महाराष्ट्र में विधानपरिषद के चुनाव निर्विरोध करने की कोशिशे नाकाम रही और अंत में दस सीटों के लिए 11 प्रत्याशी मैदान में रहने से चुनाव होना तय है। राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने तिसरे प्रत्याशी की जीत दर्ज कर महाविकास आघाडी को चौंका दिया है लेकिन अब फिर एक बार महाविकास आघाडी शक्ति परीक्षण के लिए मैदान में उतर गई है। राज्यसभा चुनाव में खुला मतदान होते हुए भी महाविकास आघाडी के लगभग 10 विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को वोट देने से हडकंप मच गया था। अब विधान परिषद को गुप्त मतदान की प्रक्रिया है इसलिए सरकार पर नाराज विधायक भारतीय जनता पार्टी को वोट करेंगे और भाजपा के पांच प्रत्याशी चुनाव जीतेंगे ऐसा विश्वास भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीसने व्यक्त किया है।
विधान परिषद की 10 विधायक का चुनाव 20 जून को होगा। एक विधायक को चुनने के लिए 27 वोटों की जरूरत होगी। शिवसेना के पास दो विधायक चुनने के लिए संख्या है और शिवसेना ने मुंबई के सचिन अहीर, आमशा पाडवी को मैदान में उतारा है। सचिन अहीर आदित्य ठाकरे के चुनाव क्षेत्र से पहले विधानसभा के विधायक रह चुके हैं। उन्हे विधानपरिषद का विधायक बना कर आदित्य ठाकरे की राह आसान की गयी है। एनसीपी के पास दो विधायक चुनने के लिए पर्याप्त संख्या है। उन्होने विधानपरिषद के सभापती रामराजे निंबालकर और भारतीय जनता पार्टी से एनसीपी में आए पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे को प्रत्याशी बनाया है। काँग्रेस के पास पर्याप्त संख्या न रहने पर भी दो प्रत्याशी मैदान में उतारे गए हैं। मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष भाई जगताप और मुंबई के दलित नेता चंद्रकांत हंडोरे को कांग्रेसने विधानपरिषद के लिए उम्मीदवार बनाया है। भारतीय जनता पार्टी के पास चार विधायक चुनने के लिए पर्याप्त संख्या है और पांचवे विधायक के लिए कुछ जादा वोटों की आवश्यकता होगी। लेकिन राज्यसभा चुनाव में अतिरिक्त दस वोट मिलने से उत्साहित हो कर भाजपा ने पाँच प्रत्याशी मैदान में उतारें हैं। विधानपरिषद के नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर, प्रसाद लाड, श्रीकांत भारतीय, राम शिंदे और महिला मोर्चा की अध्यक्ष उमा खापरे।
भारतीय जनता पार्टी ने निर्दलीय सदाभाऊ खोत को अपना समर्थन दिया था। लेकिन आज नामांकन वापस लेते समय यह चुनाव निर्विरोध करने के प्रयास में भाजपा ने सदाभाऊ को अपना नामांकन वापस लेने को कहा। सदाभाऊ ने नामांकन वापस लिया लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी ने अपना नामांकन वापस नही लिया। इसलिए मतदान होना तय है। दसवे सीट के लिए भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी के बीच संघर्ष होगा।
राज्यसभा चुनाव के बाद महाविकास आघाडी में घटक दलों में विवाद चल रहा है। शिवसेना ने विधानपरिषद में आघाडी के रूप मे न सोचते हुए हर एक दल अपना अपना सोचे ऐसा ऐलान कर दिया है। निर्दलीय विधायक और महाविकास आघाडी के नेताओं में एकदूसरे के विरोध में बयानबाजी चल रही है। इस अंतर्विरोध को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी को अपने पांच विधायक विजयी होने का विश्वास है। महाविकास आघाडी के कितने वोट भारतीय जनता पार्टी को मिलेंगे यह देखना रोचक होगा। महाविकास आघाडी का बहुमत अगर नही रहता तो सरकार के अस्तित्त्व पर सवाल उठने लगेंगे।
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