पंजाब में अपराधी और आतंकी गठजोड़ बेहिचक वारदातों को अंजाम दे रहा। आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद अपराध और हत्या के साथ आतंकी गतिविधियां भी बढ़ी हैं
आम आदमी पार्टी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा, जंगल राज और गुंडा संस्कृति का उदाहरण है पंजाब में गायक-अभिनेता से नेता बने शुभदीप सिंह सिद्धू उर्फ सिद्धू मूसेवाला की हत्या। मूसेवाला की हत्या मानसा में 29 मई को हुई, जिसकी जिम्मेदारी कनाडा में रहने वाले गैंगस्टर गोल्डी बराड़ ने ली, जो गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का करीबी है। इस हत्या के बाद सामने आया कि पंजाब में अपराधियों के कई गिरोह सक्रिय हैं, जो मादक पदार्थों की तस्करी, फिरौती व हत्या जैसे अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। इनके संबंध सिख्स फॉर जस्टिस और बब्बर खालसा इंटरनेशनल जैसे आतंकी संगठनों से हैं।
आतंकियों से अपराधियों का यह गठजोड़ आआपा के सत्ता में आने के बाद खुलकर सामने आ गया है। पर विडंबना ही है कि हास्य कलाकार से मुख्यमंत्री बने भगवंत मान ‘स्टेज’ और ‘स्टेट’ में भेद नहीं कर पा रहे, जिससे स्थिति और गंभीर होती जा रही है। वे किसी कठपुतली की तरह वही कर रहे हैं, जो उनसे कहा जा रहा है। सरकार बनने पर भगवंत मान ने कहा था कि उनकी सरकार चंडीगढ़ से नहीं, बल्कि गांवों से चलेगी। लेकिन वे अपने विधानसभा चुनाव क्षेत्र धुरी में ही लापता घोषित कर दिए गए हैं। उनकी गुमशुदगी वाले पोस्टर लगे हुए हैं। आआपा भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का दम भरती हैै, पर भगवंत मान सरकार में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. विजय सिंगला 1.16 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगते
धरे गए।
काली कमाई को सफेद करने व अधिक मुनाफा कमाने की होड़ में कबड्डी आयोजक व गैंगस्टर मिलकर अब पंजाब के खिलाड़िय़ों और कलाकारों को निशाने पर लेने लगे हैं।
नई तरह की राजनीति और कार्य संस्कृति का वादा कर पंजाब में सत्ता में आई आआपा सरकार ने अपनी पीठ थपथपाने के लिए राज्य के कुछ प्रमुख लोगों की सुरक्षा हटा दी। तर्क दिया कि सरकार वीआईपी संस्कृति को खत्म कर रही है और उन सभी 424 लोगों की सूची जाहिर कर दी। पंजाब की सीमा पाकिस्तान से लगती है, इसलिए इसकी गिनती संवेदनशील राज्य के रूप में होती है। लेकिन आत्मप्रशंसा के चक्कर में आआपा सरकार ने उन सभी लोगों की जान मुश्किल में डाल दी।
नतीजा, सुरक्षा वापस लेने के अगले दिन ही सिद्धू मूसेवाला की हत्या कर दी गई। इसके बाद जब मान सरकार पर चौतरफा हमले होने लगे तो वह बैकफुट पर आ गई। पंजाब के बाद आआपा अब पूरे देश में पैर फैलाने को आतुर है। इसलिए वीआईपी सुरक्षा वापस लेकर भगवंत मान यह दिखाना चाहते थे कि उनकी पार्टी वीआईपी संस्कृति के खिलाफ है, लेकिन उनके पाखंड का भांडा पंजाब व हरियाणा उच्च अदालत में फूटा। सुरक्षा वापस लेने के मुद्दे पर जब अदालत ने फटकार लगाई तो सरकार ने कहा कि 6 जून तक सभी वीआईपी की सुरक्षा अस्थायी तौर पर हटाई गई थी।
इस दौरान कुछ वीआईपी ने भी गैंगस्टरों से जान को खतरा बताते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया तो कोर्ट ने तत्काल सुरक्षा बहाल करने का निर्देश दिया। मान सरकार अब अपनी इस गलती का ठीकरा अधिकारियों के सिर फोड़ने की कोशिश कर रही है। जिस समीक्षा रिपोर्ट के आधार पर 424 लोगों की सुरक्षा में कटौती की थी, सरकार ने उस पर संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह बताने को कहा है कि किस आधार पर सुरक्षा बढ़ाने या घटाने की सिफारिश की जाती रही है। बता दें कि सिद्धू मूसेवाला को गैंगस्टरों से खतरा था, जिसकी जानकारी सरकार को थी। इसे लेकर दिल्ली पुलिस ने पंजाब पुलिस को आगाह भी किया था। फिर भी मूसेवाला की सुरक्षा में तैनात 10 गनमैन को घटाकर पहले 4 किया गया, फिर 2 गनमैन कर दिया गया था।
गैंगस्टरों और आतंकियों का गठजोड़
