जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों में आतंकियों ने कई आम लोगों को निशाना बनाया। हालांकि सुरक्षा बल इन आतंकियों को चिन्हित कर इनका सफाया भी कर रहे हैं। लेकिन इसी बीच एक चुनौती सामने आई है कि आतंकी टारगेट किलिंग में अमेरिका की बनी एम-4 कार्बाइन राइफल के बाद तुर्की की बनी पिस्टलें TP9 का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। खबर है कि बीते मई महीने में की गई हत्याओं में से अधिकतर घटनाओं में इन्हीं पिस्टल का इस्तेमाल किया गया।
पहली बार फरवरी में बरामद की गई थी पिस्टल
सुरक्षाबलों ने फरवरी माह में श्रीनगर के ईदगाह इलाके में एक ओजीडब्ल्यू से यह पिस्टल बरामद की थी। पुलिस के अनुसार आरोपी को इस इलाके में टारगेट किलिंग को अंजाम देने की योजना में दबोचा गया था। इसके बाद ये पिस्टलें 23 मई को श्रीनगर के छानपोरा में भारी मात्रा में पाई गईं। एक सर्च ऑपरेशन के दौरान टीआरएफ के दो हाइब्रिड आतंकियों से 15 पिस्टल, 30 मैग्जीन, 300 कारतूस और एक साइलेंसर बरामद किया गया था। हालांकि जम्मू—कश्मीर पुलिस इन पिस्टलों के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कह रही है, लेकिन सुरक्षा जानकारों के अनुसार हर एक हथियार घाटी में सुरक्षाबलों के लिए चिंता और चुनौती बढ़ा देता है।
इसलिए है चिंता की बात
तुर्की की बनी TP9 पिस्टल को रेंज के मामले में सबसे सफल हथियार माना जाता है। इस पिस्टल में फायर करते समय बहुत कम झटका होता है, जिससे हमलावर का निशाना चूकने का मौका लगभग जीरो हो जाता है। ये पिस्टल छोटी दूरी के हमलों के लिए एक बेहतरीन हथियार है।
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