिरता अगर उत्पन्न होती है तो कुछ सांसदों को लेकर प्रधानमंत्री पद के लिए प्रयास करने का सपना शरद पवार सालों से देखते आए हैं। इसी प्रयास में उन्होने सोनिया गांधी का विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर काँग्रेस को छोड़कर एनसीपी की स्थापना की थी। लेकिन उस लोकसभा चुनाव में पर्याप्त सांसद चुन कर न आने से फिर काँग्रेस के साथ यूपीए में शामिल हो कर वे देश के कृषि मंत्री बन गए थे।
राष्ट्रपति पद का चुनाव घोषित होने के पश्चात ममता बनर्जी जैसे नेताओं ने विपक्ष की ओर से एक प्रत्याशी उतारने का प्रयास शुरू किया। इसके लिए मंगलवार को दिल्ली में विपक्ष के नेताओं की बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी के रूप में शरद पवार का एकमात्र नाम सामने आया। शरद पवार को आग्रह किया गया। शिवसेना नेताओं ने पहले से शरद पवार के नाम पर जोर देकर उन्हे प्रत्याशी बनाने की बात कही थी। शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने शरद पवार के नाम तारीफ के पूल बाँध कर उन्हे राष्ट्रपति पद के लिए एकमात्र काबिल राजनेता करार दिया था। लेकिन शरद पवार ने इस बैठक में राष्ट्रपति पद का दावेदार बनने से इन्कार कर दिया।
शरद पवार का नाम राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के रूप में आने से कांग्रेस के खेमे में खुशी का माहौल दिखने लगा था। कांग्रेस के महाराष्ट्र के अध्यक्ष नाना पटोले ने शरद पवार अगर राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बनते हैं तो कांग्रेस उनका समर्थन करेगी ऐसा कह कर समर्थन दिया था। प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में राहुल गांधी से शरद पवार का टकराव आगे चल कर ना हो इस विचार से गांधी परिवार के करीबी नाना पटोले ने शरद पवार को राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी बनाने को प्रोत्साहित किया था।
लेकिन विपक्ष की बैठक के एक दिन पहले शरद पवार के बेहद करीबी महाराष्ट्र के मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने शरद पवार को राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाने के बजाए उन्हे यूपीए का अध्यक्ष बनाया जाए ऐसा बयान दिया है। एक साल से संजय राऊत शिवसेना की दैनिक पत्रिका सामना में शरद पवार को यूपीए का अध्यक्ष बनाने की मांग कई बार कर चुके हैं। शरद पवार राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय राजनीति में रहना चाहते हैं। यूपीए का अध्यक्ष बनने की मंशा केवल अध्यक्ष बनने तक सीमित नही है। प्रधानमंत्री बनने का रास्ता यूपीए का अध्यक्ष बनने से तय होगा ऐसा मान कर वे यूपीए का अध्यक्ष बनना चाहते हैं। इसलिए राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनने के लिए शरद पवार इंकार कर रहें हैं। कितना भी जोर देने के पश्चात भी इस के लिए तैयार होने की संभावना नही हैं।
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