आतंकियों, गुंडों और ड्रग्स तस्करों का गठजोड़ केवल पंजाब ही नहीं, दूसरे राज्यों के लिए भी चुनौती पेश कर रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन पंजाब में गैंगस्टरों से मनचाहा काम करवाने लगे हैं। राज्य में हाल के दिनों में आतंकी गतिविधियों में जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई है, उनमें इन्हीं गिरोहों के भाड़े के गुंडे थे। यही नहीं, पंजाबी फिल्म उद्योग व कबड्डी जैसे खेल में भी अपराधियों का दखल बढ़ रहा है। काली कमाई को सफेद करने व अधिक मुनाफा कमाने की होड़ में कबड्डी आयोजक व गैंगस्टर मिलकर अब खिलाड़िय़ों और कलाकारों को निशाने पर लेने लगे हैं।
मार्च में अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी संदीप नंगल अंबिया और अब सिद्धू मूसेवाला की हत्या इसी का परिणाम है। जालंधर के लाम्बड़ा में कबड्डी खिलाड़ी व अनिवासी भारतीय हरदीप सिंह को भी कनाडा के गुंडों ने मरवाने का प्रयास किया, पर वह बच गए। जालंधर के नकोदर में 14 मार्च को कबड्डी प्रतियोगिता के दौरान संदीप की हत्या कर दी गई थी, जिसकी जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई के विरोधी गुट दविन्दर बम्बीहा ने ली थी। संदीप ने पंजाब सहित दुनिया भर में पंजाबियों द्वारा गठित सैकड़ों कबड्डी संघों व संगठनों से अलग हटकर 2019 में मेजर लीग कबड्डी का गठन किया था। 700 कबड्डी क्लबों को अपने लीग के साथ जोड़कर संदीप सूबे के युवाओं को नशे के खिलाफ जागरूक भी कर रहे थे, जो विदेशी कबड्डी आयोजकों और पंजाब को नशे के गर्त में धकेल रहे गुंडों को पसंद नहीं था।
विदेशी पैसे से बन रहीं फिल्में
पंजाब में 500 से अधिक अपराधियों वाले करीब 70 गिरोह सक्रिय हैं। इनमें से करीब 300 जेलों में बंद हैं और वहीं से गिरोह चला रहे हैं। ये सोशल मीडिया के जरिये बंदूक संस्कृति का महिमामंडन कर युवाओं को अपराध के लिए प्रेरित करते हैं। जांच एजेंसियों को इस बात के तमाम सबूत मिले हैं।
पंजाबी फिल्म उद्योग (पॉलीवुड) की शुरुआत 1970 में हुई। लेकिन आतंकवाद के कारण पंजाबी फिल्मों का निर्माण ठप पड़ गया। 30 साल बाद पंजाबी फिल्म उद्योग दोबारा शुरू हुआ। सन् 2000 से तरक्की करते हुए अब यह करीब 500 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। गैंगस्टरों की निगाह 2003 से ही ‘पॉलीवुड’ पर है। नए सिरे से पंजाबी गीतों का दौर भी इसी समय शुरू हुआ। गैंगस्टरों ने पहले पंजाबी गायकों पर पैसे लगाकर बंदूक संस्कृति को प्रोत्साहित किया व गैंगस्टरों पर फिल्में भी बनवार्इं। इस तरह उन्होंने पंजाब के युवाओं में अपनी पैठ बनाई।
सिद्धू मूसेवाला भी कनाडा से लौटकर अपने गीतों में बंदूक संस्कृति को प्रोत्साहन देकर ‘नायक’ बन गया था। बड़े और उभरते कलाकारों को इंटरनेट मीडिया चैनलों के जरिये प्रोत्साहित कर ये गैंगस्टर मोटी कमाई तो कर ही रहे हैं, नामचीन गायकों से रंगदारी भी वसूल रहे हैं। आईबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हाल ही में गैंगस्टरों ने पंजाब के 6 गायकों से 10-10 लाख रुपये वसूले हैं। पंजाबी फिल्मों में विदेशी पैसे लगाए जा रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पंजाबी फिल्मों व गीतों के एलबम में विदेशी पैसे के निवेश को लेकर 2017-18 में कई कलाकारों से पूछताछ की थी। इनमें दिलजीत दोसांझ, गिप्पी ग्रेवाल, जैजी बी व मनतेज मान जैसे कलाकार शामिल थे।
पंजाब में हालिया विधानसभा चुनावों से पहले आआपा पर खालिस्तानियों से साठगांठ के आरोप लगे थे। मीडिया खबरों में कहा गया कि खालिस्तानी आतंकियों ने चुनाव में आआपा को समर्थन दिया। आआपा की सरकार बनने के बाद स्वभाविक तौर पर इन तत्वों के हौसले बढ़ गए हैं। आलम यह है कि आआपा की सरकार के मात्र सौ दिन के कार्यकाल में न केवल अपराध व हत्याओं का ग्राफ बढ़ा है, बल्कि आतंकी गतिविधियों में भी तेजी आई है। मोहाली में पंजाब पुलिस की गुप्तचर शाखा के मुख्यालय पर रॉकेट से हमला हो चुका है, जिसका प्रयोग पाकिस्तान व अफगानिस्तान में जिहादी संगठन करते रहे हैं।
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