महाराष्ट्र के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को पुणे के देहू में जगतगुरु श्रीसंत तुकाराम महाराज मंदिर में संत तुकाराम महाराज की पूजा की और शिला मंदिर का उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुणे के संत तुकाराम मंदिर में पूजा-अर्चना की। संत तुकाराम के आदर्श कई लोगों को प्रेरित करते हैं। वह हमें दूसरों की सेवा करने और एक दयालु समाज का पोषण करने के लिए प्रेरित करते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य जन्म में सबसे दुर्लभ संतों का सत्संग है। संतों की कृपा अनुभूति हो गई, तो ईश्वर की अनुभूति अपने आप हो जाती है। आज देहू की इस पवित्र तीर्थ-भूमि पर आकर मुझे ऐसी ही अनुभूति हो रही है। उन्होंने कहा कि देहू का शिला मंदिर न केवल भक्ति की शक्ति का एक केंद्र है बल्कि भारत के सांस्कृतिक भविष्य को भी प्रशस्त करता है। इस पवित्र स्थान का पुनर्निमाण करने के लिए मैं मंदिर न्यास और सभी भक्तों का आभार व्यक्त करता हूं।
पीएम ने कहा कि हमें गर्व है कि हम दुनिया की प्राचीनतम जीवित सभ्यताओं में से एक हैं। इसका श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो भारत की संत परंपरा को है, भारत के ऋषियों मनीषियों को है। भारत शाश्वत है, क्योंकि भारत संतों की धरती है। हर युग में हमारे यहां, देश और समाज को दिशा देने के लिए कोई न कोई महान आत्मा अवतरित होती रही है। आज देश संत कबीरदास की जयंती मना रहा है। पीएम ने कहा कि संत तुकाराम जी की दया, करुणा और सेवा का वो बोध उनके ‘अभंगों’ के रूप आज भी हमारे पास है। इन अभंगों ने हमारी पीढ़ियों को प्रेरणा दी है। जो भंग नहीं होता, जो समय के साथ शाश्वत और प्रासंगिक रहता है, वही तो अभंग है।
पीएम मोदी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे राष्ट्रनायक के जीवन में भी तुकाराम जी जैसे संतों ने बड़ी अहम भूमिका निभाई। आज़ादी की लड़ाई में वीर सावरकर जी को जब सजा हुई, तब जेल में वो हथकड़ियों को चिपली जैसा बजाते हुए तुकाराम जी के अभंग गाते थे। उन्होंने कहा कि हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए आज ये हमारा दायित्व है कि हम अपनी प्राचीन पहचान और परम्पराओं को चैतन्य रखें। इसलिए, आज जब आधुनिक टेक्नोलॉजी और इनफ्रास्ट्रक्चर भारत के विकास का पर्याय बन रहे हैं तो हम ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि विकास और विरासत दोनों एक साथ आगे बढ़ें।
संत तुकाराम एक वारकरी संत और कवि थे, जिन्हें अभंग भक्ति कविता और कीर्तन के रूप में जाने जाने वाले आध्यात्मिक गीतों के माध्यम से समुदाय-उन्मुख पूजन के लिए जाना जाता है। वे देहू में रहते थे। उनके निधन के बाद एक शिला मंदिर बनाया गया था, लेकिन इसे औपचारिक रूप से मंदिर के रूप में संरक्षित नहीं किया गया था। इसे 36 चोटियों के साथ पत्थर की चिनाई में बनाया गया है, और इसमें संत तुकाराम की मूर्ति भी है।
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