रामपुर में आजम खान के लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि यहां आजम खान के परिवार से ही सपा प्रत्याशी होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यहां आजम खान की सिफारिश पर आसिम रजा को टिकट दिया गया है। रामपुर उपचुनाव का बेहद रोचक हो गया है। सभी राजनीतिक कयास ध्वस्त हो गए हैं। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने तो अपने उम्मीदवार ही नहीं उतारे हैं। जबकि पिछली बार लोकसभा चुनाव में बसपा को यहां 81 हजार वोट मिले थे।
बीजेपी ने दो बार सपा से एमएलसी रहे घनश्याम लोधी को टिकट दिया है। लोधी दो साल पहले ही बीजेपी में आए हैं। रामपुर लोकसभा क्षेत्र में करीब एक लाख लोधी वोट हैं। इन्ही वोटों के साथ वंचित वोट जब जुड़ते हैं तो बीजेपी यहां तीन बार लोकसभा चुनाव जीत जाती है। बीजेपी के नेपाल सिंह तभी यहां से सांसद बने थे। इस बार बीएसपी, मैदान में नहीं है इसलिए लोधी की स्थिति मजबूत दिखाई देने से आजम खान का परिवार चुनाव में नहीं उतरा और उन्होंने सपा के शहर अध्यक्ष रहे आसिम रजा को टिकट दे दिया। आसिम रजा ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा है। इसलिए कहा जा रहा है कि आजम खान खुद ही पीछे हो गए हैं। कयास यह भी लगाए गए थे कि बीजेपी यहां से मुख्तार अब्बास नकवी को टिकट देगी, लेकिन बीजेपी ने उन्हे न तो लोकसभा का टिकट दिया न ही राज्यसभा का। इस बात को लेकर भी राजनीतिक चर्चाएं सुर्खियां बनी हैं।
रामपुर लोकसभा सीट में करीब 16 लाख मतदाता हैं, जिनमें से 50.57 प्रतिशत मुस्लिम और 45.97 प्रतिशत हिंदू मतदाता हैं। शेष अन्य समुदाय के वोटर हैं। घनश्याम लोधी बीजेपी में आने से पहले सपा में आजम खान के भी करीबी रहे हैं और वो आजम खान की हर कमजोरी से परिचित हैं। कहा ये भी जाता रहा है कि आजम की राजनीति सफलता के पीछे लोधी का भी हाथ रहा है। यही वजह है कि उन्हें आजम खान ने दो बार एमएलसी भी बनवाया था। अब लोधी खुद मैदान में सपा के खिलाफ खड़े हैं जिससे आजम खान की रामपुर की राजनीति को गहरा झटका लगा है।
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