बिहार का नाम आते ही बेरोजगारी से जूझते युवाओं की तस्वीर सामने आती है। एक ऐसी युवा शक्ति जिसका सपना सिर्फ नौकरी करना होता है, लेकिन अब बिहार के युवा नौकरी के मोह से उबरने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को अब यहां के युवा साकार करने लगे हैं। कोरोना काल से उबरने के बाद बिहार में स्टार्ट-अप की बहार आ गई है। चाय का स्टॉल युवाओं को सबसे प्रिय लग रहा है। पटना में चाय बेचने वाली दो लड़कियों की चर्चा सबके जुबान पर है। दोनों 25 वर्ष से कम की हैं और दोनों उच्च शिक्षित हैं। इसके बावजूद नौकरी न करके इन दोनों ने इस वर्ष चाय का व्यवसाय शुरू किया है। आईआईटी से पढ़कर निकले चार युवाओं ने आरा में चाय का व्यवसाय शुरू किया है।
आरा के रमना मैदान के निकट आईआईटियन चाय वाला नाम से चल रहा टी-स्टाल राहगीरों को लुभा रहा है। स्वाद से भी यहां की चाय ने अलग पहचान बनाई है। जब लाल कुल्हड़ में सुगंधित चाय उड़ेली जाती है, तो उससे निकला स्वाद मन में ताजगी भर देता है। नाम के अनुरूप यह टी स्टाल आईआईटी और विभिन्न संस्थानों में पढ़ाई के रहे तकनीकी छात्रों के दिमाग की उपज है।
चाय स्टॉल खोलने का विचार मद्रास आईआईटी में डेटा साइंस से बीएससी कर रहे छात्र रणधीर कुमार का है। उनके साथ देश के अलग-अलग संस्थानों में पढ़ रहे चार दोस्तों ने रोजगार सृजन के लिए यह स्टार्ट—अप शुरू किया। इसमें खड़गपुर आईआईटी में प्रथम वर्ष के छात्र जगदीशपुर के अंकित कुमार, बीएचयू में पढ़ रहे इमाद शमीम और एनआईटी सूरतकल में पढ़ रहे सुजान कुमार का सहयोग है।
अब इनकी योजना 2022 के अंत तक देशभर में 300 स्टॉल खोलने की है। स्टार्ट—अप को आगे बढ़ाने के लिए वे वित्तीय संस्थानों से मदद लेंगे। इनके स्टॉल पर 10 प्रकार की चाय सिर्फ मिट्टी के कुल्हड़ में मिलती है।
गोपालगंज के कमांडो चायवाले भी इन दिनों सुर्खियों में हैं। बता दें कि इन दिनों एनएसजी कमांडो मोहित पांडेय की तैनाती दिल्ली में है। वे 39 दिन की छुट्टी पर घर आए हैं। मोतिहारी के रामगढ़वा थानांतर्गत सिंहासिनी गांव के रहने वाले मोहित ने अपनी छुट्टी का उपयोग युवाओं को प्रेरणा देने के लिए किया। कहने से अच्छा करके दिखाना होता है। लिहाजा उन्होंने गोपालगंज के मौनिया चौक के समीप ठेले पर 29 मई से चाय बेचना शुरू किया, ताकि रोजगार की रट लगाने वाले युवाओं को प्रेरणा मिल सके। इनकी दुकान पर लिखा है ‘कमांडो चाय अड्डा’। यह चाय अड्डा लोगों को खूब लुभा रहा है।
वहीं वाराणसी स्थित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से अर्थशास्त्र में स्नातक प्रियंका गुप्ता पटना के बोरिंग रोड पर चाय बेचती हैं। प्रियंका पूर्णिया के बनमनखी की रहने वाली हैं। प्रियंका ने 2019 में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 2020 में कोरोना के चलते लॉकडाउन लग गया। इसके बाद उन्होंने नौकरी के लिए प्रयास किया, लेकिन ढंग की नौकरी नहीं मिली। फिर उन्होंने कुछ नया करने की सोची। नेट पर ही उन्हें 25 वर्षीय एमबीए चायवाले प्रफुल्ल बिल्लोरे की कामयाबी की जानकारी हुई और बस प्रियंका ‘ग्रेजुएट चायवाली’ बनने के लिए चल पड़ीं।
