पाञ्चजन्य के पर्यावरण संवाद में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने स्पष्ट कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन है। यदि पर्यावरण की रक्षा करनी है तो ईंधन को बदलना होगा। उन्होंने कहा कि ईंधन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना राष्ट्रवाद है। उन्होंने कहा कि हम जल्द ही ऊर्जा निर्यातक देश होंगे। उन्होंने कहा कि आयात खत्म करना और प्रदूषण खत्म करना ही आर्थिक राष्ट्रवाद है। उन्होंने कहा कि कचरा कुछ भी नहीं है, जरूरत कचरे में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके उसे संपत्ति में परिवर्तित करने की है। ध्वनि प्रदूषण पर उन्होंने कहा कि वाहनों के हॉर्न की आवाज बहुत कर्कश होती है। जल्द ही वाहनों में हॉर्न के बजाय तबला, बांसुरी, वॉयलिन की आवाजें आएंगी। सत्र के संचालक पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने पूछा कि विकास को पर्यावरण का विरोधी कहा जाता है। आप परिवहन मंत्री हैं, विकास के साथ पर्यावरण के संरक्षण के लिए क्या व्यवस्था बनाई है, उसका फल कैसा होने वाला है?
पाञ्चजन्य द्वारा आयोजित पर्यावरण संवाद में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी का वक्तव्य!@nitin_gadkari @OfficeOfNG #PanchjanyaPanchtatva pic.twitter.com/bxoBHtIWA6
— Panchjanya (@epanchjanya) June 14, 2022
श्री गडकरी ने कहा कि हम जल, जमीन, जंगल, जानवर पर आधारित अर्थव्यस्था का निर्माण करने का प्रयास करते हैं। इस दिशा में बहुत काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने मैसूर के निकट एक हिल स्टेशन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण का 35-40 प्रतिशत हिस्सा जीवाश्म ईंधन जलने के कारण होता है। श्री गडकरी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सर संघचालक आदरणीय कुप्प. सी. सुदर्शन जी कहते थे कि हमारे देश का किसान देश के लिए अन्न के साथ-साथ, देश के लिए बिजली और देश के लिए ईंधन दे सकता है। आज विश्व का संकट उर्वरक, खाद्य और ईंधन का है। तब सुदर्शन जी की बात पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने सही कहा था, मैं 20 वर्ष से उस पर काम कर रहा हूं। उसका फल आज मिल रहा है।
हमने पेट्रोल और डीजल की जगह एथेनॉल से शुरुआत की। हमने पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल डालने की सोची। देश में एक हजार करोड़ लीटर एथेनॉल तो केवल पेट्रोल में डालने के लिए चाहिए। एथेनॉल चावल, गन्ना, मक्का, बांस आदि से बनता है। यह देश में पर्याप्त मात्रा में बनने लगे तो किसान भी संपन्न होंगे, आयात भी कम होगा और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। उन्होंने बताया कि उन्होंने एक परामर्श जारी किया है कि दोपहिया और तीन पहिया वाहन में फ्लेक्स इंजन का उपयोग किया जाए। फ्लेक्स इंजन 100 प्रतिशत बायो एथेनॉल से और 100 प्रतिशत पेट्रोल से चलता है। इससे चलते के दौरान 40 प्रतिशत बिजली उत्पन्न होती है। यानी ईंधन की जरूरत केवल 60 प्रतिशत होती है।
श्री गडकरी ने कहा कि सड़क निर्माण में प्लास्टिक का उपयोग और उदाहरणों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि इससे पर्यावरण भी साफ होता है और सड़कों की उम्र भी लंबी होती है। उन्होंने प्लास्टिक उपयोग का एक और उदाहरण देते हुए एक वाकया सुनाया कि असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वांनंद सोनोवाल के चुनाव में वे माजुली गए। वहां श्री सोनोवाल ने उनसे ब्रह्मपुत्र नदी पर पुल बनाने की घोषणा करने का आग्रह किया। उन्होंने घोषणा तो कर दी परंतु सोच में पड़ गए कि यह होगा कैसे। खर्च पता किया तो छह हजार करोड़ रुपये की लागत का अनुमान लगा। तब उन्हें सिंगापुर का एक पुल याद आया जिसमें पिलर 30 फुट के अंतर के बजाय 120 फुट पर था। इसमें बीम में प्लास्टिक का उपयोग किया गया था। उन्होंने इस मसले पर काम शुरू किया। तब यूपी ब्रिज कॉरपोरेशन सामने आया और उसने ब्रह्मपुत्र नदी पर इस पुल का निर्माण महज साढ़े छह सौ करोड़ में कर दिया।
इसी तरह पंजाब में पराली जलाने से प्रदूषण होता है। लेकिन इसी पराली का उपयोग यदि प्रौद्योगिकी के साथ किया जाए तो इससे बायो सीएनजी बनाया जा सकता है। इससे प्रदूषण भी नियंत्रित रहेगा और ईंधन भी प्राप्त होगा। यमुना के प्रदूषण पर बात करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि इस पर काम हो रहा है। जल्द ही पानीपत से दिल्ली, मथुरा, इटावा, प्रयागराज, वाराणसी होते हुए बांग्लादेश, वियतनाम, चीन सागर तक पानी के जहाज चलेंगे।
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