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रांची के दंगाइयों को हेमंत सरकार का संरक्षण

झारखंड की राजधानी रांची में हुए 10 जून को हिंसक प्रदर्शन मामले में पुलिस तो अपना काम कर रही है, लेकिन सरकार तुष्टीकरण नीति से बाज नहीं आ रही है। लोगों का कहना है कि सभी दंगाइयों  को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है इसीलिए पुलिस भी कुछ नहीं कर पा रही है।

by रितेश कश्यप
Jun 15, 2022, 08:34 pm IST
in भारत, झारखण्‍ड
पुलिस द्वारा बनाया गया दंगाइयों का पोस्टर

पुलिस द्वारा बनाया गया दंगाइयों का पोस्टर

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झारखंड की राजधानी रांची में हुए 10 जून को हिंसक प्रदर्शन मामले में पुलिस तो अपना काम कर रही है, लेकिन सरकार तुष्टीकरण नीति से बाज नहीं आ रही है। लोगों का कहना है कि सभी दंगाइयों  को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है इसीलिए पुलिस भी कुछ नहीं कर पा रही है।

बता दें तीन दिन बीतने के बावजूद एक भी दंगाई की गिरफ़्तारी नहीं होने पर मंगलवार 14 जून को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने पुलिस के आला अधिकारियों को फटकार लगाई थी। कहा था कि जल्दी से जल्दी दंगाइयों को गिरफ्तार करें। राज्यपाल के निर्देशानुसार रांची पुलिस ने 14 जून को मुख्य सड़क एवं सभी चौक-चौराहों पर पत्थरबाजी और तोड़फोड़ में शामिल 31 दंगाइयों का पोस्टर लगाया था। यह पोस्टर सोशल मीडिया में वायरल हुआ। जब इस बात की जानकारी सत्ताधारी दल झामुमो को हुई तो उसके नेता इस पोस्टर को हटवाने के लिए निकल पड़े। झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य के अनुसार, “इस तरह से उत्तर प्रदेश और झारखंड का फर्क मिट जाएगा, लोगों में कटुता बढ़ेगी, राज्यपाल की अपनी भावना है, मैं इसपर टिपण्णी नहीं करूँगा।” इस आपत्ति के बाद रांची पुलिस ने सभी चौक-चौराहों से पोस्टर तुरंत ही हटा दिया। इसपर पुलिस ने तर्क दिया कि पोस्टर में कुछ संशोधन करना है इसके बाद फिर से लगाया जाएगा।

इन बातों को समझना मुश्किल नहीं है कि सत्ता में बैठा झामुमो राज्य में किन लोगों का साथ देने का काम कर रहा है। इतनी बड़ी हिंसक घटना होने के बाद भी जिस तरह से उपद्रवियों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त हो रहा है उससे यह समझ ही नहीं आ रहा कि सरकार प्रदेश में शांति व्यवस्था बनाए रखना चाहती है या नहीं?

भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने झामुमो सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि शहर में लगाए गए उपद्रवियों के पोस्टर चंद घंटों में उतार लिए गए। इससे यही प्रतीत होता है कि सत्ता में बैठे लोग अभी भी जोड़ घटाव में जुटे हुए हैं। सरकार तुष्टीकरण की नीति अपनाते हुए उपद्रवियों को बचाने का काम कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मीडिया और अखबारों ने दंगाइयों की तस्वीर और खबरें चला कर अपना दायित्व निर्वहन किया है। इसके बाद भी सरकार ना तो खुद अपना दायित्व निर्वहन रही है और ना ही पुलिस को अपना काम करने दे रही है।

एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पत्रकारों ने रांची हिंसा मामले में सवाल पूछा तो हेमंत सोरेन ने कहा कि आवेश में गलतियां हो जाती हैं। अब ऐसे में ये क्यों ना माना जाए कि सरकार की ओर से ही अप्रत्यक्ष रूप से उपद्रवियों को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है।