*घर से बैंकिंग का बहाना बना कर निकली*
इस वर्ष जनवरी में प्रियंका ने अपने घर वालों को बताया कि प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करनी है और यह कहकर वह पटना आ गईं। पटना में उन्होंने बैंक से कर्ज लेने का प्रयास किया ,लेकिन उन्हें कर्ज नहीं मिल पाया। इसके बाद उन्होंने अपने एक दोस्त से 30,000 रु उधार लिए और प्रतिष्ठित पटना विमेंस कॉलेज के मुख्य द्वार के पास 11 अप्रैल से चाय बेचना शुरू किया। इनकी ‘टैग लाइन’ है— *पीना ही पड़ेगा*। अब प्रियंका पटना की पहचान बन चुकी हैं। इनके पास चाय पीने के लिए सांसद चिराग पासवान, अक्षरा सिंह जैसे लोग आ चुके हैं।
प्रियंका का स्टॉल मई माह से बोरिंग रोड पर आ गया है। स्टॉल का स्वरूप भी बदल गया है। प्रियंका चार प्रकार की चाय बनाती हैं। उन्होंने अपनी दुकान के बाहर लिखा है, ‘लोग क्या सोचेंगे अगर ये भी हम सोचेंगे तो फिर लोग क्या सोचेंगे’। वहीं एक दूसरे पोस्टर में उन्होंने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि भारत के युवा आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा चुके हैं। प्रियंका की तारीफ करते हुए गीतकार आनंद बक्शी के बेटे और लेखक राकेश आनंद बक्शी ने अपने ट्वीट में लिखा है, ”आपको हिम्मत मिले प्रियंका। अपनी आर्थिक सुरक्षा की खुद जिम्मेवारी ली।”
प्रियंका से मिलती—जुलती कहानी पटना के गांधी मैदान के पास बापू सभागार के सामने चाय स्टॉल लगाने वाली मोना पटेल की है। मोना पटेल ने अपने स्टॉल का नाम ‘आत्मनिर्भर चायवाली’ रखा है। मोना पटेल ने पटना के जे डी विमेंस कॉलेज से बीसीए की पढ़ाई की है। मोना भी पूर्णिया की रहने वाली है। आत्मनिर्भर टी स्टॉल पर काफी भीड़ रहती है। बीसीए करने के बाद मोना पटेल को नौकरी भी मिली, लेकिन वेतन कम होने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी। उसके बाद उन्होंने चाय की दुकान लगाना ठीक समझा और आज वह अच्छा पैसा कमा रही हैं। उनके स्टॉल में 10 प्रकार की चाय उपलब्ध है।
पटना में लड़कियों द्वारा शुरू किए गए स्टॉल को मनोवैज्ञानिक और प्रसिद्ध सिने विश्लेषक प्रो जय देव बिहार के लिए एक सकारात्मक पहल मानते हैं। वे कहते हैं, ”मोना पटेल और प्रियंका गुप्ता ने चाय की दुकान खोलकर बेरोजगारों को सजग किया है कि किसी भी काम को छोटा मत समझो और नौकरी नहीं मिली तो निराश भी मत हो। अपना काम शुरू करो और आत्मनिर्भर बनो।”
दरभंगा के रहने वाले अनुराग अच्छी नौकरी छोड़कर चाय बेच रहे हैं। बीटेक कर चुके अनुराग आज दरभंगा के जाने—माने लोगों में शामिल हो गए हैं। वे युवाओं के बीच आकर्षण का केंद्र बन गए हैं।
इन युवाओं की हिम्मत की प्रशंसा हर कोई कर रहा है। प्रफुल्ल बिल्लोरे ने ट्वीट किया है, ”आइए भारत को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाएं।”
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