रोहिणी जिले के विजय विहार स्थित ब्रह्मशक्ति अस्पताल में शनिवार सुबह आग लगने से हड़कंप मच गया। आग अस्पताल की तीसरी मंजिल पर स्थित आईसीयू वार्ड में लगी। जहां कई मरीज भर्ती थे। मामले की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची दमकल की 10 गाड़ियों ने एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया और वार्ड में भर्ती 18 मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला।
वहीं, वेंटिलेटर पर मौजूद एक मरीज की मौत हो गई। जबकि एक डॉक्टर ने जान बचाने के चक्कर में पहली मंजिल से नीचे छलांग लगा दी। जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गये। मृतक की पहचान पहचान लक्ष्मी विहार प्रेम नगर निवासी होली (64) के रूप में हुई है। वहीं घायल डॉक्टर की पहचान सुशील (34) के रूप में हुई है।
रोहिणी जिले के डीसीपी प्रणव तायल ने बताया कि विजय विहार थाना पुलिस ने आईपीसी की धारा 285/287/304 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस आग लगने के कारणों की जांच कर रही है।
अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
दमकल विभाग का कहना था कि अस्पताल प्रशासन की कई लापरवाही जरूर सामने आईं हैं। यह हादसा काफी बड़ा हो सकता था, कई लोगों की जान जा सकती थी। ऐसे में अस्पताल प्रशासन के इंतजामों पर कई प्रश्न खड़े हो गए हैं।
सुबह पांच बजे लगी अस्पताल में आग
दमकल विभाग के मुताबिक, शनिवार सुबह 5:00 बजे विजय विहार स्थित ब्रह्म शक्ति अस्पताल में आग लगने की सूचना मिली थी। सूचना मिलते ही एक-एक कर दमकल की 10 गाड़ियों को मौके पर भेजा गया। वहां पहुंची टीम को पता चला कि आग तीसरी मंजिल पर आईसीयू वार्ड में लगी है।
जहां कई मरीज भर्ती हैं। ऐसे में आग बुझाने के साथ-साथ वहां फंसे मरीजों को भी सुरक्षित बाहर निकालना बड़ी चुनौती थी। ऐसे में कुछ टीमें आग बुझाने में लगीं, जबकि कुछ टीमें वहां फंसे मरीजों को बाहर निकालने लगीं। इस बीच सिर्फ एक मरीज को छोड़कर सभी को समय रहते सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। एक मरीज की वहां मौत हो गई।
किडनी के मरीज थे होली
आग में जान गंवाने मरीज 64 वर्षीय होली किडनी के मरीज थे और वेंटिलेटर पर थे। लक्ष्मी विहार, प्रेम नगर के रहने वाले थे। आग के कारण बिजली की सप्लाई और ऑक्सीजन रुकने के कारण उनकी मौत हो गई है। इस मामले में विजय विहार पुलिस ने लापरवाही से मौत समेत विभिन्न संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया है।
थाने से पता चला घटना के बारे में
मृत होली के बेटे संतोष ने बताया कि उसने करीब 15 दिन पहले पिता को ब्रह्मशक्ति अस्पताल में भर्ती कराया। बीती शाम वह अपने पिता से मिलकर गया था। उस समय उसके पिता बिल्कुल ठीक थे। सुबह थाने से उसके पास फोन आया तब उसे घटना के बारे में पता चला।
अस्पताल आने पर पता चला कि उसके पिता को रेफर किया जा रहा है। इसी बीच पुलिसकर्मियों ने उसे बताया कि उसकी पिता की मौत हो गई है। वह पोस्टमार्टम करवाना चाहते है य ऐसे ही शव को लेना चाहते है। वहीं संतोष ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कि उसके पिता की मौत अस्पताल प्रशासन की वजह से हुई है। उक्त मामले में अस्पताल प्रशासन के खिलाफ उचित कर्रवाई हो।
काम नहीं कर रहा था फायर फाइटिंग सिस्टम
पूरी घटना में सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि कोई भी अस्पताल हो य फिर बड़ा संस्थान आग लगने पर फायर फाइटिंग सिस्टम रखते है। ताकि घटना के शुरू में ही उसे काबू किया जा सके। हालांकि यह सिस्टम इस अस्पताल में भी लगा था। मगर वह काम करने की स्थिति में नहीं था। जिस कारण आग ज्यादा फैल गई।
बाहर जाने के रास्ते भी बंद या ब्लॉक
यह भी बताया गया है उक्त अस्पताल से बाहर निकलने के ज्यादातर रास्ते बंद थे। कुछ पर फायर फाइटर्स को ताला लगा मिला या फिर उनके गेट के आगे भारी-भरकम सामान रखा था, जिसके चलते वहां से निकलना काफी मुश्किल था। उल्लेखनीय है कि ऐसी लापरवाही मुंडका इलाके में भी देखने को मिली थी, जिससे वहां ज्यादा लोगों की जान चली गई, क्योंकि ऐसी आपात स्थिति में फंसे हुए लोग वहां से भाग नहीं पाये थे।
दिल्ली में पिछले साल से 1634 कॉल ज्यादा
आंकड़ों के मुताबिक इस साल वर्ष 2021-22 के दौरान दमकल विभाग के कंट्रोल रूम को कुल 27343 कॉल्स (एक अप्रैल से 31 मार्च तक) मिली थीं। यह आंकड़ा 2020-2021 के दौरान 25709 का था। आंकड़ों के हिसाब से पिछले साल के मुकाबले कुल 1634 कॉल की संख्या में इजाफा हुआ। वहीं कोविड से पूर्व वर्ष 2019-2020 और 2018-2019 की बात करें तो यह आंकड़ा 31 हजार से ज्यादा का था। लेकिन उस समय हादसों में जान गंवाने लोगों की संख्या बेहद कम थी। इस साल जान गंवाने वालों लोगों की संख्या 591 है। यह पिछले साल 346 थी।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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