हालांकि रांची पुलिस ने हिंसक प्रदर्शन मामले में अब तक 29 लोगों की गिरफ़्तारी की है। इसमें रिम्स में इलाज करवा रहे 7 पत्थरबाज भी शामिल हैं। इसके साथ ही डोरंडा पुलिस ने दंगा को उकसाने, तोड़फोड़ व भड़काऊ पोस्ट करने को लेकर नवाब चिश्ती व मो जमील को भी गिरफ्तार कर लिया है। नवाब चिश्ती की गिरफ़्तारी के बाद उसकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई जिसमें उसके साथ जामताड़ा के कांग्रेस विधायक इरफ़ान अंसारी को भी देखा जा सकता है। आपको बता दें कि इन्ही इरफ़ान अंसारी ने पुलिसिया कार्रवाई का जोरदार विरोध भी किया था और दंगा करने वाले मृतकों को मुआवजा देने की बात कही थी।

उल्लेखनीय है कि 10 जून को हुए दंगे में तकरीबन 5000 से अधिक लोग शामिल हुए थे। इस दंगे में दो लड़कों (मुदस्सिर और साहिल) की मौत हो गई थी। इसमें 12 पुलिस वाले के साथ 12 उपद्रवी घायल हुए थे। पुलिस को अंदेशा है कि इस घटना में पीएफआई का भी हाथ हो सकता है। इसके साथ ही यह भी पता चला है कि इस दंगे में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के 10 से 12 लोग रांची पहुंचकर मुसलमान समुदाय को दंगे के लिए भड़का रहे थे। कहा जा रहा है कि इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए झारखंड के खूंटी, लोहरदगा, पाकुर, धनबाद सहित कई जिलों के कट्टरपंथी मुसलमान शामिल हुए। उन्होंने ही प्रदर्शन को और भी हिंसक बना दिया। इन प्रदर्शनकारियों के निशाने पर हिंदुओं के मंदिर और उनके घर भी थे। यह भी देखने को मिला था कि प्रदर्शनकारियों के मुस्लिम मोहल्लों से गुजरने के दौरान उन्हें रोकने वाले पुलिसकर्मियों पर मुस्लिम घरों की छतों से पुलिस के ऊपर पत्थर बरसाए जा रहे थे।

इन सबके बाद भी अगले दिन यानी 11 और 12 जून को भी कई जगहों पर उपद्रवियों ने हिंसा भड़काने का प्रयास किया था। उनमें सबसे पहले 11 जून की अहले सुबह हिंदपीढ़ी थाने से महज 200 मीटर दूर पर स्थित शिव मंदिर पर पेट्रोल बम से हमला किया और वहां से भाग गए थे। इसके बाद 12 जून को रांची जिले के जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र के अपर हटिया में रहने वाले अमित कुमार को 18 से 20 कट्टरपंथी मुसलमानों ने इसलिए मारा क्योंकि अमित ने सोशल मीडिया पर 10 जून को हुए दंगे का वीडियो डाला था और झारखंड पुलिस की तरफदारी की थी।

भाजपा नेता ने लगाई अपनी जान की गुहार

इधर दंगे में शामिल मोहम्मद मुदस्सीर अलम की मौत को लेकर उनके पिता मोहम्मद परवेज ने डेली मार्केट थाने में अपने पुत्र की हत्या का आरोप पुलिसकर्मियों सहित अन्य लोगों पर लगाया है। इस आवेदन में जानबूझकर भाजपा नेता भैरव सिंह को भी फंसाने की कोशिश की गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये वही भैरव सिंह हैं, जिन्होंने 10 जून को डीजीपी को व्हाट्सएप पर  आवेदन देते हुए अपनी जान बचाने की गुहार लगाई थी। हालाँकि भैरव सिंह ने रांची के न्यायालय में केस दर्ज करवाते हुए कहा है कि पिछले दिनों रांची के मेन रोड में हुई हिंसा के बाद उनकी छवि धूमिल की जा रही है और उनकी हत्या की साज़िश रची जा रही है। भैरव ने तब्लीगी जमात,  झारखंड मुस्लिम युवा मंच, सोफ़िया और परवेज़ नामक युवक पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप भी लगाया है।

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