उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को उप्र कृषि अनुसंधान परिषद, लखनऊ के 33वें स्थापना दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी की वर्चुअल माध्यम से शुरुआत की। एक दिवसीय संगोष्ठी से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए आधुनिक खेती पर चर्चा होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश की आबादी देश की करीब 20 फीसदी है। जबकि हमारे पास कृषि योग्य भूमि 12 फीसदी ही है। हमारी उपज अधिक है। इससे यह साबित होता है कि हमारी क्षमता अधिक है।
विगत पांच वर्ष के अंदर वैज्ञानिक पद्धति से खेती को बढ़ावा दिया गया। उपकार जैसी संस्थाओं ने इसमें अपना अहम योगदान दिया। किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित हुए। दशकों से लंबित वाणसागर, सरयू नहर परियोजना को संचालित किया गया। 2017 से पहले चीनी उद्योग बंदी की कगार पर खड़ा था। उसे ठीक किया गया। पांच वर्षों में गन्ना किसानों का रिकॉर्ड भुगतान किया गया। गौ आधारित खेती पर प्रधानमंत्री का जोर है।
गंगा तटों पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर प्रधानमंत्री का जोर है। केन्द्रीय बजट में प्रावधान किया गया है कि गंगा के दोनों तटों पर पांच किलोमीटर तक प्राकृतिक खेती को बढ़ावा जाए। उसके लिए आर्थिक मदद की भी व्यवस्था है। मुझे भरोसा है कि हम अपने प्रदेश को एक जैविक प्रदेश के रूप में खड़ा कर सकेंगे। किसानों की आय दोगुना कर सकेंगे। इस मौके पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख, अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी के अलावा देश भर से कृषि वैज्ञानिक और किसान समेत अन्य लोग मौजूद थे।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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