वैज्ञानिक हेस्टरोक के अनुसार, प्लेट के मॉडल में सबसे बड़ा बदलाव पश्चिमी उत्तरी अमेरिका में हुआ है तो दूसरा बड़ा बदलाव मध्य एशिया में। इन बदलावों से साफ हुआ है कि इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट की तरफ सरक रही है
जिस धरती पर हम टिके हैं वह भूगर्भ में टेक्टॉनिक प्लेटों पर टिकी है, जो चलायमान हैं। ये अपने स्थान से समय और दबाव के साथ अगल—बगल सरकती रहती हैं। इस हरकत से टापुओं के यहां से वहां सरकने की जानकारियां मिलती रही हैं। दुनिया के नक्शे में भी कई बदलाव देखने में आते रहे हैं।
अब आस्ट्रेलिया के एडिलेड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक नया नक्शा सामने लाकर सबको हैरान कर दिया है। इस अन्वेषण दल टीम का नेतृत्व करने वाले एडिलेड विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के अध्यापक डॉ. डेरिक हेस्टरोक ने बताया है कि उन्होंने टेक्टॉनिक प्लेट के दायरों की बनावट और महाद्वीपीय परत की पिछली रचना का नए सिरे से अध्ययन किया है।
वैज्ञानिक हेस्टरोक के अनुसार, प्लेट के मॉडल में सबसे बड़ा बदलाव पश्चिमी उत्तरी अमेरिका में हुआ है तो दूसरा बड़ा बदलाव मध्य एशिया में। इन बदलावों से साफ हुआ है कि इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट की तरफ सरक रही है
उल्लेखनीय है कि दुनिया में आने वाले भूकंपों के पीछे जमीन की सतह के नीचे मौजूद टेक्टॉनिक प्लेटों को जिम्मेदार बताया जाता है। ये प्लेटें जब एक दूसरे से टकराती हैं तो इससे भूकंप के झटके महसूस होते हैं। कई बार तो इनके टकराने से सुनामी जैसी स्थितियां बन जाती हैं। ऑस्ट्रेलिया के इन भूवैज्ञानिकों ने जमीन के नीचे की सभी टेक्टॉनिक परतों का एक नया खाका तैयार किया है। इसमें पता चला है कि भारत के नीचे मौजूद भारतीय परत प्लेट तेजी से उत्तर की तरफ यानी यूरेशियाई प्लेट की तरफ सरक रही है। इस वजह से उनका मानना है कि भविष्य में इन दोनों प्लेटों के टकराने से हिमालय सहित उत्तरी भागों में जबरदस्त भूकंप आ सकता है।
एडिलेड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा बनाए टेक्टॉनिक प्लेटों के इस खाके को देखने से पता चलता है कि महाद्वीप को बार-बार जोड़कर यह तैयार किया गया है। शोध में यह भी बताया गया है कि टेक्टॉनिक प्लेट का दायरा धरती के गर्भ का 16 फीसदी हिस्सा घेरे हुए है। शोध दल ने तीन नए भूवैज्ञानिक मॉडल तैयार किए हैं, प्लेट मॉडल, प्रांत मॉडल और ऑरोजेनी मॉडल। ऑरोजेनी मॉडल महाद्वीप पर पहाड़ों के बनने की प्रक्रिया से संबंधित है। टीम के अनुसार जांच में उन्हें 26 ऑरोजेनी का पता चला है। इन्हीं की वजह से अलग-अलग महाद्वीपों में पहाड़ बने हैं।
डॉ. हेस्टरोक ने बताया है कि उनके काम उन्हें पाठ्यपुस्तकों में मौजूद टेक्टॉनिक प्लेटों के नक्शे और महाद्वीपों को नए सिरे से बनाने की सहूलियत देता है। इसी से नया खाका खड़ा किया गया है। पुराना खाका 2003 के बाद अपडेट ही नहीं किया गया था।
वैज्ञानिक हेस्टरोक के अनुसार, प्लेट के मॉडल में सबसे बड़ा बदलाव पश्चिमी उत्तरी अमेरिका में हुआ है तो दूसरा बड़ा बदलाव मध्य एशिया में। इन बदलावों से साफ हुआ है कि इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट की तरफ सरक रही है।
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