कुवैत में इन दिनों खेती में गाय का गोबर डालने को लेकर एक खास दिलचस्पी जगी है। वहां एक शोध को लेकर खासतौर पर खजूर उगाने वाले बड़े उत्साहित हैं जिसमें बताया गया है कि गाय का गोबर डालने से फसल की गुणवत्ता बढ़ जाती है।
कुवैत ने भारत का गाय का गोबर भेजने का अनुरोध किया है और इस पर एक सौदा समझौता भी किया गया है। इसी करार के तहत 192 मीट्रिक टन गोबर की पहली खेप कुवैत भेजी जाने वाली है।
वैसे भी राजस्थान की गाय के गोबर की विदेशों में बहुत मांग देखी गई है। जयपुर की मशहूर पिंजरापोल गोशाला खासी चर्चा में भी है और इस गोशाला से गाय का गोबर उपलब्ध कराने को कहा गया है।
कुवैत में तो खजूद उत्पादक गाय का गोबर ही प्रयोग करने का मन बना चुके हैं। शोध भी बता चुका है कि इससे खजूर का उत्पादन और बढ़ाने में मदद मिलेगी। जैसा पहले बताया, हाल ही में कुवैत के वैज्ञानिकों ने खजूर के उत्पादन में गाय के गोबर के महत्व का अध्ययन किया तो पाया कि इसे डालने से खजूर की तादाद काफी बढ़ जाती है।
इसी अध्ययन के आंकड़े देखकर कुवैत के खजूर उत्पादकों ने जयपुर की पिंजरापोल गोशाला को गोबर उपलब्ध कराने का एक बड़ा खरीद आदेश दिया है। 192 मीट्रिक टन गोबर की पहली खेप इसी सौदे के तहत भेजी जाने वाली है।
मीडिया रिपोर्ट से सामने आया है कि कुवैत के कृषि वैज्ञानिकों के अध्ययन में यह दावा भी किया गया है कि देसी गाय के गोबर में गुणवत्ता कहीं ज्यादा होती है। इसको देखते हुए भारत को पहली बार देसी गाय के गोबर का बड़ा आदेश मिला है। पहली खेप जयपुर से आज भेजी जाने वाली है। कस्टम विभाग की देखरेख में पिंजरापोल गोशाला के पास सनराइज ऑर्गेनिक पार्क में कंटेनरों में गोबर की पैकिंग की जा चुकी है।
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, देशी गाय के गोबर का पाउडर के तौर पर प्रयोग खजूर की फसल का आकार और गुणवत्ता के साथ ही उत्पादन भी बढ़ाता है। शुरुआत में कुवैत की कंपनी लैमोर ने गाय के गोबर की खरीदी का आदेश दिया है। विदेशों में गाय के गोबर के प्रयोग के बारे में पिंजरापोल गोशाला के अधिकारियों ने बताया है कि भारत में 30 करोड़ से ज्यादा मवेशी हैं। इनसे रोजाना 30 लाख टन गोबर मिलता है। इसमें से 30 प्रतिशत उपले बनाकर जलाने के काम आता है।
भारत के संदर्भ में गोशाला के संचालकों का कहना है कि विदेशों में गोबर की ताकत पहचानी जा रही है लेकिन भारत में अभी भी इसे उतना प्रचारित नहीं किया गया है। यहां के किसान अब भी रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करके अपने खेतों की मिट्टी को बर्बाद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन जैसे देश में हर साल गोबर गैस से 16 लाख यूनिट बिजली बनाई जाती है। चीन में तो डेढ़ करोड़ परिवारों की घर की बिजली गोबर गैस से ही आ रही है। लेकिन भारत में इस तरफ अभी उतनी जागरूकता नहीं दिखाई देती।
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