पाञ्चजन्य द्वारा नई दिल्ली में 14 जून मंगलवार को आयोजित पर्यावरण संवाद में पहला स्तर सर्कुलर इकोनॉमी पर रहा। इस सत्र में पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पाञ्चजन्य और ऑर्गनाइजर हमारी पहचान हैं। इन पत्रिकाओं की आज मुख्यधारा के समाचारपत्रों में साप्ताहिक समीक्षा होती है। इसका अर्थ है कि ये पत्रिकाएं बदलाव ला रही हैं और हमारा विचार ज्यादा लोगों तक पहुंच रहा है।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जीवन के हर क्षेत्र में गतिविधि शुरू की, कार्यक्रम किए। परंतु पर्यावरण के क्षेत्र में श्री गोपाल आर्य के नेतृत्व में पेड़, पानी और प्लास्टिक पर शुरू किया गया कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जब प्लास्टिक का उपयोग शुरू हुआ तो बहुत सुविधा हुई। परंतु हर सुविधा एक नया प्रश्न खड़ा करती है। प्लास्टिक से भी प्रश्न खड़ा हुआ। आज देश में प्रतिदिन 20 हजार टन प्लास्टिक का प्रयोग होता है। इसके बाद यह कचरा हो जाता है। भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा 12 किलो प्रति वर्ष है। यह अमेरिका में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 120 किलो के मुकाबले काफी कम है। परंतु अमेरिका में प्लास्टिक कचरा संग्रह की अच्छी व्यवस्था है। भारत में भी संग्रहीत प्लास्टिक कचरा की रीसाइक्लिंग हो जाती है। हमारी समस्या असंग्रहीत 10 हजार टन प्लास्टिक कचरा है। यही असल समस्या है।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अगर कोई मुझसे पूछे कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का सबसे बड़ा काम है, तो मैं स्वच्छ भारत की मुहिम को सबसे बड़ा काम मानूंगा जिसे जनता ने हाथों-हाथ लिया। इससे असंग्रहीत कचरा कुछ कम हुआ। स्वच्छ भारत अभियान की सफलता यह है कि पिछले चार सालों में सड़कों पर प्लास्टिक फेंकने की आदत में सुधार होता है। यदि कोई फेंकता है तो कोई टोकता है या उसे उठाता है। परिवार के छोटे बच्चे बड़ों को मना कर रहे हैं। स्वच्छता संस्कार बन रहा है। उन्होंने कहा कि जिस चक्रीय अर्थव्यवस्था की बात हम करते हैं उसमें कचरा प्रबंधन महत्वपूर्ण है। हमने प्लास्टिक कचरा, इलेक्ट्रॉनिक कचरा, निर्माण कचरा, ठोस कचरा, खतरनाक कचरा प्रबंधन नियमों का पुनरुद्धार किया। हमने निर्माताओं को उनके वस्तुओं से पैदा होने वाले कचरे के संग्रह का दायित्व सौंपा। हालांकि निर्माता अभी यह दायित्व नहीं उठा रहे हैं। हम चाहते हैं कि निर्माता या तो स्वयं कचरा संग्रह कराएं या स्थानीय एजेंसियों को भुगतान करें। निर्माण क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन डिमॉलिशन वेस्ट मैनेजमेंट नियम बनाए। आज मुझे खुशी है कि आज दिल्ली में इस कचरे के प्रसंस्करण के लिए तीन फैक्ट्रियां कार्यशील हो गई हैं। दो-तीन वर्ष में प्रतिदिन 1 लाख टन कचरे का प्रसंस्करण हो सकेगा।
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि बीते 20 वर्ष में दुनिया भर में बहुत जंगल कटे हैं। दुनिया के लगभग हर देश में पेड़ कम हुए परंतु भारत में 17 हजार वर्ग किमी वन क्षेत्र बढ़ गया है। हमने एक प्रौद्योगिक का उपयोग कर जंगलों में जलसंग्रह क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया। वहां जल कैसे जमा हो सकता है, इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाकर राज्य सरकारों को दी। जंगल का पानी बचाना हमारा लक्ष्य है। खुशी है कि अब कुछ राज्य अपने खर्च पर यह सर्वेक्षण करा रहे हैं। पानी के क्षेत्र में सबसे ज्यादा पानी कृषि क्षेत्र में उपयोग होता था। लगभग 80 प्रतिशत पानी कृषि क्षेत्र में चला जाता था। इसलिए फसल बदलाव, ड्रिप सिंचाई का उपयोग कर इसका प्रबंधन किया। इसके अलावा खेत पर मेड़, खेत तालाब योजना के जरिए बारिश के पानी के संग्रह को बढ़ावा दिया।
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