वाराणसी के संकट मोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर सात मार्च 2006 को बम ब्लास्ट हुआ था। जिसमें 16 लोगों की मौत और 70 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। बम धमाकों के मुख्य आरोपी आतंकी वलीउल्लाह को गाजियाबाद कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी है।
दुर्गा घाट निवासी संतोष साहनी का बम धमाकों में एक पैर उड़ गया था। बातचीत में उन्होंने बताया कि बम के छर्रे उनके शरीर में आज भी मौजूद हैं। संतोष बताते हैं कि मैं जब सो कर उठता हूं तो रोज मानो मेरे जीवन में धमाका होता है। वलीउल्लाह को फांसी की खबर सुनकर कलेजे को ठंडक मिल गई। धमाके ने जीवन को बेरंग जरूर कर दिया, लेकिन 16 साल बाद मिले इंसाफ ने कुछ हद तक जीवन में रंग लाया है। कपड़ों की फेरी कर जीवन बड़ी मुश्किल से कट रहा है।
संतोष ने बताया उस दिन एक शादी में शामिल होने मंदिर गया था। परिसर में काफी भीड़ थी। जहां खड़ा था, वहीं जोरदार धमाका हुआ। जब होश आया तो देखा कि एक पैर कट चुका था। शरीर में ऊपर से नीचे तक बम धमाके के जख्म थे। महीनों बिस्तर पर पड़ा रहा। रोज यही सोचता था कि कब इंसाफ मिलेगा और वलीउल्लाह को फांसी मिलेगी। जीवन में बस यही कामना बची थी कि जिसने क्रूर कार्य किया उसको मौत मिलनी चाहिए। जिस दिन वो फंदे पर चढ़ेगा उस दिन 16 साल बाद जिंदगी में उत्सव होगा। कृत्रिम पैर के सहारे बमुश्किल जीवन काट रहा हूं। दिव्यांगता के कारण कहीं कोई रोजगार भी नहीं देता। लेकिन आतंकी की फांसी की सजा सुनते ही मानों कुछ दुख दूर हो गया।
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