बिहार के नक्सल प्रभावित जमुई जिले में एरिया कमांडर रैंक के पांच नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया। सुरक्षा बलों की सघन छापेमारी और एनकाउंटर के डर से इन नक्सलियों को सरेंडर के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके अलावा इनके सरेंडर के पीछे अन्य कारण भी थे। इन पांच नक्सलियों में बालेश्वर कोड़ा, अर्जुन कोड़ा, बहादुर, नागेश्वर कोड़ा एवं पोली शामिल हैं। बालेश्वर और अर्जुन कोड़ा पर 50-50 हजार रुपये का इनाम था, जबकि नागेश्वर पर एक लाख का इनाम था।
इन खूंखार पांच नक्सलियों का सरेंडर पुलिस और सीआरपीएफ की भी बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इसके साथ ही पुलिस की नक्सल विरोधी मुहिम, सरकार की पुनर्वास नीति, नए पुलिस कैंप की स्थापना और सिविक एक्शन कार्यक्रम को इनके सरेंडर की मुख्य वजह माना जा रहा है। इससे अब धरहरा सहित अन्य क्षेत्रों में शांति की आस जगी है। इन पांच नक्सलियों ने सरकार की पुनर्वास नीति को अपना लिया है। जमुई के पुलिस अधीक्षक ने सभी पांचों नक्सलियों के सोमवार को सरेंडर करने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि बालेश्वर कोड़ा संगठन का रणनीतिकार और हथियार का सप्लायर था।
सूत्रों के मुताबिक, संगठन के आंतरिक खोखलापन से ये नक्सली निराश थे। इनके खिलाफ धरहरा, लड़ैयाटांड सहित अन्य थानों मे हत्या, लेवी, अपहरण, आर्म्स एक्ट, विस्फोटक एवं अन्य नक्सली गतिविधियों में संलिप्तता का केस दर्ज है। सरेंडर करने वाले नक्सली आजिमगंज पंचायत के नवनिर्वाचित मुखिया परमानन्द टुडू हत्याकांड के मुख्य आरोपित थे। सरेंडर करने वालों में तीन काफी दुर्दांत रहे हैं। बालेश्वर कोड़ा और अर्जुन कोड़ा पर 50-50 हजार रुपये का इनाम था, जबकि नागेश्वर कोड़ा पर एक लाख का इनाम था। आए दिन ये किसी बड़े वारदात को अंजाम दिया करते थे।
बालेश्वर कोड़ा ने 5 जनवरी 2005 को मुंगेर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक केसी सुरेंद्र बाबू की भीमबांध में हत्या कर दी थी। एक जनवरी 2008 को मुंगेर के ऋषि कुंड में 4 सैप के जवानों की हत्या करके हथियार की लूट की गयी थी। जमुई के खैरा में इंस्पेक्टर कपिल राम की हत्या में भी इसका हाथ था।
छह जवानों की हत्या
सोनो में गोरिल्ला अटैक कर 6 जवानों की हत्या की गयी थी। बरहट के गुरमाहा कुमरतरी में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की हत्या के बाद पूरे गांव को विस्थापित कर दिया था। भागलपुर के नाथनगर रेलवे स्टेशन की पटरी पर 17 फरवरी 2021 को भारी विस्फोटक लगाकर ट्रेन उड़ाने का प्रयास किया था। साथ ही 29 अगस्त 2010 को लखिसराय के कजरा में भीषण पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में 7 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। इन सभी वारदात में भी इन्हीं नक्सलियों की संलिप्तता थी।
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