जेनेवा में 12 जून से चल रहे विश्व व्यापार संगठन सम्मेलन यानी डब्ल्यूटीओ की बैठक में भारत ने खाद्य सुरक्षा पर विकसित देशों को आड़े हाथों लेते हुए उनकी नीतियों की जमकर आलोचना की और दुनिया के हित के लिए उनमें सुधार की मांग उठाई।
स्विट्जरलैंड में जेनेवा में दुनिया के विकासशील देशों की अपेक्षा के अनुरूप ही भारत ने असमानता के साथ ही विकसित तथा विकासशील देशों के बीच की खाई को पाटने की बात बलपूर्वक रखी। यहां 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल कर रहे हैं। इसी सम्मेलन में दूसरे दिन भारत ने खाद्य सुरक्षा को लेकर विकसित देशों की नीतियों का उल्लेख किया और उनमें सुधार की मांग उठाई। साथ ही भारत ने यह मांग भी की कि विकासशील देशों को विकसित देशों से कोरोना के टीके सस्ती दरों पर मिलने चाहिए।
उल्लेखनीय है कि खाद्य सुरक्षा को लेकर विकसित और विकासशील देशों में फर्क साफ झलकता है। यही बात कोरोना टीकों पर भी लागू होती है। विकासशील देशों के पास महंगे टीके खरीदने के लिए पैसा नहीं है इसलिए भारत की यह मांग जायज ही है कि ऐसे देशों को सामर्थ्यशाली देश कम पैसे में यह जीवनरक्षक टीका उपलब्ध कराएं। भारत की मांग का विकासशील देशों ने खुलकर समर्थन किया है। उनका कहना है कि भारत ने उनके दिल की बात उठाकर बड़ा उपकार किया है। जेनेवा सम्मेलन में कोविड की स्थिति, रूस-यूक्रेन युद्ध, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में खाने की चीजों की कमी और जरूरी चीजों की बढ़ती कीमतों पर चिंता जताई गई।
भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषय है न्यूनतम आधार मूल्य पर देश के खाद्यान्न खरीदी की सुरक्षा है। भारत को खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक भंडारण की दिक्कतों का स्थायी समाधान खोजना होगा। जेनेवा के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कई विषयों पर वार्ता चल रही है और इन्हीं में शामिल खाद्य सुरक्षा का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर, भारत ने विश्व व्यापार संगठन में एक विषय पर अपनी नाराजगी भी खुलकर व्यक्त की और वह विषय था कोविड महामारी की चुनौतियों का सामना करने में विफलता। भारत ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन से अधिक सतर्कता बरतने की उम्मीद थी जिसमें संगठन नाकाम रहा। संगठन को आवाज उठानी चाहिए थी जब कुछ दवा कंपनियों ने कोरोना महामारी के बीच मुनाफा कमाने की ओछी मानसिकता का प्रदर्शन किया था।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने विकासशील और निर्धन देशों को रियायत देने और ऐसे मुश्किल वक्त में विकसित देशों से पैसे उधार लेने के बजाय इलाज तथा निदान पर और गौर करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जब तक महामारी का कोई प्रावधान नहीं किया जाता है, तब तक इसका सामना करना मुश्किल होगा। विकासशील और विकसित देश विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कई मुद्दों पर आमने—सामने हैं। एक ओर, विकसित देश व्यापार के संदर्भ में सोचते हैं, तो दूसरी ओर विकासशील देश अपने नागरिकों और जीवित रहने के लिए संघर्ष करने वाले सभी लोगों के पक्ष में सोचते हैं।
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