केरल के बहुतचर्चित नन बलात्कार कांड का मुख्य आरोपित बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर वेटिकन मेहरबान है। जालंधर डायोसिस का प्रमुख बिशप मुलक्कल केरल की एक अदालत से आरोपों से बरी किया गया है इसलिए अब एक बार फिर वह अपनी ‘पेस्टोरल ड्यूटी’ संभालेगा। इस बात की घोषणा स्वयं पोप के प्रतिनिधि और आर्कबिशप लियोपोल्डो गिरेल्ली ने की है।
वेटिकन के इस फैसले से खासतौर पर केरल के वे चर्च अनुयायी हैरान हैं जो जानते हैं कि चर्च के नेता किस कदर ननों के यौन उत्पीड़न में शामिल पाए गए हैं। सितंबर 2018 में मुलक्क्ल को अस्थायी तौर पर उसकी ‘सेवाओं’ से हटा दिया गया था। केरल की अदालत में उस पर लंबा मुकदमा चला जिसमें चर्च के ‘रसूखदार’ खूब सक्रिय रहे। पीड़ित नन को भी खूब डराया—धमकाया गया और उसे नन हॉस्टल से निकलने को मजबूर कर दिया गया। उस नन ने जगह—जगह जाकर अपना दुखड़ा सुनाया पर ‘सर्वशक्तिमान’ कैथोलिक चर्च के आगे उसकी एक न चली।
उल्लेखनीय है कि गत दिनों जालंधर डायोसिस के दौरे पर आए आर्कबिशप लेओपोल्डो गिरेल्ली (भारत-नेपाल में वेटिकन के ‘राजदूत’) ने उत्तर भारत के पादरियों के सामने कहा कि वेटिकन ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर अदालत के फैसले को स्वीकार कर लिया है।
इतना ही नहीं, पीटीआई के अनुसार गिरेल्ली ने यह भी कहा कि मुलक्कल सीधे पोप के अधीन हैं उनके बारे में फैसले का अधिकार अब ‘रोम’ के पास है। अभी चार महीने पहले ही कोट्टायम, केरल के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल को यह कहते हुए बरी किया था कि ओराप लगाने वाला पक्ष उनके विरुद्ध उचित सबूत नहीं पेश कर सका है।
जज जी. गोपकुमार ने इस मामले में अपने 289 पृष्ठों के आदेश में कहा कि नन ने चीजों को बढ़ा—चढ़ाकर बताया है और कई महत्वपूर्ण तथ छुपाने की कोशिश की है। यह भी पता चलता है कि पीड़िता ने ऐसे कुछ लोगों के प्रभाव में आ गई थी जिनके अपने निहितार्थ हैं। जज ने सर्वोच्च न्यायालय का हवाला देते हुए यह कहा कि जब सच और झूठ आपस में ऐसे घुल जाएं कि उन्हें अलग करना संभव न हो तो सभी सबूतों को अमान्य कर देना ही एक रास्ता बचता है।
अदालत के इस फैसले से आहत पीड़िता सिस्टर लूसी ने कहा था कि राज्य सरकार और पुलिस ने उसे न्याय दिलाने के लिए पर्याप्त कोशिश नहीं की। सिस्टर लूसी ने यह भी बताया कि बिशप के विरुद्ध मुंह खोलने पर उसे निशाना बनाया जा रहा है। लेकिन पीड़िता के आह्वान पर केरल में ननों ने मुलक्कल के विरुद्ध काफी विरोध प्रर्दशन किए थे।
इधर बलात्कार का आरोप लगाने वाली पीड़ित नन ने 57 वर्षीय मुलक्कल के विरुद्ध केरल उच्च न्यायालय में अपील की है। नन के आरोप में है कि मुलक्कल ने 2014 से 2016 के बीच कई मौकों पर अपने कोट्टायम दौरों के दौरान नन का कई बार बलात्कार किया था। केरल सरकार ने भी उच्च न्यायालय में कहा है कि पीड़िता नन द्वारा दिए गए सबूत, कई गवाहों के बयानों और सबूतों से साफ होता है कि नन के साथ बिशप मुलक्कल ने अप्राकृतिक अपराध और बलात्कार किया था।
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